विधर्मी मतातंरित लोगों को जनजातीय सूची से हटाकर सनातनी जनजातीय समाज की धर्म संस्कृति, परम्परा के संरक्षण व संवर्धन हेतु देवाधिदेव महादेव से प्रार्थना ।
वाराणसी। देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी में द्वादश ज्योर्तिर्लिंग में एक तीनों लोकों के स्वामी आदि विश्वेश्वर देवाधिदेव महादेव काशी विश्वनाथ व काशी विश्वनाथ न्यास सम्पूर्ण जगत में सनातन, धर्म, संस्कृति, परम्परा के संरक्षण व संवर्धन का प्रतीक है। जब-जब देश में धर्म का क्षरण हुआ है तथा विधर्मी शक्तियों का उत्थान हुआ है। सम्पूर्ण देश को काशी से मार्गदर्शन प्राप्त हुआ है तथा विप परिस्थितियों में भी लम्बे संघर्ष के बाद अपनी धर्म, संस्कृति, परम्परा के आधार पर जीवन व्यतीत करने वाले समाज को संरक्षण प्राप्त हुआ है। लम्बी गुलामी के बाद जब देश स्वतन्त्र हुआ तब देश चलाने के लिये बने संविधान के निर्माताओं ने प्राचीन सनातन संस्कृति, परम्परा को साकार रुप में जीवन व्यवहार में जीने वाले गिरिवासी, वनवासी, आदिवासी, जनजातीय समाज को उनकी धर्म, संस्कृति, परम्परा, रीति रिवाज को संरक्षण व संवर्धन प्रदान करते हुये अनुसूचित जनजाति का दर्जा के साथ-साथ विशेष अधिकार दिये गये किन्तु कालान्तर में सीधे-साधे, भोले-भाले आदिवासियों को प्राप्त विशेषाधिकार व विशेष सुविधा (आरक्षण) पर धर्म, संस्कृति, परम्परा, रीति रिवाज को न मानने वाले विधर्मी मतांतरित, धर्मांतरित लोगों द्वारा कूटरचित तरीके से कब्जा कर लिया गया। जनजाति समाज को प्राप्त 90 प्रतिशत अधिकारों को मतांतरित, धर्मांतरित लोगों द्वारा हड़प लिया गया तथा उनकी अज्ञानता का भरपूर लाभ उठाया गया, जिसके कारण पढ़ने लिखने व जागरुक होने के बावजूद समाज सुविधाओं से वंचित होता जा रहा है। बार-बार सरकारों को 1966-67 में डा० कार्तिक उराव से लेकर गणेशराम भगत तथा 456 सांसदों, 1122 ब्लाकों, 60112 गावों द्वारा पत्र देने के बावजूद जनजातीय अधिकारों का निरन्तर अतिक्रमण चल रहा है, जिसके कारण वह सबल होने के बजाय निर्बल होते जा रहे हैं।
इसी सिलसिले को लेकर आज विश्वनाथ धाम में एक प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया। उक्त कार्यक्रम की अध्यक्षता सचिव सुनील कुमार वर्मा ने की। उन्होंने बताया कि पिछड़े जनजाती व वनवासी लोगों को जिन्हें कभी काशी आने का सौभाग्य नहीं मिला है उन्हीं लोगों को जोड़ते हुए यह कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। लगभग 1200 से अधिक की संख्या में पूरे यूपी से जुड़े वनवासी लोग उक्त कार्यक्रम के हिस्से में भाग लेंगे। और बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक करेंगे।
आगे बोलते हुए प्रेसवार्ता में कहा गया कि पूर्व शासन की कार्यशैली से निराश होकर उत्तर प्रदेश का जनजातीय समाज व उससे सहानुभूति रखने वाले लोग परम्परागत बैगा पुजारी, धर्माचार्य तथा जनजातीय समूहों के प्रमुख कार्यकर्ताओं द्वारा देवाधिदेव महादेव की शरण में आना हुआ है।