प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन में केंद्रीय गृृह मंत्री अमित शाह व सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के पहुँचने पर एएनआई और दूरदर्शन के अलवा किसी और मीडिया का प्रवेश वर्जित रहा साथ ही सभागार में किसी भी तरह के काले कपड़े, परिधान यहाँ तक की काली रूमाल तक ले जाना वर्जित था। शाह ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में गुप्त सम्राट स्कंदगुप्त का जिक्र करते हुए कहा कि देश के इतिहास को फिर से लिखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सम्राट स्कंदगुप्त ने कश्मीर को स्वतंत्र किया और देश को भी हूणों के आक्रमण से बचाया लेकिन इतनी बड़ी घटना इतिहास में कहीं दिखी नहीं।
गुप्त शासक स्कंदगुप्त भारतीय इतिहास का एक ऐसा शासक था, जिसने हूणों की बाढ़ को भारत पहुंचने से रोक दिया था। कहा कि हूण पश्चिम एशिया होते हुए पारसी साम्राज्य तथा चीनी साम्राज्य को रौंदते हुए भारत की सीमा तक पहुंच गए थे। संकट की इस घड़ी में स्कंदगुप्त ने सेना की कमान संभाली और इस विदेशी हमले से देश की रक्षा की। इसी वजह से कई इतिहासकारों ने स्कंदगुप्त को 'महानतम योद्धा' की संज्ञा प्रदान की है।
इससे पहले कार्यक्रम की शुरूआत अतिशाह, योगी और केंद्रीय मंत्री डॉ. महेन्द्रनाथ पाण्डेय ने सामूहिक रूप से दीप प्रज्जवलित कर की।
तत्पश्चात अमित शाह को विक्रमादित्य व योगी को श्रीराम की मूर्तिय भेंट की गयी। मुख्य मंत्री योगी ने धारा 370 की समाप्ती के बाद अमित शाह के पहले वाराणसी आगमन पर विशेष अभिवादन किया साथ ही कहा कि सरदार पटेल ने कहा था की धारा 370 संविधान में पड़ी तो कई है, लेकिन इसे वही हटा पायेगा जिसके कलेजे में दम होगा।
अमितशाह ने स्कंदगुप्त को महान सम्राट बताने के साथ ही कहा की वीर सावरकर न होते तो 1857 को स्वंत्रता संग्राम का नाम न दिया जा सकता। अंग्रेजो के लिखे इतिहास का रोना छोड़ भारत के इतिहास को भारतीय दृष्टिकोण से पुनलिर्खित करने की आवश्यकता है।