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13 एकड़ में फैले सर्व सेवा संघ पर अब रेलवे का कब्जा, कभी भी चल सकता है बुलडोजर



 25/Jul/23

वाराणसी के राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ भवन, संग्रहालय और परिसर को पूरी तरह से खाली करा लिया गया है। डाक विभाग भवन का सामान निकलवाकर अब भवन के प्रवेश द्वार पर प्रतिबंधित क्षेत्र का नोटिस चस्पा कर दिया गया। जिसमें लिखा है कि बिना अनुमति प्रवेश प्रतिबंधित है इसके साथ ही पीएसी तैनात की गई है। जल्द ही निर्माण ढहाए जा सकते हैं जो सिर्फ महज औपचारिकता के लिये रूकी है। बताते चलें कि परिसर का बिजली कनेक्शन भी काट दिया गया है। शांतिभंग के आरोप में जेल भेजे गए सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल और संयोजक रामधीरज सहित आठ लोगों को रविवार को निजी मुचलके पर छोड़ दिया गया है। इधर, सर्व सेवा संघ भवन को खाली कराने के विरोध में रविवार को वरूणा पुल स्थित शास्त्री घाट पर प्रतिशोध सभा हुई। प्रतिशोध सभा में शामिल लोगों ने मामले में राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग की है। साथ ही आंबेडकर पार्क तक मार्च निकालकर विरोध जताया गया। कहा गया कि मंगलवार को गांधीवादी व समाजवादी शास्त्री घाट पर एकत्रित होंगे। इसमें भवन को खाली करने की चेतावनी दी जाएगी। ऐसा नहीं हुआ तो बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा।

रेलवे, पुलिस और जिला प्रशासन की टीमें सर्व सेवा संघ भवन व 13 एकड़ में फैले परिसर को खाली कराने में जुटी रहीं, यह मुहिम रात भर चली है। कमरे खाली कराए और परिसर से सामान हटवाए। रविवार सुबह डाक भवन का सामान हटवाया गया। अब भवन व परिसर पूरी तरह से रेलवे प्रशासन के कब्जे में आ गया। परिसर के चारों तरफ आरपीएफ के सिपाही तैनात हैं। वो आने-जाने वाले हर व्यक्ति से जानकारी ले रहे हैं।

नई दिल्ली से आए गांधीवादी चिंतक रामचन्द्र राही ने कहा कि रेलसे, पुलिस व प्रशासन की कार्रवाई से न्यायालय की अवमानना हुई है। शांतिपूर्ण तरीके से अपना पक्ष रखने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेल भेजना हास्यास्पद है। समाजवादी जन परिषद के अफलातून ने कहा कि सामान जबरन निकाले और बाहर फेंके गए। करोड़ों रुपये की पुस्तकें नष्ट होने के कगार पर पहुंच गई हैं। प्रशासन का यह कृत्य अलोकतांत्रिक है। कांग्रेस नेता प्रजानाथ शर्मा ने कहा कि सरकार गांधी, विनोबा और जेपी के विचारों से डरती है। इसलिए उनसे जुड़े स्मारक और पुस्तकें नष्ट कराई जा रही हैं। विचारों पर कुठाराघात किया जा रहा है।

सर्व सेवा संघ प्रकाशन की पुस्तकें भी हटवाई गई हैं। संघ प्रबंधन का दावा है कि पांच लाख पुस्तकें रखी गई थीं। हालांकि रेलवे प्रशासन पुस्तकों की संख्या 25 से 30 हजार बता रहा है। प्रशासन के मुताबिक ज्यादातर पुस्तकें नंदलाल मास्टर के घर भिजवाई गई हैं। जो पुस्तकें बची हैं, उन्हें भी जल्द ही किसी पदाधिकारी के घर भिजवाई जाएगी। रेलवे के एईएन आकाशदीप ने बताया कि लगभग 25 भवनों को कब्जा मुक्त कराया गया है। भवन, कमरे व संग्रहालयों को लेकर एक और सर्वे कराया जा रहा है। परिसर के अंदर आरपीएफ और पीएसी तैनात की गई है।


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