वाराणसी। लगभग 500 वर्षों से साधु-संतों, संप्रदायों, हिन्दुत्ववादी संगठनों एवं हिन्दुओं द्वारा किए जा रहे संघर्ष के बाद अयोध्या के भव्य श्रीराम मंदिर में रामलला विराजमान हुए। अब रामराज्य के लक्ष्य को साकार करने के लिए इसी प्रकार हिन्दू समाज में एकता की आवश्यकता है। रामराज्य अर्थात सात्विक, धर्माचरणी, अध्यात्मपरायण लोगों का राज्य! रामराज्य में प्रजा धर्माचरण करती थी; इसलिए उन्हें श्रीराम जैसे धर्मपालक राजा मिले। यदि रामराज्य चाहिए तो प्रत्येक हिन्दू को धर्माचरण तथा साधना करनी होगी। इसी उद्देश्य से श्रीरामनवमी के शुभ अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से भव्य ‘हिन्दू एकता शोभायात्रा’ का आयोजन किया गया। इस शोभायात्रा में अनेक हिन्दू संगठनों के पदाधिकारी, अधिवक्ता, व्यापार मंडल के प्रतिनिधि तथा अनेक श्रीराम भक्त सम्मिलित हुए।
शोभायात्रा का आरंभ धर्मध्वज पूजन कर शंखनाद से हुआ। यात्रा में सहभागी सभी निरंतर ‘श्रीराम जय राम जय जय राम’ का नामजप कर रहे थे। यात्रा के समय ‘एक ही नारा एक ही नाम, जय श्रीराम जय श्रीराम’, ‘पवनसुत हनुमान की जय’ ऐसी घोषणाओं से वातावरण गूंज उठा। समाज के अनेक श्रद्धालु उत्स्फूर्तता से यात्रा में सहभागी होकर श्रीरामजी की प्रतिमा पर पुष्पवृष्टि कर रहे थे। काशी विश्वनाथ मंदिर के गेट क्रमांक 4 पर श्रीराम रचित शिव स्तुति से वातावरण भक्तिमय हो गया। यह शोभायात्रा मैदागिन चौराहे से आरंभ होकर नीचीबाग चौक, बासफाटक, दशाश्वमेध चौराहे से होते हुए चितरंजन पार्क में जाकर संपन्न हुई।
यात्रा के समापन में हिन्दू जनजागृति समिति के उत्तर प्रदेश तथा बिहार के समन्वयक श्री. विश्वनाथ कुलकर्णी ने बताया कि अयोध्या में श्रीरामलला की स्थापना श्रीराम राज्य के अवतरण का संकेत है। श्रीरामनवमी के शुभ अवसर पर हम सभी संगठित होकर रामराज्य के लक्ष्य को साकार करने के लिए संकल्प लेंगे।
अंत में उन्होने आवाहन किया की सभी रामभक्त प्रतिदिन ‘श्रीराम जय राम जय जय राम’ का नामजप करें एवं राष्ट्र तथा धर्मकार्य हेतु 1 घंटा समय दें।