वाराणसी। गुरु-शिष्य की पावन परंपरा का पर्व गुरुपूर्णिमा यूँ तो हर जगह श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है। लेकिन भारतवर्ष की सांस्कृतिक नगरी काशी में गुरु पर्व का नज़ारा अदभुत होता है। ख़ासतौर पर औघड़-अघोरी परंपरा की विश्वविख्यात पीठ अघोरपीठ 'बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड', में गुरुपूर्णिमा का नज़ारा औलोकिक होता है। औघड़ परंपरा की अविश्वसनीय-अदभुत विरासत को सहेजे इस स्थान पर गुरू-शिष्य परम्परा की रौनक देखते ही बनती है। देश-दुनिया के कोने-कोने से 2-3 दिन पहले ही आ चुके श्रद्धालुजन, गुरुपर्व पर, भोर में 4 बजे से ही लाइन में गुरु दर्शन के लिए खड़े हो जाते हैं। पूरी दुनिया में अघोर परंपरा के आचार्य, मुखिया और इस पीठ के पीठाधीश्वर अघोराचार्य बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी का दर्शन पाने की बेताबी लाखों भक्तों के चेहरे पर रहती है। इसी कड़ी में 03 जुलाई को गुरु पर्व के अवसर पर आश्रम परिसर में सुबह साफ-सफ़ाई, आरती-पूजन और प्रभातफेरी के पश्चात शुरू हुआ दर्शन पूजन और प्रसाद ग्रहण का दौर। घंटो लाइन में लगकर, श्रद्धालुओं ने अपने आराध्य, अघोराचार्य बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी, का दर्शन-पूजन किया और प्रसाद ग्रहण किया। सुबह से ही लगातार हर हर महादेव के नारे के साथ गुरु-दर्शन का क्रम देर शाम तक चलता रहा। इस अवसर भक्तों ने अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए परिसर में ही स्थित विश्व विख्यात 'क्रीं-कुण्ड' में डुबकी भी लगाई। गुरुपूर्णिमा के इस पावन पर्व पर 'बाबा कीनाराम आश्रम' के साथ-साथ रविन्द्रपुरी कालोनी भी मेले जैसे माहौल में सजी-संवरी दिखाई पड़ी। इस अवसर जहाँ एक तरफ बच्चों को खिलौने और विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ आकर्षित कर रही थी वहीं दूसरी तरफ महिलाओं को रंगबिरंगी श्रृंगार सामग्री की दुकानें बरबस अपनी ओर खींच रही थी। उधर लाखों लोगों की भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने भी सुरक्षा और यातायात प्रबंधन की चाक चौबंद व्यवस्था की थी। परिसर के बाहर चप्पे चप्पे पर ट्रैफिक व सुरक्षकर्मी चाकचौबंद दिखे। इसके अलावा वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भी लगातार राउंड लेते रहे। ग़ौरतलब है कि 'बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड' एक चरम आध्यात्मिक स्थान के तौर पर जाना जाता है और भगवान शिव से अविर्भावित, अघोर, परंपरा के केन्द्रबिन्दु के तौर पर इस स्थान की पहचान जगज़ाहिर है।