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पं.कमलापति त्रिपाठी की 118वीं जयन्ती पर प्रो.पुरुषोत्तम अग्रवाल को किया गया अलंकृत



 05/Sep/23

पं.कमलापति त्रिपाठी 118वीं जयन्ती पर औरंगाबाद में एक लाख धनराशि सहित काशी के परम्परागत "पं.कमलापति त्रिपाठी राष्ट्रीय सम्मान" से एक समारोह में अलंकृत किये जाने के बाद प्रसिद्ध साहित्यकार, जेएनयू के पूर्व आचार्य एवं संघ लोकसेवा आयोग पूर्व सदस्य प्रो.पुरुषोत्तम अग्रवाल  ने "नेहरू की धर्म दृष्टि" विषय पर विशेष व्याख्यान में कहाकि पं.नेहरू की धर्म दृष्टि भारत में समावेशी राष्ट्रवाद की की पूरक थी। गांधी, नेहरू, पटेल, मौ.आजाद आदि की राष्ट्रचेतना की उस साझी भारत संकल्पना को वह साकार अभिव्यक्ति देती है, जिसने विविधतापूर्ण भारत को एकीकृत आधुनिक भारत और विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में ढाला।
प्रो.अग्रवाल ने कहाकि नेहरू नागरिकों की आस्था, विश्वास एवं उपासना की धार्मिक स्वतंत्रता के नैसर्गिक हक के कायल और संस्थापक थे। इस तरह वह न धर्म विरोधी थे और न धर्म उदासीन। वह पं.राम नरेश त्रिपाठी के साथ बैठकर मानस पाठ भी करते थे। एक बार उसके बाद कहा था कि मानस मात्र राम जीवन गाथा ही नहीं, एक प्रेरक आध्यात्मिक आख्यान है, जो हमारी संस्कृति की आत्मा रहा है। नेहरू मानते थे कि धर्म, भाषा, संस्कृति, लोक रीति रिवाज की व्यापक विविधता ही देश नहीं, विभिन्न धर्मों के बीच विविधता की गहरी आध्यात्मिक परम्पराओं का भी देश है भारत। उन सबके बीच समावेशी चेतना ही हमारी राष्ट्रीयता का मूल आधार है सकती है। विविध धर्मों के आध्यात्मिक मर्म एवं नैतिकता की अंतर्निहित चेतना ही सभी समुदायों को जोड़ कर सच्चे राष्ट्र को मूर्त बनाती ‌है । उसकी साधना का मार्ग ही हमें बापू ने सिखाया । बेशक आधुनिक भारत निर्माण के यह बुनियादी तत्वों संग समावेशी राष्ट्रवाद की प्रतिनिधि संस्था कांग्रेस रही है । इसलिये हर कांग्रेसी को अनिवार्य रूप से नेहरू की 'भारत एक खोज' या 'हिन्दुस्तान की कहानी' जरूर पढ़नी चाहिये ।
पं.कमलापति त्रिपाठी को स्मरण करते हुये उन्होंने कहा कि पंडित जी भारत में विद्वान राजनेताओं की अग्रणी पांत के नायक, लेखक एवं पत्रकार थे। गहरी सनातनी धार्मिकता, आक्षेपरहित धर्म निरपेक्षता और लोकतंत्र के साथ समाजवाद के अवधारणात्मक समन्वयक के प्रतीक थे त्रिपाठी थे ।
विशिष्ट अतिथि और उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहाकि त्रिपाठी जी सिद्धांत, संघर्ष और समाज में समता एवं समन्वय की राजनीति की मिसाल के रूप में हमारे प्रेरणास्रोत हैं, जिनकी बताई जन राजनीति की राह पर चलकर उनकी विरासत की संस्था कांग्रेस के गौरव को हम पुनर्स्थापित करेंगे।
स्वागत सम्बोधन करते हुये कमलापति त्रिपाठी फाउंडेशन अध्यक्ष राजेशपति त्रिपाठी ने कहाकि कि जिस सिद्धांतनिष्ठ कांग्रेस संस्कृति को कमलापति त्रिपाठी ने जिया,  उसी पर चलकर कांग्रेस सफल हो सकती है और देश एकजुट एवं लोकतंत्र जीवंत रह सकता है ।
समारोह की अध्यक्षता विजय शंकर पाण्डेय ने की।  सम्बोधन पूर्व सांसद डा.राजेश मिश्र, सतीश चौबे एवं ओंकार सिंह ने किया।
प्रो. सतीश कुमार राय ने आरंभ में त्रिपाठी के व्यक्तित्व, नेहरू के राष्ट्रवाद पर रोशनी के साथ प्रो.पुरुषोत्तम अग्रवाल की परिचय स्थापना की, जिसके बाद राजेश पति त्रिपाठी एवं अजय राय के साथ दिनेशपति त्रिपाठी, अंजलि त्रिपाठी, अम्बरीशपति त्रिपाठी, एवं सुनयना पटेरिया ने मिलकर प्रो.अग्रवाल को पं.कमलापति त्रिपाठी सम्मान समर्पण किया। बैजनाथ सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन और विजय कृष्ण ने मंच संचालन किया।
उक्त अवसर पर सर्वश्री पूर्व विधायक ललितेशपति त्रिपाठी,  अंजलि त्रिपाठी, सतीश चौबे सुनयना पटेरिया, अनिल श्रीवास्तव द्वय,प्रजानाथ शर्मा, बब्बन सिंह, डा.प्रमोद पाण्डेय, अत्रि भारद्वाज, ओमप्रकाश तिवारी, राजीव उपाध्याय, राधेश्याम सिंह, अखिलेश मिश्र, ए.के. लारी, राजेश्वर पटेल, राघवेंद्र चौबे, अजीत सिंह, राधेलाल, डा. हरिशंकर सिंह आरिफ, ब्रजेश राय, आनंद तिवारी, डाक्टर अशोक सिंह, अजय शेखर, अम्बुज त्रिपाठी, दिनेशपति त्रिपाठी, विजयी तिवारी, विद्यापति द्विवेदी, डा. राकेश उपाध्याय, धर्मेन्द्र तिवारी, शैलेन्द्र सिंह आनन्द शुक्ला, नृपेन्द्र सिंह, भूपेंद्र प्रताप सिंह, पूजा यादव, मनीष चौबे, पुनीत मिश्रा, मनोज चौबे, ददउ बाबू,  अशोक उपाध्याय, यादव,कमलाकात पान्डेय, रियाज अहमद, मोहम्मद अरशद अम्बर तिवारी, पंकज मिश्रा, अजय कृष्ण दूबे, युवराज पाण्डेय आदि सहित बड़ी संख्या में वाराणसी, मिर्जापुर, चन्दौली, इलाहाबाद, देवरिया सहित पूर्वांचल के कई जिलों के विशिष्ट लोग उपस्थित थे।


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