बारिश में कई बीमारियों के फैलने की आशंका रहती है। इस मौसम में आंखों का संक्रमण कंजक्टिवाइटिस (आई फ्लू) भी काफी फैलता है। इसलिए आई फ्लू को लेकर सतर्क व सावधान रहने के साथ जागरूकता भी जरूरी है। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग ने हेल्थ एड्वाइजरी जारी की है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी ने चिकित्सा अधीक्षक व स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देशित किया कि सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं जिला स्तरीय अस्पतालों में आई फ्लू से संबंधित आई ड्रॉप औषधियों की उपलब्धता सुनिश्चित कराएं। किसी भी व्यक्ति को दवा से संबंधित समस्याओं का सामना न करना पड़े। सीएमओ ने निर्देश दिया है कि ओपीडी में आने वाले मरीजों को पूरी तरह संतुष्ट कर ही वापस भेजें। उन्होंने कहा कि सभी चिकित्सालयों में इसके लिए अलर्ट भी जारी किया गया है। आई फ्लू से संक्रमित लोगों को बचाव और इलाज के बारे में बताया जा रहा है। आई फ्लू में अचानक आंख लाल हो जाती है, आंख में जलन और चुभन की समस्या भी होती है। युवाओं, बुजुर्गों के साथ बच्चे भी इसकी चपेट में हैं। उन्होंने आमजन से सावधानियां बरतने की अपील की है। उन्होंने बताया कि सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर दवा की पूर्ण उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है। आईडीएसपी के नोडल अधिकारी एवं एसीएमओ डॉ.एसएस कनौजिया ने बताया कि बरसात के मौसम में वायरल इन्फेक्शन समेत हवा में प्रदूषण, वातावरण में नमी जैसी समस्याएं बढ़ जाती है। इसकी वजह से आंखों से जुड़ी परेशानियां (आई फ्लू संक्रमण) भी बढ़ जाती हैं। उन्होंने बताया कि आई फ्लू या कंजक्टिवाइटिस की समस्या बारिश के मौसम में ज्यादा देखी जाती है जिसका कारण है कि कंज्टिवा या पतली और क्लियर लेयर जो पलक के अंदर की परत और आंख के सफेद हिस्से को ढकता है उसमें सूजन आ जाती है, जिसके कारण आंख हल्की गुलाबी या लाल हो जाती है। उन्होंने बताया कि बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस बैक्टीरिया के कारण होता है और अत्यधिक संक्रामक भी हो सकता है। यह दूषित हाथों का आंख के संपर्क आने के कारण होता है।
आई फ्लू होने पर बचाव हेतु अपनी आंखों को अपने हाथ से न छुएँ। अपने हाथों को जरूर धोएं। अपनी निजी चीजों जैसे तौलिया, रूमाल, तकिया, आई कॉस्मेटिक (आंखों के मेकअप) आदि को किसी से साझा न करें। संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनायें। संक्रमित व्यक्ति के इस्तेमाल की चीजें इस्तेमाल न करें व ज्यादा भीड़ भाड़ वाली जगह पर जाने से बचें। जबकि आई फ्लू के दौरान सावधानी के रूप में टीवी या मोबाइल से खुद को दूर रखें। रोजाना इस्तेमाल किये जाने वाले रुमाल या तौलिया को नियमित रूप से बदले एवं साफ रुमाल तौलिया ही इस्तेमाल करें। समय-समय पर हाथों को साबुन से धोएं और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें। हर एक आधे घंटे में आंखों को ठंडे पानी से धोयें। चश्मे का इस्तेमाल करें। आंखों को बार-बार हाथों से न छुएं। उपचार के संबंध में डॉ.कनौजिया ने कहा कि उपरोक्त लक्षण की अधिकता होने पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व निकटवर्ती चिकित्सालय में सम्पर्क कर डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही एंटीबायोटिक/आई ड्रॉप का इस्तेमाल करें। स्कूलों के लिए निर्देश जारी किया गया है कि जो बच्चे कंजेक्टिवाइटिस से संक्रमित हो उन्हें ठीक होने तक घर पर रहकर आराम करने की सलाह दी जाए एवं किसी अन्य बच्चे के संपर्क में आने से रोका जाए।