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जिलाधिकारी एस. राजलिंगम की अध्यक्षता में एक दिवसीय कृषक उत्पादक संगठन कार्यशाला (FPO) एवं तिलहन प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ आयोजन



 08/Feb/24

वाराणसी। जिलाधिकारी एस. राजलिंगम की अध्यक्षता में आयुक्त आडिटोरियम में बुधवार को कृषक उत्पादक संगठन (FPO) एवं तिलहन प्रशिक्षण का एक दिवसीय कार्यशाला/प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिलाधिकारी एस. राजलिंगमएवं मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल द्वारा वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कृषकों हेतु FPO की महत्ता के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए बताया गया कि FPO के माध्यम से किसान अपने खेतों में गुणवत्तायुक्त (जैविक विधि से उत्पादित) उत्पादों को उत्पादित करके स्थानीय बाजारों से लेकर देश एवं विदेश में एक्सपोर्ट करके अच्छे मूल्य प्राप्त करके अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। उन्होने यह भी बताया गया कि कृषकों को बाजार में मांग के अनुसार खेती करने की विधियो के बारे में जानकारी प्रदान करनी चाहिए। साथ ही मार्केंटिंग, एक्सपोर्ट, बैक ऋण, पूॅंजी लगाने आदि के बारे में जानकारी प्रदान की जाए तभी FPO की सार्थकता  सिद्ध होगी और कृषकों की आय में वृद्धि होगी। 
         कृषि विज्ञान केन्द्र कल्लीपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. एन० रधुवंषी द्वारा FPO से अपेक्षा की गयी कि तिलहन की खेती जनपद में बडे़ पैमाने पर करायी जाए। भारत वर्ष-20214-15 में 250 लाख मै०टन तिलहन का उत्पादन करता था जो बढ़कर 900 लाख मै०टन हो गयी है। तिलहन के उत्पादन हेतु सरसों बीज की बुवाई लाइन सोइंग से  किया जाना चाहिए, छिटुवा विधि से बुवाई की अपेक्षा लाइन सोइंग में बीज की मात्रा कम हो जाती है। जनपद में जया प्राडूसर कम्पनी (FPO) आराजी लाइन में स्थापित है नवीनतम प्रजाति के बीज उत्पादन के लिए जो कृषक इच्छुक हों वहाॅं पर पंजीकरण कराने के उपरान्त प्रशिक्षण प्राप्त कर, गुणवत्तापूर्ण प्रजाति के बीजों उत्पादन कर अपने बीज को खुले बाजार या विभाग को बेचकर अधिक आमदनी प्राप्त कर सकते हैं, साथ ही साथ सरसों माहूॅ रोग की रोक-थाम में बी०डी० साइड का छिड़काव किया जाना चाहिए। 
वरिष्ठ वैज्ञानिक भारतीय सब्जी अनुसंधान वाराणसी द्वारा FPO की जानकारी देते हुए बताया गया कि विदेशों में रंगीन सब्जियों की मांग बडे़ पैमाने पर है। हमारे यहाॅं 30 से 32 प्रकार की पत्तेदार सब्जी की खेती की जाती है, जबकि विदेशों में लगभग 600 पत्तेदार सब्जियों उगाई जाती हैं। जनपद स्तर पर पत्तेदार सब्जियों एवं रंगीन सब्जियों के उत्पादन को बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है। कृषि विपणन (निर्यात) द्वारा अवगत कराया गया कि  कृषि निर्यात को बढ़वा दिए जाने हेतु प्रत्येक ब्लाक में 50 हेक्टेयर क्षेत्रफल का चयन किया जा रहा है। जिसमें विभिन्न प्रकार की सब्जियों का उत्पादन कराकर विदेशों में सब्जियों का निर्यात किया जाएगा। निर्यात किए जाने पर वायु एवं जलयान पर 10 रू0 प्रति किग्रा एवं सड़क के माध्यम से निर्यात पर 5 रू0 प्रति किग्रा की दर से व्यय (खर्च) होगा। बडे पैमाने पर मिर्च का निर्यात किया जा रहा है।