खादी के सिले-सिलाये परिधान सहित ग्रामोद्योगी उत्पादों की अच्छी रेंज भी है उपलब्ध
उ.प्र. खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा "खादी उत्सव-2023" का चौकाघाट स्थित सांस्कृतिक संकुल के अर्बन हॉट प्रांगण में पिछले 11 दिनों से चल रहा है, जो आगामी 4 जनवरी तक अनवरत चलता रहेगा। इसमें रोजाना खरीददारों की भारी भीड़ हो रही है, जिसमें अब तक लगभग 3.50 करोड़ रुपए की बिक्री हो चुकी है।
बताते चलें कि खादी कपड़े की उत्पत्ति भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के समय महात्मा गांधी द्वारा किया गया था। उन्होनें खादी को एक आंदोलन का रूप दिया।
और इससे देश की स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता के लिये किया। आत्मनिर्भरता और स्वाभिमान के प्रतीत महात्मा गाँधी खादी को मानते थे, उन्होने खादी को एक ऐसा आंदोलन का रूप दिया, जो देश के लोग स्वदेशी कपड़ों को पसंद करने और उन्हें खुद बनाने के लिए प्रेरित किया। अर्बन हॉट प्रांगण में हर किस्म के खादी उपलब्ध है, जिसमें खादी के स्टालों मे ऊनी शाल, सिल्क की साडियां सूती खादी के वस्त्र, कम्बल, कुर्ता, शदरी, गदद्दा, रजाई, चादर, कारपेट एवं सिले- सिलाये खादी के परिधान उपलब्ध हैं एवं ग्रामोद्योगी उत्पादों में लगने वाले स्टाल में जैम, जेली, आचार, मुरब्बा, अगरबत्ती, नमकीन, लकड़ी के फर्नीचर, आलमारी बक्सा आयुर्वेदिक औषधी, दर्द निवारक तेल इत्यादि उपलब्ध है। खादी उत्सव मेला में आने वाले लोगों के मनोरंजन का भी पूरा ख्याल रखा गया है, रोजाना सायंकाल सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होता है, इसी श्रृंखला में रविवार को कथक नृत्य की प्रस्तुति संदीप मौर्या एवं साथी कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया गया।