14 अगस्त 1947 को भारत के भू-भाग को भारत और पाकिस्तान नामक दो देशों में विभाजित किया गया था। जो कुछ भी हुआ वह बड़े पैमाने पर मानव प्रवास, मानव नरसंहार और अत्यधिक पीड़ा पहुँचाने वाली एक भयावह घटना थी। लाखों लोग अपनी जमीन, घर और कीमती सामान छोड़कर सीमा के इस ओर प्रवास कर गए। सांप्रदायिक और धार्मिक घृणा के कारण हजारों पुरुषों, महिलाओं और बच्चों का नरसंहार किया गया। उत्तरी राज्य विशेष रूप से विभाजन से प्रभावित हुए। डकैती, लूटपाट और सामूहिक हत्याओं से जुड़ी सर्वाधिक घटनायें यहीं घटित हुईं। भयावह रूप से दुखद इस दिन को अब विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इस त्रासद समय में देश की जीवन-रेखा, ‘’भारतीय रेल’’ ने लोगों को सुरक्षित स्थानों तक ले जाने का कार्य किया । 15 अगस्त, 1947 से 8 सितम्बर, 1947 तक के बीच 7 लाख से अधिक लोगों को उनके परिवारों तक ले जाने और उनसे मिलाने के लिए रेलवे ने सेतु का कार्य किया। इस दिवस को मनाने के लिए, आज उत्तर रेलवे के 70 स्टेशनों पर फोटोग्राफिक प्रदर्शनियां आयोजित की गईं। सभी पांच मंडलों द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र के प्रमुख स्टेशनों पर ऐसी प्रदर्शनियां लगाईं। अनेक स्थानों पर नुक्कड़ नाटकों का आयोजन भी किया गया जिनमें कलाकारों ने उस भयावह समय की अनेक मानवीय कथाओं का प्रदर्शन किया। सांसद (लोकसभा), डॉ0 हर्षवर्धन ने दिल्ली जं0 रेलवे स्टेशन पर आयोजित प्रदर्शनी का उद्घाटन किया । इस अवसर पर उत्तर रेलवे और दिल्ली मण्डल के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
प्रत्येक मंडल में स्टेशनों की संख्या इस प्रकार हैं:-
• अंबाला – 13
• लखनऊ – 03
• मुरादाबाद – 11
• दिल्ली - 20
• फिरोजपुर - 23
विभाजन के पश्चात देश में जो घटनाएं घटित हुईं, वह देश के लिए एक बुरे सपने की तरह हैं। क्रूरतापूर्ण कृत्यों ने भारत के इतिहास में कभी न भरने वाले निशान छोड़े हैं। आइए, हम उन सभी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करें जिन्होंने नरसंहार में अपनी जान गंवाई।