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असंतुलित मात्रा में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग किये जाने से जल एवं वायु प्रदुषण में हो रही वृद्धि, पशु, मानव एवं फसलों पर भी पड़ रहा हानिकारक प्रभाव : सीडीओ



 28/Oct/23

वाराणसी। रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय भारत सरकार द्वारा वर्ष 2023-24 से 2025-26  तक क्रियान्वयन हेतु पीएम प्रणाम योजना प्रस्तावित की गयी है। योजनान्तर्गत आगामी 03 वर्षों में रसायनिक उर्वरकों (डीएपी, यूरिया, एनपीके एवं एमओपी) के स्थान पर वैकल्पिक उर्वरकों यथा-नैनो तरल यूरिया/नैनो तरल डीएपी, सल्फर कोटेड यूरिया(यूरिया गोल्ड) एवं सिंगल सुपर फास्फेट को बढ़ावा देने तथा कृषकों को संतुलित मात्रा में उर्वरकों के उपयोग एवं रासायनिक उर्वरको के स्थान पर वैकल्पिक उर्वरकों के महत्व के विषय में किसान पाठशाला एवं मेला/गोष्ठियों के माध्यम से जागरूक किये जायेगे। उक्‍त जानकारी मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल ने देते हुए बताया कि उक्त के क्रम में जनपद के समस्त किसान भाइयों एवं कृषक उत्पादक संगठनों को बताया है कि कृषि क्षेत्र में असंतुलित मात्रा में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग किये जाने के कारण मृदा स्वास्थ्य, कृषि उत्पादों एवं पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। साथ ही साथ जल प्रदुषण एवं वायु प्रदुषण मे बृद्धि होने के कारण पशु, मानव एवं फसलों पर भी हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने किसान भाइयों से अपील की है कि वे मृदा परीक्षण के आधार पर वैज्ञानिक संस्तुतियों के अनुसार फसलों में संतुलित उर्वरक का प्रयोग करें तथा यूरिया, डीएपी, एनपीके एवं एमओपी के स्थान पर वैकल्पिक उर्वरकों यथा-नैनो तरल यूरिया/नैनो तरल डीएपी, सल्फर कोटेड यूरिया (यूरिया गोल्ड), सिंगल सुपर फास्फेट, हरी खाद, जैविक खाद, वर्मी कम्पोस्ट एव फसल चक्र को अपनायें तथा जैविक एवं प्राकृतिक खेती की विधा को भी अपनाते हुए खेती करें। इससे खेती के लागत में कमी आयेगी तथा मृदा एवं पर्यावरण के स्वास्थ्य मे सुधार होने साथ-साथ जो उत्पाद प्राप्त होगा, वह उच्च गुणवत्ता युक्त एवम् मानव स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होगा, जिसका बाजार मूल्य भी अधिक प्राप्त होगा, जिससे आप सभी के आय में भी वृद्धि होगी। इसी के साथ जनपद के कृृषि, उद्यान, पशुपालन, मत्स्य एवं सहकारिता विभाग के अधिकारियों/क्षेत्रीय कर्मचारियों को निर्देशित किया है कि जनपद में संचालित किसान पाठशाला, ग्राम पंचायत/न्याय पंचायत एवं जनपद स्तरीय गोष्ठी और समाचार पत्र/पत्रिकायें, कृषक उत्पादक संगठनों, इफको कृषक सेवा केन्द्र, पीसीएफ कृषक सेवा केन्द्र, साधन सहकारी समितियों, औद्यानिक समितियों, निजी फुटकर उर्वरक केंद्रों के माध्यम से कृषको में वैकल्पिक उर्वरकों यथा-नैनो तरल यूरिया/नैनो तरल डीएपी, सल्फर कोटेड यूरिया (यूरिया गोल्ड) एवं सिंगल सुपर फास्फेट अन्य जैविक उत्पाद के उपयोग हेतु प्रोत्साहित किया जाये। साथ ही समस्त उर्वरक विनिर्माता कम्पनी/विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों को निर्देशित किया है कि थोक एवं रिटेल उर्वरक बिक्री केन्द्रो पर उपरोक्तानुसार बैनर लगवाने एवं कृषको को वास्तविकता से अवगत कराये जाने की भी व्यवस्था सुनिश्चित करें।


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