कोचिंग संचालक 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का नहीं ले सकेंगे दाखिला
केंद्र की मोदी सरकार ने देश भर में फैले कोचिंग संस्थान में पढ़ने वाले विद्यार्थियों पर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी को लेकर उनपर मानसिक दबाव के चलते हो रही आत्महत्या की घटनाओं के मद्देनज़र निजी स्कूल संचालकों और कोचिंग संस्थान के संचालकों नकेल कसने के लिए कैसी है तैयारी बता दें कि कोचिंग संस्थानों पर नकेल कसने के लिए केंद्र सरकार ने सबसे बड़े फैसले कोचिंग संचालकों को इस बात की ताकीद कर दिया गया है कि अब 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कोचिंग में दाखिला लेने पर पूरी तरह से प्रतिबन्धित होगा। इतना ही नहीं बल्कि सरकार ने ऐसी निजी स्कूल संचालकों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर लिया है जिन्होंने सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड से तीन-तिकड़म के सहारे मान्यता तो ले लिया है लेकिन उन विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को केवल सप्ताह में केवल एक ही दिन स्कूल में हाजिरी लगाने के लिए जाना होता है और शेष 5 दिनों तक उन्हें पढ़ाई में ऐसे कोचिंग संस्थान में जाकर पूरी करना होता है, जिनके साथ विद्यालय का कोई ऐसा अनुबंध होता है जिसमें कि इन विद्यार्थियों केवल ₹25 से ₹30,000 रूपये पूरे साल की फीस देकर उनका विद्यालय में फर्जी अटेंडेंस भरकर कोचिंग जाने की पूरी छूट दे दी जाती है।
आइये जानते हैं कि सरकार के फैसले से कोचिंग संचालकों में जहां एक रकम मच गया है वहीं दूसरी और एक स्कूल की मान्यता लेकर शिक्षा की दुकानदारी करने वाले शिक्षा माफिया भी सरकार के फैसले से मुसीबत में फंसने वाले हैं।
बताते चलें कि शिक्षा मंत्रालय द्वारा घोषित नए दिशा निर्देश के मुताबिक अब कोई भी कोचिंग संस्थान 16 साल से कम उम्र के विद्यार्थियों को अपने यहां दाखिल नहीं कर सकेंगे और अच्छे नंबर या रैंक दिलाने की गारंटी जैसे भ्रामक वादे भी नहीं कर सकेंगे।
इतना ही नहीं बल्कि कोचिंग संस्थानों को विनियमित करने के लिए दिशानिर्देश एक कानूनी ढांचे की आवश्यकता को पूरा करने और बेतरतीब तरीके से निजी कोचिंग संस्थानों की बढ़ोतरी को रोकने के लिए हैं। मंत्रालय ने यह दिशानिर्देश विद्यार्थियों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों, आग की घटनाओं, कोचिंग संस्थानों में सुविधाओं की कमी के साथ-साथ उनके द्वारा अपनाई जाने वाली शिक्षण पद्धतियों के बारे में सरकार को मिली शिकायतों के बाद तैयार किए हैं। दिशानिर्देश में साफ तौर पर कहा गया है कि ‘‘कोई भी कोचिंग संस्थान स्नातक से कम योग्यता वाले शिक्षकों को नियुक्त नहीं करेगा, कोचिंग संस्थान विद्यार्थियों के नामांकन के लिए माता-पिता को भ्रामक वादे या रैंक या अच्छे अंक की गारंटी नहीं दे सकते।
सरकार के इस फैसले के बाद सर्व शिक्षा की राजधानी काशी के कबीर नगर कोचिंग मंडी के ऐसे फर्जी कोचिंग संचालक को अब पूरी तरह दबोचा जाएगा जो प्रतिवर्ष मेडिकल और इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा में सर्वश्रेष्ठ परिणाम का विज्ञापन प्रकाशित कराकर अपने विज्ञापनों के भ्रम जाल में फसाने के लिए ऐसे विद्यार्थियों फोटो और परीक्षा परिणाम प्रकाशित करते हैं जिसने कभी उसे कोचिंग में पढ़ाई ही नहीं किया है।
कुल मिलाकर सरकार के नए दिशानिर्देश के बाद अब कोचिंग संस्थान, कोचिंग की गुणवत्ता या उसमें दी जाने वाली सुविधाओं या ऐसे कोचिंग संस्थान या उनके संस्थान में पढ़े छात्र द्वारा प्राप्त परिणाम के बारे में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी दावे को लेकर कोई भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित नहीं कर सकते हैं या प्रकाशित नहीं करवा सकते हैं या प्रकाशन में भाग नहीं ले सकते हैं।
ऐसे में स्कूल संचालक बिना अध्यापकों के ही हाई स्कूल, इंटर के क्लासरूम का संचालन कागजों पर तो करते हैं लेकिन अपने यहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों को कोचिंग का ही सहारा रहता है।