उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने अयोध्या से 15 हजार के इनामी ठग अनूप चौधरी को गिरफ्तार किया है। महाठग शब्द सुनते ही अब तक दो ही नाम जेहन में आते थे, पहला नटवरलाल और दूसरा सुकेश चंद्रशेखर, अब इस कड़ी में तीसरा नाम भी जुड़ गया है। यह नाम समाजवादी पार्टी, सपा और भारतीय जनता पार्टी के करीबी रहे अनूप चौधरी का है। यह वही अनूप चौधरी है जिसकी चार राज्यों की पुलिस तलाश कर रही थी। जबकि वह खुद उत्तर प्रदेश पुलिस की सुरक्षा में खुलेआम घूम रहा था। यही नहीं वह खुद को बीजेपी का वरिष्ठ नेता और रेल मंत्रालय की क्षेत्रीय रेल उपभोक्ता सलाहकार समिति व भारतीय खाद्य निगम का सदस्य बताकर अधिकारियों की आंख में धूल भी झोंक रहा था। अनूप चौधरी पर फर्जी तरीके से सरकारी सुविधा और सुरक्षा लेने का आरोप है। जानकारी के मुताबिक उसने पिछले 4 साल में गाजियाबाद पुलिस से 8 बार गनर लिए। इतना ही नहीं उस पर सरकारी प्रोटोकॉल का रौब दिखाकर फर्जी तरीके से लोगों से धन उगाही का भी आरोप है। अनूप चौधरी के एक साथी को भी गिरफ्तार किया है।
उसका रुतबा ऐसा था कि बड़े से बड़े अधिकारी भी उससे सवाल पूछने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे। हालांकि अब जब एसटीएफ ने इस शातिर जालसाज को अरेस्ट किया। उसके कारनामों को उजागर किया तो वही अफसर हैरान हैं। दरअसल बीते चार साल में करोड़ों रुपये की ठगी को अंजाम देने वाले इस अनूप चौधरी ने उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और राजस्थान के दो दर्जन से अधिक आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को बेवकूफ बनाकर सरकारी सुविधाएं हासिल की है। इसके लिए वह अफसरों को अपने पदनाम वाला फर्जी लेटरपैड ईमेल के जरिए भेजता था। फिर इन्हीं सुविधाओं का तामझाम दिखाकर उसने इन चारो राज्यों में ठगी की 10 से अधिक वारदातों को अंजाम दिया है।
दरअसलए यूपी सरकारी कार्यों को लोगों तक पहुंचाने के नाम पर संगठित अपराध में शामिल गिरोह की शिकायत मिली थी। जिसके बाद जांच में अनूप चौधरी का नाम भी सामने आया, जारी प्रेस नोट के मुताबिकए अनूप फर्जी तरीके से खुद को रेल मंत्रालय का सदस्य बताकर आम जनता से सरकारी कामने कराने के नाम पर ठगी करता था। उसने अब तक कई लोगों से करोड़ों रुपए की ठगी की है। इसके साथ ही अपने फर्जी रसूख के दम पर सरकारी गनर लेकर भी चलता था।
अनूप के खिलाफ तीन राज्यों उत्तर प्रदेशए उत्तराखंड और राजस्थान में पहले से 9 केस दर्ज हैं। उत्तराखंड पुलिस ने तो उसके सिर पर 15000 रुपए का इनाम भी घोषित कर रखा है।
इसके साथ ही उसके खिलाफ अयोध्या के कैंट थाने में आईपीसी की धारा 419ए 420ए 467ए 468ए 471 और 120 बी के तहत मामला दर्ज किया गया है।
अनूप 6 दिसंबर 2020, 18 दिसंबर 2020, 20 अगस्त 2022, 30 अगस्त 2022, 27 फरवरी 2023, 10 जुलाई 2023 और 14 सितंबर 2023 को भी गनर हासिल करने में कामयाब रहा।
अनूप ने खुद को उत्तर रेलवे का प्रदेश सदस्य, फिल्म विकास परिषद, भारतीय खाद्य निगम की सलाहकार समिति का सदस्य के फर्जी लैटरहेड लगाकर भी गनर हासिल किया। हर बार अनूप चौधरी ईमेल भेजता था और गाजियाबाद पुलिस उसे गनर दे देती थी।
अनूप चौधरी को गनर देने के मामले ने गाजियाबाद पुलिस की भी लापरवाही सामने आई है। पूरे कमिश्नरेट सिस्टम की कार्यशैली सवालों के घेरे में है। अनूप यहां का रहने वाला नहीं था, वो जब भी गाजियाबाद आता थाए उससे पहले ही फर्जी लेटरहेड लगाकर एक ईमेल भेजता था। अफसर भी उसके लेटरहेड की कोई जांच नहीं करवाते थे और उसको गनर दे देते थे। कहा जा रहा है कि अनूप चौधरी कई अफसरों का खास भी थाए इस वजह से उसे गनर मिलने में कोई समस्या नहीं आती थी।
आम जनता को झांसे में लेकर ठगी करने के लिए अनूप चौधरी ने एक कंपनी बना रखी थी। खुद को बीजेपी का सक्रिय सदस्घ्य दिखाने के लिए वघ्ह अपने ट्विटर और फेसबुक पेज पर लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्घ्य बड़े नेताओं की योजनाओं की सराहना करता रहता था। अयोध्या में सोमवार देर रात जब यूपी एसटीएफ ने अनूप को अरेस्ट किया। उस समय वह मंदिर में दर्शन के लिए जा रहा था। स्कॉर्पियो गाड़ी में आगे की सीट पर पवन कुमार नाम का सरकारी गनर बैठा हुआ था। उसने एसटीएफ को बताया कि उसकी तैनाती गाजियाबाद पुलिस में है। अनूप चौधरी अयोध्या के सर्किट हाउस में भी ठगी के धंधे को लेकर रुका हुआ था। वह लखनऊ के कारोबारी सतेंद्र वर्मा को झूठ बोलकर अयोध्या ले आया था। एसटीएफ से पूछताछ में सतेंद्र ने बताया कि अनूप और उनकी मुलाकात एयरपोर्ट पर हुई थी। वह तीर्थस्थलों पर दर्शन करवाने के लिए हेलीकॉप्घ्टर सेवा को लेकर एक कंपनी बनाना चाहता था। वह उनको इस कंपनी का पार्टनर बनाना चाहता था। अनूप चौधरी ठगी की अपनी एक और कोशिश में सफल होता, इससे पहले ही एसटीएफ ने उसे धर लिया।