वाराणसी। राष्ट्रीय सेवा योजना महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी के तत्वाधान में सात दिवसीय विशेष (दिन–रात)शिविर के पांचवे दिन का शुभारंभ गायत्री माता के तैल चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ शुभारंभ हुआ। एनएसएस कार्यक्रम अधिकारियों में डॉ. पारिजात सौरभ, डॉ.सुनील कुमार विश्वकर्मा, डॉ. ध्यानेंद्र कुमार मिश्र, डॉ. हंसराज, डॉ. धनंजय कुमार शर्मा व स्वयंसेवकों प्रमुख रूप से शामिल रहे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि टीडी कॉलेज जौनपुर अंग्रेजी विभाग के आचार्य डॉ. ज्ञानेंद्रधर दुबे ने अपने संबोधन द्वारा स्वयं सेवकों को जीवन में सकारात्मक रहकर अपने अभीष्ट लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने यह भी बताया कि जो व्यवहार स्वयं के लिए उचित न हो उसे दूसरों के साथ भी नहीं करना चाहिए, शिक्षा का भी यही मूल मंत्र है। विशिष्ट अतिथि दिवेश नाथ शर्मा सॉफ्टवेयर इंजीनियर यूएई ने अपने उद्बोधन में बताया कि विद्यार्थियों का व्यक्तित्व सामाजिक जीवन दृष्टि से ही विकसित होता है आज के तकनिकी युग में हम लोग एकाकी जीवन व्यतीत करने लगे हैं जो उचित नहीं है। हमें समाज एवं राष्ट्र सेवा के प्रति अग्रसर रहकर सामुदायिक कार्य में बढ़–चढ़ कर भाग लेना चाहिए। कार्यक्रम अधिकारी डॉक्टर पारिजात सौरभ ने राष्ट्रीय सेवा योजना के ध्येय वाक्य 'मैं नहीं पहले आप" का सबसे बड़ा उदाहरण परिवार के माध्यम से समझाने का प्रयास किया। जहां माता-पिता अपने से पहले परिवार के सदस्यों की जरूरत को प्राथमिकता देते हैं। भारतीय चिंतन में वसुधैव कुटुंबकम की धारणा सर्वोपरि रही है। कार्यक्रम अधिकारी डॉ. सुनील विश्वकर्मा ने स्वयंसेवकों को दिन में 24 बार गायत्री मंत्र का पाठ करने की सलाह दी इससे व्यक्तियों में एक सकारात्मक ऊर्जा के संचार के साथ-साथ सर्वांगीण विकास होता है। कार्यक्रम अधिकारी डॉक्टर हंसराज ने अतिथियों का संक्षिप्त परिचय अपने उद्बोधन के माध्यम से कराया। कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम अधिकारी डॉ. धनंजय कुमार शर्मा व कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम अधिकारी डॉक्टर ध्यानेंद्र कुमार मिश्र ने किया, कार्यक्रम की अध्यक्षता गायत्री शक्तिपीठ नगवा वाराणसी के प्रबंधक रमाकांत पाठक आचार्य ने किया। इस अवसर पर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया जिसमे काफी संख्या में राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक उपस्थित रहे।