उमाप्रेम नेत्रालय के बड़ा लालपुर स्थित ब्रांच के डायरेक्टर डॉ. अरुण कुमार गुप्ता द्वारा 14 मार्च दिन गुरुवार को "विश्व ग्लूकोमा जागरूकता सप्ताह" पर रैली निकाली गई।
यह जागरूकता रैली उमाप्रेम नेत्रालय बड़ा लालपुर ब्रांच से नटिनियादायी मंदिर, जीवनदीप पब्लिक स्कूल तथा ट्रेड फेसिलिटी सेंटर से होते हुए वापस बड़ा लालपुर ब्रांच पर समाप्त हुई। इस रैली में उमाप्रेम नेत्रालय के चिकित्सक और स्टाफ ने हिस्सा लिया । जो हाथों में ग्लूकोमा दिवस और ग्लूकोमा से जुड़े हुए नारों की तख्तियां लेकर चल रहे थे।
1- ग्लूकोमा को हराना है, हराना है हराना है।
2- आंखों को बचाना है, बचाना है, बचाना है।
3- उम्र जब चालीस साल, ग्लूकोमा चेक हर साल।
4- दादा - दादी नाना - नानी, ग्लूकोमा है खान दानी।
5- काला मोतिया समलबाई ग्बूकोमा का नाम है भाई।
6- नियमित जाँच और दवाई ग्लूकोमा का इलाज है भाई।
रैली के माध्यम ग्लूकोमा बीमारी पर आमजन को समय से उपचार करवाने के लिए जागरूक किया गया। क्योकि ग्लकोमा बड़ी ही खतरनाक बीमारी है, इस बीमारी में सबसे बड़ा दिक्कत यह होता है की कि जो व्यक्ति शुगर, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज के मरीज है उनको ये खतरा ज्यादा होता है और जिनकी उम्र 40 वर्ष या उससे ज्यादा होती है उन्हें अपनी आंखों ऑप्टिक नर्व को चेक कराना चाहिए, कई बार ऐसा होता है की मरीज को पता भी नहीं होता है और उसकी एक आंख ग्लूकोमा से खत्म हो जाती है और जब दूसरी आंख की बात आती है तो उन्हें कम दिखाई देने लगता है तो ऐसे में वह डॉक्टर के पास जाते है की कही उन्हें मोतियाबिंद तो नहीं हो गया।
ग्लूकोमा लाइलाज बीमारी है इसमें व्यक्ति को अंधता हो सकती है इस बीमारी को हम कंट्रोल कर सकते है अगर आप इसका इलाज करेंगे तो (दवा, लेजर सर्जरी) ये कंट्रोल रहेगा, अगर आप दवा छोड़ देंगे तो ये बढ़ जाएगा, जिससे व्यक्ति का दायरा कम हो जाता है और दायरा कम होने से व्यक्ति अपने अगल-बगल की चीजें नहीं देख सकता और इसका जांच ही एक मात्र उपाय है, जांच से ही आंखों को पता चल सकता है कि व्यक्ति ग्लूकोमा से ग्रसित है या नहीं है।