रबी में मटर का निर्यात किया जाएगा। जिससे कृषकों उनकी उपज का अच्छा दाम (रेट) प्राप्त हो सके।पशुपालन विभाग द्वारा अवगत कराया गया कि मुख्यमंत्री स्वदशी गौ-संवर्धन योजना अन्तर्गत कृषकों को प्रदेश के बाहर से स्वदेशी नश्ल यथा-गिर, साहीवाल, हरियाण एवम् थारपारकर की दो दुधारू गायांे की एक यूनिट को क्रय करने, परिवहन पर, ट्रांजिट बीमा पर, 03 वर्षो हेतु पशु बीमा पर, चारा काटने की मशीन के क्रय पर एवम् शेड निर्माण पर होने वाले कुल व्यय पर विभाग की ओर से 40 प्रतिशत (अधिकतम 80000.00 रू0) की अनुदान सहायता प्रदान की जाती है मुख्यमंत्री प्रगतिशील पशुपालन योजनान्तर्गत प्रगतिशील पशुपालकों को उन्नत नश्ल की स्वदशी गायो यथा-गिर, साहीवाल, हरियाणा, गंगातीरी एवं थारपारकर से निर्धारित मानक पर दुग्ध उत्पादन करने पर प्रति पशु मु० 10000.00 से मु0० 15000.00 रू० तक की प्रोत्साहन राशि एवं प्रमाण पत्र दिया जाता है। उक्त येाजना का लाभ लेने हेतु आवेदक की आयु 18 वर्ष से उपर होनी चाहिए । एक पशुपालक अधिकतम 2 गायों के लिए केवल एक बार ही लाभ लेगा। प्रोत्साहन/पुरस्कार राशि साहीवाल, गिर, थारपारकर, हरियाणा, गंगातीरी गाय हेतु प्रतिदिन 08 से 12 क्रि०ग्रा० तक दूध देने वाली पर रू० 10000 एवं 12 कि०ग्रा से अधिक दूध देने वाली पर रू० 15000 निर्धारित किया गया है ।
        संयुक्त कृषि निदेशक, वाराणसी मण्डल द्वारा बताया गया कि जनपद स्तर पर संचालित FPO की मुख्य चुनौतियों को देखते हुए विभिन्न विषयों के अलग-अलग विशेषज्ञों एवं वैज्ञानिकों को इस कार्याशाला में बुलाया गया है। यदि किसी को कोई समस्या हो उनकी समस्याओं का समाधान कार्यशाला में किया जाएगा। इस अवसर का लाभ उठाकर FPO अपनी आय के साथ जनपद के कृषकों की आयु में वृद्धि का मुख्य स्रोत बन सकते हैं। जिला कृषि अधिकारी द्वारा कार्यशाला का संचालन एवं उक्त कार्यशाला का संयुक्त कृषि निदेशक, वाराणसी मण्डल, वाराणसी के निर्देश के क्रम में समापन की घोषणा की गयी। 
       कार्यशाला/प्रशिक्षण में संयुक्त कृषि निदेशक, वाराणसी मण्डल के साथ-साथ मण्डल के जनपद स्तरीय अधिकारी उप कृषि निदेशक, जिला कृषि अधिकारी, जिला कृषि रक्षा अधिकारी, भूमि संरक्षण अधिकारी, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी मत्स्य, जिला उद्यान अधिकारी, क्षेत्रीय दुग्धशाला विकास अधिकारी, सहायक आयुक्त एवं सहायक निबन्धक सहकारी समितियाॅं, जिला अग्रणी बैंक वाराणसी मण्डल, वाराणसी, राष्ट्रीय बीज अनुसंधान वाराणसी एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी व मण्डल के जनपदों से 100-110 FPO के प्रतिनिधियों (सी०ई०ओ०) के साथ साथ- 80-90 प्रगतिशील कृषकों ने प्रतिभाग किया।


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