भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के अवसर पर हरिश्चंद्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय में भौतिक विभाग द्वारा “टीचर्स डे” समारोह का आयोजन किया गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि प्राचार्य प्रो० रजनीश कुंवर ने कहा कि शिक्षक को अपने दायित्व की गरिमा और गंभीरता को समझना अतिआवश्यक है क्योंकि उनकी पहुंच किसी वर्ग विशेष तक नहीं बल्कि पूरी पीढ़ी तक होती है। उन्होंने कहा कि वही राष्ट्र सशक्त व सफल होगा जिसकी शिक्षा नीति पारदर्शी होगी। विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि यदि लक्ष्य स्पष्ट हो और समर्पण व जज्बा हो तो किसी भी तस्वीर को बदलकर उसे सकारात्मक रूप दिया जा सकता है।
मुख्य वक्ता प्रो. पंकज कुमार सिंह ने कहा कि सभ्य समाज के निर्माण में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण है। शिक्षक व शिष्य के बीच एक विश्वास का रिश्ता होता है, बदलते तकनीकी युग में शिक्षकों की भूमिका इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि विद्यार्थी किताबों से दूर हो रहा है। उन्होंने कहा की उपस्थित विद्यार्थी ही आने वाला भारत है। यह बदलता भारत है, सशक्त भारत है। काशी गुरुओं की भूमि रही है, गुरु शिष्य परंपरा का पालन काशी की धरती पर हुआ है। गुरु का मतलब है भारीपन, गुरु चुंबकत्व है जो अपनी ओर खींच लेता है।
विभागाध्यक्ष प्रो. आनंद कुमार द्विवेदी ने कहा कि जिस तरह से एक शिल्पकार पत्थर को तराश कर उसे मूर्ति का आकार देता है ठीक उसी प्रकार एक शिक्षक भी छात्रों के अवगुणों को दूर कर उन्हें काबिल बनाता है। इस अवसर पर प्रो.अनिल कुमार, प्रो.प्रभाकर सिंह, प्रो. बी.के निर्मल, प्रो. संगीता श्रीवास्तव, डॉ. शिवानंद यादव, डॉ.राम आशीष, डॉ. अच्छे लाल, डॉ. मनोज कुमार, प्रो. संजय श्रीवास्तव, डॉ.प्रकाश गुप्त आदि उपस्थित रहे।