हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के उद्देश्य से वाराणसी में 9 नवंबर से 12 नवंबर तक आयोजित उत्तर एवं पूर्व भारत हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के लिए भारत के 9 राज्यों और नेपाल से कुल 66 हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के 189 से अधिक प्रतिनिधि उपस्थित हुए। सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या में श्रीराम की जन्मभूमि हिन्दू समाज को सौंपी, इसलिए इस अधिवेशन में सर्वोच्च न्यायालय तथा इस याचिका के लिए हिन्दू समाज के पक्ष से लड़ने वाले अधिवक्ता तथा रामजन्मभूमि के लिए बलिदान करने वाले हिन्दुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की गई।
अधिवेशन में हिन्दुओं की राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय समस्याओं के साथ ही मंदिरों के सरकारीकरण के विषय में व्यापक चर्चा की गई। भारत का संविधान ‘सेक्युलर’ होते हुए भी सरकार हिन्दुओं के मंदिरों का व्यवस्थापन कैसे देख सकती है, ऐसा प्रश्न सर्वोच्च न्यायालय ने उपस्थित किया है। भारत में केवल हिन्दुओं के मंदिरों का सरकारीकरण करने वाली सरकार मस्जिद, चर्च आदि का सरकारीकरण करने का साहस क्यों नहीं दिखाती? सरकारीकरण किए मंदिरों की स्थिति भयावह है। अनेक मंदिर समितियों में भ्रष्टाचार चल रहा है। सरकार अधिगृहीत मंदिरों की परंपराएं, व्यवस्था आदि में हस्तक्षेप कर उसमें परिवर्तन कर रही है। मंदिरों की व्यवस्था के लिए हिन्दुओं की एक व्यवस्थापकीय समिति का गठन किया जाए। इस समिति में शंकराचार्य, धर्माचार्य, धर्मनिष्ठ अधिवक्ता, धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधि इत्यादि नियुक्त किए जाए। मंदिरों के संदर्भ में निर्णय ‘सेक्युलर’ सरकार द्वारा न लिया जाए, उसे लेने का अधिकार इस समिति को दिया जाए, ऐसी मांग हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे ने यहां की। उन्होंने कहा कि अधिवेशन में एकजुट हुए सभी संगठन मंदिर सरकारीकरण के विरुद्ध राष्ट्रस्तरीय ‘मंदिर-संस्कृति रक्षा अभियान’ चलाएंगे! इस समय इंडिया विथ विज्डम ग्रुप के अध्यक्ष अधिवक्ता कमलेशचंद्र त्रिपाठी, सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता चेतन राजहंस और हिन्दू जनजागृति समिति के उत्तर प्रदेश एवं बिहार राज्य समन्वयक विश्वरनाथ कुलकर्णी उपस्थित थे।
सभी राज्यों से आए हिन्दुत्वनिष्ठों ने अपने राज्य के विविध जिलों में हिन्दू धर्मजागृति सभा, हिन्दू राष्ट्र प्रशिक्षण कार्यशाला, राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन, हिन्दू राष्ट्र संगठक बैठक तथा साधना शिविर के आयोजन की तैयारी दर्शायी।
वामपंथी सरकार नेपाल में आने के उपरांत वहां भारत विरोधी अनेक गतिविधियां हो रही है। यूरोपियन यूनियन द्वारा ईसाईकरण बड़ी मात्रा में हो रहा है। यह रोकने हेतु नेपाल को पुन: हिंदू राष्ट्र बनाने का संघर्ष आरंभ हुआ है, ऐसे अधिवेशन में उपस्थित नेपाल के धर्मनिष्ठ संगठनों ने भूमिका रखी। उनके जनआंदोलन को समर्थन करते हुए अधिवेशन में ‘नेपाल को हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाए’, यह प्रस्ताव एकमत से पारित हुआ।
अधिवक्ता अधिवेशन में देशभक्त अधिवक्ता संगठित!
स्वतंत्रता संग्राम में अधिवक्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अब हिन्दूराष्ट्र स्थापना के कार्य में अधिवक्ता, कार्यकर्ता अधिवक्ता के रूप में संगठित होने की आवश्यकता है। प्रचलित व्यवस्था में बदलाव लाना हो तो अधिवक्ताओं को ही इस सुराज्य-निर्माण के कार्य में उतरना पड़ेगा, इन सूत्रों पर 9 नवंबर को हुए अधिवक्ता अधिवेशन में उपस्थित अधिवक्ताओं में एकमत हुआ। हिन्दू राष्ट्र के दृष्टिकोण से सूचना का अधिकार, समाज में कानूनी स्तर पर जानकारी तथा अधिवक्ताओं का संगठन करने के दृष्टिकोण से प्रयास तय हुए।
इस अधिवेशन में जगद्गुरु काशी-पीठाधीश्वयर स्वामी डॉ. रामकमलदास वेदान्ती जी महाराज, अयोध्या संत समिति के महामंत्री महंत पवनकुमार दास शास्त्री, अयोध्या के आचार्य संतोष अवस्थी, ओडिशा के स्वामी भास्कर तीर्थ महाराज, भारत सेवाश्रम संघ, मुंबई के स्वामी सौरभानंद महाराज जी, उद्योगपति परिषद् के पूजनीय प्रदीप खेमका जी तथा हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक चारुदत्त पिंगले की उपस्थिति रही।
श्री काशी विद्वत परिषद के संगठन मंत्री प्राध्यापक हरप्रसाद दीक्षित, अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष परिषद नेपाल के डॉ. लोकराज पौडेल जी, विश्वक हिन्दू महासंघ नेपाल के शंकर खराल जी, वल्र्ड हिन्दू फेडरेशन के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अजय सिंह, हिन्दू युवा वाहिनी के प्रदेश उपाध्यक्ष मनीष पांडेय एवं अन्य मान्यवर उपस्थित थे।
हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में पारित हुए प्रस्ताव
1. असंवैधानिक पद्धति से संविधान में डाला गया ‘सेक्युलर’ शब्द हटाकर वहां ‘स्पिरिच्युअल’ शब्द रखे तथा भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ घोषित किया जाए। इसके लिए सभी हिन्दू संगठन संवैधानिक पद्धति से प्रयास करेंगे।
2. नेपाल को हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाए।
3. केंद्र शासन ‘जनसंख्या नियंत्रण’, ‘गोहत्याबंदी’ एवं ‘धर्मांतरणबंदी’ के विषय में समुचित कानून बनाए।
4. केंद्र सरकार, पूरे देश में अधिगृहीत सभी मंदिरों का अधिग्रहण रद्द कर, वहां का व्यवस्थापन भक्तों को सौंपे।
5. पूरे देश के जिन नगरों, भवनों, सडकों आदि के नाम विदेशी आक्रांताओं ने रखे हैं, उन्हें बदलकर भारतीय संस्कृति के अनुरूप अन्य नाम रखने के लिए केंद्र शासन तत्काल ‘केंद्रीय नगर नामकरण आयोग’ गठित करे।
6. बांग्लादेशी एवं रोहिंग्याओं की घुसपैठ की बढ़ती समस्या के समाधान हेतु केंद्र शासन भारत के सभी 28 राज्य तथा 9 केंद्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर अर्थात एनआरसी लागू करें।
7. केंद्र शासन संपूर्ण देश में ‘समान नागरी संहिता’ का निर्माण कर संविधान के समता के तत्त्व पालन करें।