"काशी की तीन चीजें जगतगंज की कोठी, 225 वर्ष पूर्व की कने और आसमान में चमकता हुआ सूरज, 1799 में बाबू जगत सिंह द्वारा ब्रितानी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह के गवाह हैं। उस विद्रोह में मारे गए ब्रितानी अधिकारियों की कब्रे, आज भी मकबूल आलम रोड में स्थित है। संपूर्ण विद्रोह का केंद्र बिंदु बाबू जगत सिंह की कोठी की दीवारें उस विद्रोह के दस्तावेजों से आज भी सुशोभित हैं।
1799 के उस विद्रोह को इस उद्देश्य से डाक्यूमेंट्री में उतारा गया है कि आज की युवा पीढी उस शहादत से प्रेरणा लेकर राष्ट्र के लिए अपना सर्वस्व अर्पण करने के लिए हमेशा तैयार रहेगी। "द लास्ट हीरो आफ बनारस - बाबू जगत सिंह" पर आधारित यह डॉक्यूमेंट्री यूट्यूब के काशी दर्शन चैनल पर उपलब्ध है।" उपरोक्त बातें डॉ (मेजर) अरविंद कुमार सिंह ने सोमवार को जगतगंज कोठी, लहुराबीर में डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शन एवं पत्रकार वार्ता के अंतर्गत कही।
इस अवसर पर जगत सिंह रॉयल फैमिली प्रोजेक्ट (JSRFP) की ओर से वृत्तचित्र निर्माता / निदेशक डा० (मेजर) अरविन्द कुमार सिंह को सम्मानित किया गया।
टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन के संरक्षक अशोक आनंद ने जहां इस डॉक्यूमेंट्री को गाइडों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी से युक्त बतलाया। वहीं प्रदीप नारायण सिंह, राजपरिवार बाबू जगत सिंह की जिजीविषा की प्रशंसा की, जिनके जुझारु व्यक्तित्व से यह काशी का इतिहास काशी को प्राप्त हुआ।
अपने आभार उद्बोधन में प्रदीप नारायण सिंह, राजपरिवार ने डॉक्यूमेंट्री के निर्माता डॉ. (मेजर) अरविंद कुमार सिंह एवं बाबू जगत सिंह राज परिवार रिसर्च कमेटी के सदस्य गण अरविंद कुमार सिंह, श्रेया पाठक, राणा पीवी सिंह.त्रिपुरारी शंकर, डॉ हमीद अफाक कुरैशी का धन्यवाद ज्ञापन किया।