बनारस रेल इंजन कारखाना, वाराणसी में राजभाषा पखवाड़ा 2023 के अंतर्गत कीर्ति कक्ष में भारतीय भाषा संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में आठवीं अनुसूची में शामिल भारतीय भाषा के विभिन्न भाषा-भाषी बरेका कर्मी अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बरेका के प्रमुख मुख्य कार्मिक अधिकारी रणविजय ने भारतीय भाषाओं को एक संघ पर लाकर उनके साहित्यकारों का स्मरण करने के साथ-साथ उन भाषाओं की रचनाओं में उदधृत उसकी गंभीरता और महनता को सहज रूप से प्रस्तुत करने के इस कार्यक्रम को अतुलनीय और अनुकरणीय बताया।
वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी डॉ संजय कुमार सिंह ने अभ्यागती का स्वागत करते हुए संगोष्ठी की प्रस्तावना रखते हुए बताया कि राजभाषा हिंदी के साथ-साथ सभी भारतीय भाषाएं एक दूसरे की पुरक और क्षेत्रीय आवश्यकताएं है। अरविंद कुमार तिवारी द्वारा महाकवि माघ रचित शिशुपाल वधम् के संस्कृत श्लोकों से संगोष्ठी का आरंभ हुआ। इसी क्रम में श्रीमती करुणा सिंह ने मैथिली भाषा के विद्यापति की श्रृंगार रस के मोरा रे अंगनवा चंदन केरे गछिया... प्रस्तुत की। अंजन कुमार पारीजा ने उडि़या भाषा में पंडित गोदावरीश मिश्र की रचना कालीजयी रे संध्या.... कविता प्रस्तुत की। श्रीमती यास्मीन फातिमा ने उर्दू में नजीर अकबराबादी की दारूल मकाफ़ात प्रस्तुत किया। रवीन्द्र नाथ सोरेन ने संथाली भाषा में बलरा टूडु की सरहुल गीत प्रस्तुत किया। श्रीमती एम.भावना ने तमिल में तैयार की रचना थिरूप्पुगल प्रस्तुत किया। प्रशान्त चक्रवर्ती ने बंगाली भाषा में श्री रवीन्द्र नाथ ठाकुर की प्रसिद्ध रचना चित्रा प्रस्तुत किया। श्रीमती रूपिन्दर कौर ने पंजाबी कवि प्रो. मोहन सिंह की रचना रूबाई (मां) प्रस्तुत की। श्री पियूष मिंज, सहायक कार्मिक अधिकारी ने कुडुख भाषा की रचना प्रस्तुत किया तथा अंत में डॉ. शशि कांत शर्मा ने हिन्दी के कवि सूर्य कांत त्रिपाठी निराला की राम की शक्ति पूजा की प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम और संगोष्ठी का सुरूचिपूर्ण संचालन वरिष्ठ अनुवादक अमलेश श्रीवास्तव और धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ अनुवादक विनोद कुमार श्रीवास्तव ने किया। इस अवसर पर जन सम्पर्क अधिकारी राजेश कुमार सहित बरेका के अनेक साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।