MENU

लाइलाज है फाइलेरिया बीमारी, 28 फरवरी तक चलेगा आईडीए अभियान



 17/Feb/24

चोलापुर  में 90000  व जैतपुरा बजट में 12000 से अधिक लोगों ने खाई फाइलेरिया से बचाव की दवा

सबको दवाई खिलाएंगे, हर एक को समझाएंगे। फाइलेरिया से बचाएंगे, सपने को सच बनाएंगे, देश खुशहाल बनाएंगे आदि संदेशों के साथ जनपद के चोलापुर ब्लॉक और जैतपुरा क्षेत्र में सामूहिक दवा सेवन अभियान संचालित किया जा रहा है। 28 फरवरी तक संचालित किए जा रहे इस अभियान के तहत स्वास्थ्यकर्मी घर-घर जाकर लक्षित आबादी को फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन करा रहे हैं। कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए इसकी समीक्षा मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी एवं नोडल अधिकारी डॉ एसएस कनौजिया के द्वारा प्रतिदिन की जा रही है।

जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) शरत चंद पाण्डेय ने बताया कि 10 फरवरी से शुरू हुए फाइलेरिया उन्मूलन के लिए ट्रिपल ड्रग थेरेपी आईडीए अभियान के तहत चोलापुर में लक्षित आबादी 2.81 लाख के सापेक्ष कार्यदिवस यानि चार दिनों में करीब 90 हजार (32 प्रतिशत) और जैतपुरा में लक्षित आबादी 66,200 के सापेक्ष अब तक 12,591 (19 प्रतिशत) लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन कराया जा चुका है। इस दौरान दवा खाने से इन्कार करने वाले लोगों को प्रेरित और व्यवहार परिवर्तन कर उन्हें भी स्वास्थ्यकर्मियों के सामने दवा का सेवन कराया जा रहा है। आशा कार्यकर्ता और फाइलेरिया पेशेंट प्लेटफॉर्म के सदस्यों के माध्यम से समुदाय को लगातार जागरूक किया जा रहा है। इस कार्य में डब्ल्यूएचओ, पाथ, पीसीआई और सीफार संस्था भी सहयोग कर रही है।

डीएमओ ने कहा कि फाइलेरिया एक ऐसी लाइलाज बीमारी है जिसे हाथीपांव के नाम से भी जानते हैं। यह गंदगी में पनपने वाले फाइलेरिया संक्रमित क्यूलेक्स मादा मच्छर के काटने से होता है। इसके लिए साल में एक बार व पांच साल तक लगातार फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन कर इस रोग से बचा जा सकता है। यह दवा प्रति वर्ष सामूहिक दवा सेवन अभियान के दौरान घर-घर खिलाई जा रही है। दो वर्ष से अधिक उम्र के प्रत्येक व्यक्ति को इस दवा का सेवन करना है। सिर्फ गर्भवती और अति गंभीर बीमार लोग दवा का सेवन नहीं करेंगे। उन्होंने बताया कि संक्रमित मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी का प्रयोग और घर के आसपास सफाई का रखा जाना जरूरी है। 

बायोलॉजिस्ट व फाइलेरिया नियंत्रण इकाई के प्रभारी डॉ अमित कुमार सिंह ने बताया कि यह बीमारी मच्छरों के काटने से होती है न कि किसी और वजह से ।इसका मच्छर रात में काटता है। इसलिए रात में मच्छरदानी लगाकर सोएं, फुल आस्तीन के कपड़े पहनें और मच्छररोधी क्रीम लगाएं। मच्छर गंदगी में पनपते हैं ऐसे में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें। उन्होंने बताया कि जिन लोगों में फाइलेरिया के सूक्ष्म परजीवी मौजूद हैं जब वह फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन करते हैं तो उन्हें सामान्य सरदर्द, शरीर में दर्द, बुखार, उल्टी और बदन में चकत्ते जैसी मामूली प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं । ऐसे लक्षण जिनमें नजर आ रहे हैं उन्हें घबराना नहीं चाहिए, बल्कि खुश होना चाहिए कि वह फाइलेरिया के संक्रमण से बच गए । ऐसे लक्षण आमतौर पर स्वतः ही समाप्त हो जाते हैं। अधिक समस्या होने पर आशा कार्यकर्ता के माध्यम से गठित चिकित्सकों की टीम से परामर्श लिया जा सकता है। 

फाइलेरिया के लक्षण- मच्छर काटने के 5 से 10 साल बाद रोगी के  हाथ या पैर में सूजन, पुरूषों के अंडकोष व महिलाओं के स्तन में सूजन आ जाती है। एक बार लक्षण प्रकट होने के बाद इस बीमारी का कोई उपचार संभव नहीं है । इसीलिए इस बीमारी से बचाने के लिए हर वर्ष फाइलेरिया से बचाव की दवा लोगों को खिलाई जाती है ।


इस खबर को शेयर करें

Leave a Comment

3365


सबरंग