संघीय ढांचे को बचाने के लिए कांग्रेस को सत्ता में लाना ज़रूरी
अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने कर्नाटक सरकार द्वारा केंद्र से सूखा राहत राशि पाने के लिए मजबूरन सुप्रीम कोर्ट की मदद लेने को मोदी सरकार के विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों के प्रति सौतेला रवैय्ये का ताज़ा उदाहरण बताया है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने राज्यों और केंद्र के बीच समनव्य को बिगाड़ दिया है जिससे देश की एकता और अखंडता खतरे में पड़ गयी।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि हमारे दक्षिण भारतीय राज्य प्राकृतिक आपदा से जूझ रहे हैं. सूखे से जूझ रहे कर्नाटक को पिछले साल के आख़िरी महीने तक क़ानूनन 35162 करोड़ की सहायता नरेंद्र मोदी सरकार से मिल जानी चाहिए थी. लेकिन मोदी सरकार ने वहाँ की जनता द्वारा विधान सभा चुनावों में भाजपा को नकार देने के कारण बदले की भावना से यह सहायता राशि रोक दी. उन्होंने कहा कि इसी तरह तमिलनाडु को भी प्राकृतिक आपदा से राहत के लिए 40 हज़ार करोड़ रूपये की अपनी मांग के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि केंद्र सरकार का यह रवैय्या मनमोहन सिंह सरकार द्वारा बनाए गए आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 का उल्लघंन है. उन्होंने कहा कि इससे पहले भी देश ने देखा कि कैसे विपक्ष शासित राज्यों में केंद्र सरकार के इशारे पर राज्यपाल विधेयकों पर हस्ताक्षर नहीं कर रहे थे।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मोदी सरकार ने पिछले दस सालों में राज्यों और केंद्र के रिश्तों के स्थापित आदर्शों को कमज़ोर किया है जिसके चलते इन राज्यों में संघीय ढांचे के प्रति अविश्वास विकसित हो रहा है. इससे इन राज्यों में केंद्र द्वारा सौतेला व्यवहार की धारणा बनती जा रही है. जिससे भविष्य में इन राज्यों में भी लद्दाख जैसे हालात पैदा हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि देश के संघीय ढांचे को बचाने के लिए कांग्रेस को सत्ता में लाना ज़रूरी है. अगर भाजपा फिर सत्ता में आ गयी तो देश टुकड़ों में बंट जाएगा. जिसके लिए टुकड़े-टुकड़े गैंग के सरगना नरेंद्र मोदी जिम्मेदार होंगे।