अयोध्या काण्ड से जीवन जीने का सलीका सिख सकते है
राजन जी महराज ने खुद को एक मशीन बताते हुए कहा की इसमें 'गुरु कृपा ' की पेनड्राइव लगी है
ख्यात कथावाचक पूज्य राजन जी महराज के मुखरबिंदू से रामकथा ' अयोध्या काण्ड ' का श्रवण करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । सरलता, सौम्यता और सरस्वती जी के कृपा पात्र पूज्य राजन जी महराज व्यासपीठ से न केवल आध्यात्म के महासागर में न केवल श्रोताओं को गोता लगवाया बल्कि कलयुग में किस तरह जीवन को धन्य बनाया जा सकता है उसका भी 'भगवत नाम' का बीज मंत्र दिया।
पूज्य राजन जी महराज ने खुद को एक मशीन बताते हुए कहा की इसमें 'गुरु कृपा ' की पेनड्राइव लगी है जो निरंतर चल रही है। शरीर में 'बाबा विश्वनाथ ' के नाम का करंट दौड़ रहा है। उन्होंने स्थान, कर्म और वाणी की महत्ता पर भी जोर दिया।
उन्होंने बताया की अयोध्या काण्ड की शुरुआत होते ही संत शिरोमणि, कविकुल चूड़ामणि, गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने भगवान शंकर को प्रणाम किया। उन्होंने कहा की पूरे ब्रह्मांड में एक मात्र ऐसा परिवार है जिसके हर एक सदस्य पूजनीय है।