दिव्यांग कलाकारों को समर्पित दिव्यांग कला संगम एक शाम तेरे नाम का आयोजन सुबह-ए-बनारस मंच, अस्सी घाट पर काशी के विभिन्न दिव्यांग संस्थाओं एवं सुबह ए बनारस के संयुक्त तत्वाधान में किया गया। जिसका उद्घाटन डॉ. कमलेश पाण्डेय, डॉ. तुलसी, डॉ. उत्तम, डॉ. रतनेश वर्मा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित करके किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि डॉ. कमलेश पाण्डेय, पूर्व मुख्य आयुक्त दिब्यांगजन भारत सरकार ने कहा कि दिब्यांगजन समाज पर बोझ नहीं हैं, यदि उन्हें अवसर मिले तो वो देश के विकास में अहम् भूमिका अदा कर सकते हैं। आयोजन समिति के संयोजक डॉ. उत्तम ओझा ने कहा कि दिव्यांगजनों में अनेक प्रतिभा छुपी हुई होती है, सिर्फ आवश्यकता होती है उन्हें उचित अवसर देने का। इस कार्यक्रम के आयोजन का मुख्य उद्देश्य दिव्यांग जनों को मंच प्रदान करना है ताकि वे अपने प्रतिभा का प्रदर्शन करने का अवसर प्राप्त कर सकें। जिला दिव्यांग समन्वय समिति के अध्यक्ष डॉ. तुलसीदास ने कहा कि निसंदेह यह कार्यक्रम आगे चलकर दिव्यांग जनों के प्रतिभा को निखारने के लिए स्वर्णिम उदाहरण का काम करेगा। जिला दिव्यांग सशक्तिकरण अधिकारी डॉ. राजेश मिश्रा ने कहा कि वाराणसी जिले को दिव्यांगों के पुनर्वास के उत्कृष्ट कार्यो हेतु राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयन किया गया है। इस पुरस्कार के मिलने में काशी में दिव्यांगों के कल्याण हेतु कार्य करने वाली संस्थाओं एवं समर्पित व्यक्तियों की अहम भूमिका है। कार्यक्रम में मुख्य रूप से देवा इंटरनेशनल सोसायटी फॉर चाइल्ड केयर, जीवन ज्योति, प्रेम ज्योति, नव वाणी, विकलांग समाकलन संस्थान, किरण सेंटर, परिवर्तन स्पेशल स्कूल से आए दिब्यांगजनो ने मनमोहक प्रस्तुति दी। सहभागियों को प्रमाण पत्र व मेडल दे कर उनका उत्साह वर्धन किया। घाट पर उपस्थित 5000 से अधिक जन सैलाब अपनी करतल ध्वनि से लगातार दिब्यांगजनो का उत्साह वर्धन करती रही। जिसमें बडी संख्या में विदेशी सैलानी भी उपस्थित रहें। विशिष्ट अतिथि के रूप में अशोक चौरसिया महामंत्री काशी क्षेत्र भाजपा ने दिव्यांगजनों एवं योगदान दे रही संस्थाओं का उत्साहवर्धन किया।
कार्यक्रम के सफल आयोजन में मुख्य रूप से श्याम कुमार केशरी, सुनील मिश्रा, डॉ मनोज तिवारी, डॉ दीपिका, संजीव चौरसिया, सुमित सिंह, नियाज अहमद, श्याम जी ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। कार्यक्रम का संचालन सीमा केसरी तथा अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन डॉ उत्तम ओझा ने किया।