उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, प्रयागराज एवं दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, तंजावूर, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा नमो घाट पर "काशी तेलगु संगमम" का आयोजन किया गया। उक्त आयोजन में तेलंगाना से आये लगभग 90 कलाकारों द्वारा विभिन्न प्रस्तुतियां दी गयी। कार्यक्रम का शुभारम्भ केन्द्र के निदेशक प्रो0 सुरेश शर्मा द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में प्रथम प्रस्तुति रहीं तेलंगाना के पी रमेश एवं दल द्वारा कोम्मु कोया नृत्य की। यह नृत्य जनजाति लोक कलाकारों द्वारा किया जाता है। द्वितीय प्रस्तुति रही जी हिमागिरी एवं दल द्वारा लंबाड़ी नृत्य की, यह नृत्य की खास बात यह है कि इसमें नृत्यांगन विशेष रूप से महिलाओं के बीच एक सामूहिक प्रदर्शन होता है, जो उनके समृद्धि और एकता के भावनात्मक संवेदनशीलता को प्रमोट करता है। इसी क्रम में तृतीय प्रस्तुति रहीं के सुदर्शन एवं दल द्वारा गुस्साड़ी नृत्य की। इस नृत्य का एक विशेष विशेषता यह है कि इसमें कलाकार अपने आत्मा के साथ एकाग्र होते हैं और भावनाओं को अभिव्यक्त करते हैं। गुस्साड़ी नृत्य का उद्दीपन शिव-पार्वती कथाओं, पुराणों और स्थानीय गाथाओं से होता है जो सामाजिक संदेशों और शिक्षाओं को साझा करने का कार्य करते हैं। चतुर्थ प्रस्तुति रहीं एलन जंपैया एंव दल द्वारा मथुरी लोक नृत्य का। यह नृत्य तेलंगाना का एक प्रमुख लोक नृत्य है, जो इस राज्य की सांस्कृतिक धारा को दर्शाता है। यह नृत्य तेलंगाना के गाँवों और नगरों में मनाए जाने वाले स्थानीय त्योहारों और समारोहों में प्रमुख रूप से प्रदर्शित होता है। पाचवीं प्रस्तुति रही डॉ. वनाजा उदय एवं दल द्वारा कुचिपुड़ी नृत्य की। छवीं प्रस्तुति रहीं श्रीमती जी हारिका एवं दल द्वारा डप्पुलु नृत्य की। डप्पुलु नृत्य का महत्वपूर्ण हिस्सा डप्पुलु महिला नृत्य है, जो आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के क्षेत्र में प्रमुख लोकनृत्यों में से एक है। डप्पुलु महिला नृत्य में, महिलाएं अपनी परंपरागत वेशभूषा में नृत्य करती हैं, जिसमें रंगीन साड़ियाँ और सुंदर आभूषण शामिल होते हैं। सातवीं एवं अन्तिम प्रस्तुति रहीं कृष्णा एवं दल द्वारा ओग्गु ढोल नृत्य की। कार्यक्रम का संयोजन प्रो. सुरेश शर्मा निदेशक उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र द्वारा किया गया। अन्त में धन्यवाद ज्ञापन किया कार्यक्रम अधिशाषी अजय गुप्ता ने तथा कार्यक्रम का संचालन किया अंकिता खत्री ने।