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कातिल चाइनीज मंझे का परित्याग करें : मंहत संत स्वामी प्रेम स्वरूप दास जी



 05/Jan/24

वाराणसी। यूं तो प्रतिबंधित चाइनीज कातिल मंझा साल के 12 महीने बाजार में चोरी-चुपके बेधड़क बिक रहे हैंI आगामी पर्व मकर संक्रांति पर पतंगों का पर्व को देखते हुए गाहे-बगाहे लोगों के गले का फ्रांस बने जानलेवा प्रतिबंधित कातिल चाइनीज मांझा के बिक्री पर रोक का कड़ाई से पालन कराने कि प्रशासन से मांग को लेकर मछोदरी स्थित श्री स्वामीनारायण मंदिर के मंहत संत स्वामी प्रेम स्वरूप दास जी के आवाह्न पर सामाजिक संस्था सुबह-ए-बनारस क्लब के बैनर तले संस्था के अध्यक्ष मुकेश जायसवाल, कालेज की प्रधानाचार्या डॉ प्रियंका तिवारी, उपाध्यक्ष अनिल केसरी, कोषाध्यक्ष नंदू जी टोपी वाले के नेतृत्व में मैदागिन स्थित श्री हरिश्चंद्र बालिका इंटरमीडिएट कॉलेज के परिसर में छात्राओं के बीच हाथों में बैनर व पतंग लेकर अपने अपने भाइयों और आसपास के पड़ोसियों को प्रतिबंधित चाइनीज मांझा से पतंग ना उड़ाने के अपील के साथ जागरूक करने के उद्देश्य से एक जन जागरूकता अभियान चलाया गया। उपरोक्त अवसर पर बोलते हुए संत स्वामी प्रेम स्वरूप दास जी, संस्था के अध्यक्ष मुकेश जायसवाल, कॉलेज की प्रधानाचार्या डॉ प्रियंका तिवारी, उपाध्यक्ष अनिल केसरी, कोषाध्यक्ष नंदू जी टोपी वाले ने कहा कि पतंग उड़ाने का शौक सदियों से चला रहा है मगर वही शौक जब जानलेवा बन जाए जिसके कारण इंसान तो इंसान बेजुबान निरिह पशु-पक्षी इसके मकड़जाल में फंसकर अपनी प्राण को त्यागते हैं यह अपराध की श्रेणी में आता है शासन प्रशासन वक्त वक्त पर इसके खिलाफ कार्रवाई करती रहती है। पतंग के शौकीनों से विनम्र अपील है कि जनहित में मानवता को देखते हुए विदेशी मांझा का परित्याग कर अपने शौक को स्वदेशी मांझा से पूरा करें। ज्ञात हो कि न्यायालय के द्वारा रोक के आदेश के बावजूद धड़ल्ले से बिक रहे प्रतिबंधित मांझा का खतरा इंसानों के साथ बेजुबान पशु-पक्षियों के ऊपर साल के 12 महीने मंडराता रहता है। कई अनगिनत घटनाएं हो चुकी है, जिसमें मासूम बच्चे, युवक व वृद्ध की मौतें भी हो चुकी हैंI घायलों की गिनती ही नहीं है। इस जानलेवा मांझे से इतने लोगों की मृत्यु हो चुकी हैI जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता। ज्ञात और अज्ञात रूप में कई लोग गंभीर रूप से इसके शिकार हो चुके हैं, और हो रहे हैं।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से :- मुकेश जायसवाल, डॉ.प्रियंका तिवारी, अनिल केसरी, नंदू टोपी वाले, श्याम दास गुजराती, ललित गुजराती, बी.डी. टकसाली सहित सैकड़ों छात्राएं शामिल थी।

 


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