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'टाइम कैप्सूल' हुआ जमींदोज, 100 साल बाद बताएगा आज का इतिहास



 22/Feb/24

डैलिम्स सनबीम ग्रुप ऑफ स्कूल्स एंड हॉस्टल onfident रोहनियाँ वाराणसी शाखा के एम.पी.एच. में 'टाइम कैप्सूल' का उद्घाटन किया गया। उद्घाटन का शुभारंभ संस्था के अध्यक्ष डॉ. प्रदीप 'बाबा' मधोक के कर कमलों द्वारा किया गया। इस ऐतिहासिक अवसर पर संस्था की निदेशिका श्रीमती पूजा मधोक, अतिरिक्त निदेशक माहिर मधोक, अतिरिक्त निदेशिका श्रीमती अलीशा मधोक वालिया, श्रीमती फिजा मधोक, विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती गुरमीत कौर तथा संस्था के सभी शाखाओं के प्रधानाचार्य/प्रधानाचार्या, कोऑर्डिनेटर एवं शिक्षकगण उपस्थित रहे। तत्पश्चात विद्यालय की प्रधानार्चा श्रीमती गुरमीत कौर ने कहा कि यह समारोह एक ऐतिहासिक स्मृति बनेगा जो हमारी संस्कृति को समझाने में मदद करेगा।

शिक्षा के क्षेत्र में अनेक उपलब्धियों के लिए सुप्रसिद्ध डैलिम्स सनबीम ग्रुप ऑफ स्कूल्स अब 'टाइम कैप्सूल के लिए भी जाना जाएगा। संपूर्ण भारतवर्ष में अभी तक कोई भी शैक्षणिक संस्थान या विद्यालय इस तरह का ऐतिहासिक कदम नहीं उठाया है। 'टाइम कैप्सूल' को प्रतिस्थापित करने का मुख्य उद्देश्य है कि अपनी संस्कृति को सही तरह से संभालकर आने वाले सौ वर्षों के बाद की पीढ़ियों को सौपना।

इस हर्षपूर्ण अवसर पर संस्था के अध्यक्ष डॉ. प्रदीप 'बाबा' मधोक ने सभी आए हुए गणमान्य अतिथियों का हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन करते हुए 'टाइम कैप्सूल' के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि 'टाइम कैप्सूल' स्थापित करने की सोच के पीछे यह धारणा है कि आने वाले सौ वर्ष या 22वीं सदी के लोग भी आज की संस्कृति, आज के पहले का बनारस, मौजूदा बनारस के भौगोलिक, सांस्कृतिक धार्मिक आधुनिक जो भी हमारी चीजें हैं उसे अधिक से अधिक इकट्ठा करके धरती के नीचे सँजों कर रखें, ताकि आने वाली पीढ़ी ये जाने कि हमारे पूर्वजों के समय की महत्वपूर्ण चींजें कौन सी थीं।

'टाइम कैप्सूल' से अवगत कराते हुए संस्था की निदेशिका श्रीमती पूजा मधोक ने कहा कि पहले उस तरह की तकनीकी नहीं थी कि हमारे पूर्वज भी कुछ हमारे लिए संरक्षित किए होते, जिससे हमें उस समय की संस्कृति का पता चलता परंतु आज हमारा देश अत्यंत विकास कर चुका है, इसलिए अपनी सभ्यता व संस्कृति, अनुभव एवं अन्य दस्तावेजों को संग्रहित कर पा रहे हैं। जिससे सौ वर्ष के बाद की पीढ़ी जान पाएगी हमारी धार्मिक काशी, जो महादेव की नगरी है, वह पहले क्या थी?

इसी क्रम में 'टाइम कैप्सूल' को अमली जामा पहनाने वाले संस्था के अतिरिक्त निदेशक माहिर मधोक ने कहा कि हम लोगों ने यह सोचा कि 'टाइम कैप्सूल' में जो भी बनारस की, डैलिम्स सनबीम समूह के दस्तावेज़, कलाकृति, तस्वीरें जमीन के अंदर जाए वह खराब न हो सके। इसलिए हम लोग ऐसी सामग्री का प्रयोग कर रहें है कि उसमें संरक्षित की गई कोई भी वस्तु खराब न हो। यह 'टाइम कैप्सूल' सौ वर्ष पश्चात सन् 2124 में खोला जाएगा।

संस्था के अकादमिक डीन 'सुबोदीप डे' ने कहा कि इस उत्सवी समय में हम लोंगों को अपने एवं ऐतिहासिक यात्रा में डूबने का एक मौका मिलेगा, जहाँ हम अपने गौरवशाली अतीत आगामी कल के लिए निर्माण करेंगे।

अंत में प्रधानाचार्या डॉ. तुलिका सक्सेना ने सभी उपस्थित गणमान्य लोंगों को बधाई देते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया।


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