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योग, आध्यात्मिक भारत को जानने और समझने का एक सरल तरीका



 18/Oct/23

काशी के संपूर्णानंद संस्‍कृत विश्वविद्यालय में सांसद खेल प्रतियोगिता के दूसरे दिन योग एवं चिनअप प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें प्रतिभाग कर रहे लोगों को शारीरिक शिक्षा एवं क्रीड़ा विभाग प्रभारी डॉ. सत्येन्द्र कुमार यादव ने बताया कि योग प्रतियोगिता में प्रथम विवेक द्विवेदी, द्वितीय डूंगर शर्मा और तृतीय मयंक त्रिपाठी तथा चिनअप प्रतियोगिता में प्रथम डूंगर शर्मा, द्वितीय लवकुश दुर्वासा और तृतीय मयंक त्रिपाठी हैं। डॉ. यादव ने उक्त अवसर पर कहा कि योगः कर्मसु कौशलम् कर्म में निपुणता को प्राप्त करना ही योग है वास्तविकता ये है कि अन्त:करण की जो वृत्तीयाँ या मन है इन्द्रियों से जुडते हैं तभी हम उसको महसूस करते हैं। समस्त ज्ञानो के प्रति आसाधारण कारण अन्त:करण जो मन है उसके साथ जो चक्षु वादी जो वाह्य कर्णो  वृत्तियाँ जो संबंध हैं उन्ही सम्बंधों से ये सारे वस्तु का ज्ञान हमें सम्भव है। उसका एक मार्ग प्रत्यक्ष ईश्वरोपसना से भी मन को एकाग्र कर सकते हैं।योग के माध्यम से स्वस्थ शरीर और उत्तम विचार का जन्म होता है। असाध्य रोगों को दूर करने का माध्यम योग है तथा चित्त वृत्त को शुद्ध करता है। योग अच्छे स्वास्थ्य और तंदुरूस्ती को बनाए रखने के लिए स्वीकार किया गया है। स्वास्थ्य आपको फिट रखता है और फिर आप अपने जीवन की योजना बनाते हैं। इस जीवन शैली को अपनायें रोज योग करें इसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं। योग को 'चित्त की वृत्तियों के निरोध' (योगः चित्तवृत्तिनिरोधः) के रूप में परिभाषित किया है। उन्होंने 'योगसूत्र' नाम से योगसूत्रों का एक संकलन किया जिसमें उन्होंने पूर्ण कल्याण तथा शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शुद्धि के लिए अष्टांग योग (आठ अंगों वाले योग) का एक मार्ग है। योग और प्राणायाम के माध्यम से हम अपने प्राणों की रक्षा करते हुये स्वस्थ रह सकते हैं। ज्ञान योग और कर्म योग को जोड़ने वाली सेतु से जुड़कर ही हम योग के तरफ बढ सकते हैं। ग्रीवा सञ्चालन, स्कन्ध सञ्चालन, घुटना सञ्चालन, त्रिकोणासन, कटिचक्रासन, व्रजासन, शशकासन, उत्तानपादासन आदि कराया गया।

उक्त अवसर पर विश्वविद्यालय के चीफ प्राक्टर प्रोफेसर दिनेश कुमार गर्ग, आचार्यगण तथा भारी संख्या में छात्र- छात्राएं उपस्थित रहे।


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