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14 दिन बाद धरती पर लौटेगा चंद्रयान-3 ?



 25/Aug/23

Chandrayaan-3 : भारत द्वारा भेजा गया चंद्रयान 3 सफलतापूर्वक चांद की जमीन पर उतरने के बाद हर भारतीय का दिल खुशी से झूम उठा। बताते चलें कि चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के पास चंद्रमा की सतह और वायुमंडल से वैज्ञानिक डेटा इकट्ठा करने के लिए 14 दिन का वक्त है। ऐसा इसलिये की इसके बाद चांद पर सूरज की रोशनी नहीं पड़ेगी और घोर अंधेरा हो जाएगा। भारत के चंद्रयान-3 की चांद के साउथ पोल पर सफल लैंडिंग के बाद रोवर ने काम करना शुरू कर दिया है। 6 व्हील और 26 किलो वाले प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा की सतह पर चहलकदमी शुरू कर दी है। इस बीच आमजन के मन में कई सवाल उठ रहे हैं आइये हम उसका जवाब विस्‍तारपूर्वक देते हैं-

रोवर की पोजिशन क्या है? अगर आपके मन में यह सवाल है तो इसरो ने कहा है कि 'रोवर प्रज्ञान की सभी एक्टिविटी तय समय पर हो रहे हैं, पूरा सिस्टम नॉर्मल है। लैंडर मॉड्यूल पेलोड ILSA, RAMBHA और ChaSTE चालू हो गए हैं. रोवर चलने लगा है।

रोवर 'प्रज्ञान' क्या रिसर्च करेगा?

प्रज्ञान चंद्रमा की सतह की रासायनिक संरचना, मिट्टी और चट्टानों की जांच करेगा। यह ध्रुवीय क्षेत्र के पास चंद्रमा की सतह के आयनों और इलेक्ट्रॉनों के घनत्व और थर्मल गुणों को मापेगा। सिर्फ रोवर ही नहीं, बल्कि लैंडर के माध्यम से भी सूचनाएं और पूरी तकनीकी जानकारियां इसरो को मिलती रहेंगी।

लोगों के मन में यह सवाल भी है कि 'प्रज्ञान' कैसे काम करेगा? रोवर में दो पेलोड लगे हैं जो पानी और अन्य कीमती धातुओं की खोज में मदद करेंगे। रोवर डेटा जमा करेगा और इसे लैंडर को भेजेगा। लैंडर विक्रम इस डेटा को पृथ्वी तक पहुंचाएगा, डेटा पहुंचाने में चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर की भी मदद ली जाएगी।

मिशन की लाइफ 14 दिन क्यों रखी गई? चंद्रयान मिशन की लाइफ एक चंद्र दिवस है, चांद का एक दिन पृथ्वी के 14 दिन के बराबर है। लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान 14 दिन तक चांद के साउथ पोल पर अपना काम करेंगे। इसके बाद वहां अंधेरा हो जाएगा। चूंकि, विक्रम और प्रज्ञान केवल धूप में ही काम कर सकते हैं, इसलिए वे 14 दिनों के बाद इनएक्टिव हो जाएंगे। 14 दिन में से दो दिन निकल गए हैं। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन ने लैंडर-रोवर के एक और चंद्र दिवस तक काम करते रहने की संभावना से इनकार नहीं किया है। ISRO चीफ एस सोमनाथ ने कहा कि जैसे ही सूरज डूबेगा चांद पर घोर अंधेरा हो जाएगा जिसके बाद वहां का टेंपरेचर जीरो से 180 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाएगा। बहुत ज्यादा ठंड होगी इसलिए सिस्टम का जीवित रहना संभव नहीं है। अगर 14 दिन बाद चांद के उस हिस्से में जब सूरज की रोशनी दोबारा पड़ेगी, तो उम्मीद की जा रही है कि लैंडर और रोवर फिर से एक्टिवेट हो सकते हैं।

सबसे ज्‍यादा सवाल यही है क्या चंद्रयान-3 धरती पर वापस आएगा? इस पर इसरो ने साफ कहा है कि किसी भी हालत में चंद्रयान-3 का कोई भी पार्ट धरती पर वापस नहीं आएगा। ये चंद्रमा पर ही रहेंगे।

चंद्रयान-3 का कुल वजन कितना है? इसरो के चंद्रयान-3 का कुल वजन 3900 किलोग्राम है, प्रोपल्शन मॉड्यूल का वजन 2148 किलोग्राम और लैंडर मॉड्यूल का वजन 1752 किलोग्राम है। इसमें 26 किलोग्राम का रोवर भी शामिल है। चंद्रयान-3 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई को लॉन्च किया गया था। इसे चांद की सतह पर लैंड करने में 41 दिन लगे, लैंडर बुधवार शाम 6:04 बजे चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा था।


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