इलाज के दौरान खर्च हुए व्यय को तत्काल नियम अनुसार वापस किया जाए नहीं तो मान्यता होगी रद्द
आयुष्मान भारत - प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) एवं मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना ल(एमएमजेएवाई) के अंतर्गत सूचीबद्ध चिकित्सालय में भर्ती सभी लाभार्थियों या मरीजों को नियमानुसार निःशुल्क इलाज़ की सुविधा प्रदान की जाए। लाभार्थियों द्वारा इलाज़ के दौरान खर्च हुए व्यय को तत्काल नियमानुसार वापस किया जाए अन्यथा की स्थिति में चिकित्सालय के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। इसके साथ ही योजना में चिकित्सालय की आबद्धता निरस्त करने के लिए स्टेट एजेंसी फॉर हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (साचीज़) के उच्च अधिकारियों को सूचित करते हुए जिला स्तरीय स्थानीय पंजीकरण भी निरस्त कर दिया जाएगा। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी का।
सीएमओ ने शुक्रवार को सीएमओ कार्यालय में बैठक कर योजना से जुड़े चिकित्सालय में लाभार्थियों के उपचार के लिए विभिन्न दिशा निर्देश दिए। सीएमओ ने कहा – “सूचीबद्ध चिकित्सालय में आने वाले सभी रोगियों से इस आशय का सहमति पत्र अनिवार्य रूप से लिया जाए कि "रोगी आयुष्मान कार्ड धारक है अथवा नहीं"। समस्त आबद्ध चिकित्सालय द्वारा आयुष्मान भारत योजना संबंधित प्रचार-प्रसार के लिए सूचना, शिक्षा व संचार (आईईसी) सामग्री, हेल्प डेस्क, कियोस्क को अद्यतन (अपडेट) करते हुये कार्यालय में सूचित किया जाए। बनाई गई हेल्प डेस्क पर आयुष्मान मित्र की उपस्थिति के साथ-साथ उनके व चिकित्सालय के दूरभाष नंबर को भी प्रदर्शित किया जाए। यू०पी० क्लीनिकल एस्टेबलिशमेंट (रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन) नियम 2016 की धारा 28 (डिस्प्ले ऑफ इन्फॉर्मेशन) का अनुपालन सुनिश्चित करते हुये चिकित्सालय परिसर में चिकित्सा इकाई का योजनांतर्गत स्पेशियलिटी रजिस्ट्रेशन नंबर, संचालक का नाम, बेड की संख्या, औषधि की पद्धति एवं चिकित्सालय द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं तथा चिकित्सा कर्मचारीवृद (चिकित्सक, नर्स आदि) का विवरण डिस्प्ले बोर्ड पर प्रदर्शित करें, जिसका बैकग्राउंड पीला (फॉर्मेट), हिन्दी अक्षर का रंग काला हो। डिस्प्ले बोर्ड चिकित्सालय के मुख्य द्वार के पास प्रदर्शित कराया जाए। सीएमओ ने कहा कि विगत कुछ समय से यह भी देखा जा रहा कि छह माह से पूर्व निरस्त किये गये दावों (क्लेम) को रद्द (रिवोक) किये जाने का अनुरोध किया जाता है, साचीज से प्राप्त निर्देश के क्रम में ऐसे निरस्त दावों पर नियमानुसार विचार नहीं किया जाएगा।
अपर जिलाधिकारी (प्रोटोकॉल) की अध्यक्षता में गठित जिला शिकायत निवारण समिति (डीजीआरसी) के बैठक में प्रस्तुत किए गए दावा प्रपत्रों पर लिए गए निर्णय पर असंतुष्टि के उपरान्त उच्चस्तर पर राज्य शिकायत निवारण समिति (एसजीआरसी) के समक्ष अग्रिम अपील चिकित्सालय के द्वारा प्रस्तुत की जा सकती है। इसके लिए अधिकतम सीमा अवधि 30 दिन है। समिति के समक्ष अक्सर निम्न कमियाँ पायी जाती हैं, जिनका निवारण सरलता से करते हुए योजना का सम्पूर्ण लाभ लिया जा सकता है यथा-
• मरीज को आईसीयू एचडीयू से ही सीधा डिस्चार्ज करना।
• हिस्टोपैथोलॉजी एक्जामिन (एचपीई)रिपोर्ट संलग्न न करना।
• भर्ती व डिस्चार्ज के समय आधार बायो-औथ न करना।
• समयांतर्गत क्वेरीज़ अपडेट नहीं करना।
• एक साथ दो पैकेज सिलेक्ट करना।
• ओ०पी०डी० के आधार पर उपचार किए जा सकने वाले केस को भी आई०पी०डी० में दिखाना।
• मरीज का पिछला रिकॉर्ड चेक किए बिना मिलते-जुलते पैकेज में दोबारा अल्प अवधि में ही प्री-औथराइजेशन के लिए आवेदन करना।
इस वजह से समस्त आबद्ध चिकित्सालयों से यह अपेक्षा की जाती है कि कोई भी निरस्त क्लेम जिला तथा राज्य शिकायत निवारण समिति को रद्द करने के लिए प्रेषित करने से पूर्व उपरोक्त बिन्दुओं को ध्यान में रखा जाए।
साथ ही सीएमओ ने कहा कि समस्त चिकित्सालयों में आंतरिक परिवाद समिति का गठन किया जाए जिस समिति की अध्यक्ष कोई वरिष्ठ महिला सदस्य नामित हो तथा अध्यक्ष सहित समिति में महिलाओं की संख्या अधिक हो। इसके अलावा चिकित्सालय के स्तर पर शिकायत समिति गठित कर लिया जाए। चिकित्सालय के मुख्य द्वार पर शिकायत पेटिका भी लगाई जाए।