आजकल देशभर में पाश्चात्त्य कुप्रथाओं के बढते अंधानुकरण के कारण नववर्ष गुढी पडवा के दिन न मनाकर 31 दिसंबर की मध्यरात्रि 12 बजे मनाने की कुप्रथा के कारण इस रात अनेक स्थानोंपर धूम्रपान, मदिरापान, मादक पदार्थों का सेवन आदि अप्रिय घटनाएं बढी हैं । इस रात मदिरापान कर तीव्रगति से वाहन चलाने से दुर्घटनाएं भी हो रही है । रातभर ऊंचे आवाजवाले पटाखे जलाकर प्रदूषण करना, कर्णकर्कश ध्वनिवर्धक चलाना, घिनौने गानों के तालपर अश्लील ढंग से नाचना, गाली-गलौच करना, लडकियों को छेडना आदि दुष्कृत्य करना आदि घटनाओं के कारण कानून और व्यवस्था की दृष्टि से गंभीर स्थिति उत्पन्न हो रही है । इसके कारण पुलिस विभाग एवं सामान्य प्रशासनपर अतिरिक्त तनाव आ रहा है ।
इन अप्रिय घटनाओं के कारण अनेक नागरिक, महिलाएं और युवतियों को घर से बाहर निकलना असंभव हो रहा है । सबसे गंभीर यह है कि इस रात्रि में अपने जीवन में मदिरापान करने का आरंभ करनेवालों की संख्या लक्षणीय है तथा उसमें अल्पायु बच्चे और महिलाएं भी अंतर्भूत हैं । इस कारण राष्ट्र की युवा पीढी ध्वस्त होने की कगारपर है । इन अप्रिय घटनाओं को रोकने हेतु आज हिन्दू जनजागृति समिति ने अन्य राष्ट्रप्रेमियों के साथ मिलकर जिलाधिकारी महोदय, आयुक्त महोदय तथा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन दिया । इस समय अधिवक्ता अरुण कुमार मौर्य आकृति सोसायटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, अधिवक्ता विकाश तिवारी संघ मुख्य शिक्षक जानकी शाखा वाराणासी, अधिवक्ता संजीवन यादव, अधिवक्ता स्वतंत्र सिंह, अधिवक्ता संतोष ठाकुर, अधिवक्ता सुनील मिश्रा, अधिवक्ता सुनील शर्मा, हिन्दू जागरण मंच के रवि श्रीवास्तव, सुराज्य भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष शुभम मिश्रा, सनातन संस्था से संदीप सिंह, हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. राजन केशरी तथा अन्य उपस्थित थे । साथ ही विनती की गई, कि 31 दिसंबर की रात में राज्य के प्रमुख पर्यटनस्थल, भुवनों जैसे ऐतिहासिक एवं सार्वजनिक स्थानोंपर धूम्रपान-मदिरापान करने और पार्टियां करनेपर प्रतिबंध लगाया जाए । साथ ही पुलिस प्रशासन की ओर से गश्तीदल चलाना, अप्रिय घटनाएं करनेवाले युवकों को बंदी बनाना, तीव्रगति से वाहन चलानेवालों के विरुद्ध कार्रवाई करना आदि उपाय कर से इन अप्रिय घटनाओंपर रोक लगाई जा सकती है । इस ज्ञापन के माध्यम से प्रशासन से यह अनुरोध किया गया कि आनेवाले 31 दिसंबर की रात होनेवाली अप्रिय घटनाओंपर प्रतिबंध लगाने हेतु इस जनजागृति अभियान के लिए प्रशासन भी सहयोग दें ।
नए वर्ष का आरंभ मंगलदायक हो; इस हेतु धर्मशास्त्र को समझ लेकर भारतीय संस्कृतिनुसार ‘चैत्र शुक्ल प्रतिपदा’को अर्थात गुढी पडवा को ब्राह्ममुहूर्त के पश्चात नववर्ष मनाना नैसर्गिक, ऐतिहासिक तथा आध्यात्मिक इन सभी दृष्टि से श्रेयकर व लाभदायक है । अतः पाश्चात्त्य विकृति के अंधानुकरण से होनेवाला भारतीय संस्कृति के अधःपतन को रोकना सबका परमकर्तव्य है ।