लखनऊ। अल्पस्यंखक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने मऊ विधायक मुख्तार अंसारी की बाँदा जेल में हुई मृत्यु को हिरासती हत्या बताते हुए उनके परिवार द्वारा उठाये जा रहे सवालों पर उच्च न्यायालय के मौजूदा जज से जाँच कराने की मांग की है। उन्होंने इसे प्रदेश के जेलों में चल रहे सरकारी गुंडाराज का भी उदाहरण बताया है। कांग्रेस मुख्यालय से जारी बयान में शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मुख्तार अंसारी ने 21 मार्च को ही मऊ के एमपी-एमएलए कोर्ट के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को लिखे पत्र में जम्मू कश्मीर के गवर्नर मनोज सिन्हा, दाऊद इब्राहिम के पूर्व शूटर और भाजपा समर्थित एमएलसी बृजेश सिंह, विधायक सुशील सिंह, पूर्व आईजी एसटीएफ अमिताभ यश पर उन्हें जान से मारने की साज़िश रचने और खाने में ज़हर देने का आरोप लगाया था। पत्र में उन्होंने उनकी हत्या के बाद अधिकारियों को क़ानूनी प्रक्रिया से बचाने का आश्वासन देने की भी बात कही थी।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यह सारे नाम प्रभावशाली लोगों के हैं जो न्यायिक जांच को प्रभावित कर सकते हैं इसलिए सच्चाई को उजागर करने के लिए हाई कोर्ट के सिटिंग जज से जाँच करानी चाहिए।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि पूर्व सांसद अतीक अहमद और पूर्व विधायक अशरफ की हिरासत में हत्या के बाद से ही सत्ता पक्ष से जुड़े लोग यह कहने लगे थे कि लोकसभा चुनाव से पहले मुख्तार अंसारी को भी मार दिया जाएगा। जिस तरह भाजपा और संघ के लोग पहले अतीक अहमद और अब मुख्तार अंसारी के मरने पर सोशल मीडिया पर जश्न मनाते हुए योगी आदित्यनाथ को श्रेय दे रहे हैं उससे यह संदेह और पुख़्ता हो जाता है की यह हत्या है इसलिए इसकी जाँच आवश्यक है।