भूमा अध्यात्म पीठम में 31वां निर्वाण दिवस महोत्सव
अनंत श्री विभूषित स्वामी भूमानंद तीर्थ महाराज के 31वें निर्वाण दिवस के अवसर पर केदारघाट स्थित भूमा अध्यात्म पीठम मठ में पूज्य संत अच्युतानंद तीर्थ महाराज के सानिध्य में चल रहे श्रीमद् देवीभागवत महापुराण के चौथे दिन आज कथा मर्मज्ञ वेदप्रकाश शुक्ला ने राजा शांतनु व वेदव्यास प्रसंग में कहा कि गुरुजनों, महापुरुषों एवं आदरणीय पुरुषों के सम्मुख जब भी बैठे तो मन में उनके प्रति सेवा, सत्कार एवं सम्मान की भावना हो। यदि मन में उनके लिए उपेक्षा का भाव आया तो वह निश्चित ही पतन का कारण बनता हैं। उन्होंने कहा कि प्राणियों को विमोहित करने वाली जो शक्ति है वही माया है। और संसार को संचालित करने वाली तथा प्राणियों में स्पंदन आदि का संचार करने वाली पराम्बा शक्ति है। वही तत्वज्ञानमयी तथा संसार से मुक्ति दिलाने वाली भी हैं।माया के वशीभूत जीव जब उस परमा शक्ति की अपेक्षा करता है। तब जीव मोहात्मिका माया के प्रभाव से विषयों में आसक्त हो अवनति को प्राप्त होता है। पराम्बा भगवती की उपासना एवं कथा श्रवण से मनुष्य के सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।
प्रारंभ में व्यासपीठ का पूजन सुमन कुठियाला ने की। इस अवसर पर श्री रामाश्रम महाराज प्रयागराज सर्वेश्वर ब्रह्मचारी पंडित सतीश चंद्र मिश्र वशिष्ठ उपाध्याय मदन शर्मा सुनील केष्टवाल अश्वनी खत्री दीपक तिवारी सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।