वाराणसी। उत्तर प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज सिंह की अध्यक्षता में वाराणसी, प्रयागराज एवं विंध्याचल मंडल की "संयुक्त मण्डलीय खरीफ उत्पादकता गोष्ठी" का आयोजन पद्म विभूषण गिरिजा देवी सांस्कृतिक संकुल में हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश के कृषि राज्य मंत्री बलदेव सिंह औलख रहे। सर्वप्रथम कृषि राज्य मंत्री बलदेव सिंह औलख एवं कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज सिंह ने कृषि स्टालों का अवलोकन किया। तत्पश्चात उन्होंने दीप प्रज्वलित कर गोष्ठी का विधिवत शुभारंभ किया। कृषि विभाग के सचिव राजशेखर, कमिश्नर कौशल राज शर्मा एवं जिलाधिकारी एस.राजलिंगम ने स्वागत किया गया। तीनों मंडलों के सीडीओ द्वारा कृषि समस्या से अवगत कराया गया। प्रगतिशील किसानों, पशु एवं मत्स्य पालकों ने भी अपने अपने अनुभव से लोगों को विस्तार से अवगत कराते हुए प्रेरित किया। जिलाधिकारी एस. राजलिंगम एवं संयुक्त निदेशक कृषि ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
मुख्य अतिथि ने कृषि गोष्ठी में आये किसानों का स्वागत करते हुए कहा कि इस प्रकार की गोष्ठियों से किसानों की बात सीधे शासन में पहुँचती है। उन्होंने कहा कि किसानों को शासन द्वारा दी जा रही सब्सिडी का लाभ लेना चाहिए, क्योंकि सरकार बड़े स्तर पर किसानों को सब्सिडी दे रही है। उन्होंने कहा कि किसान सम्मान निधि के लिये अभियान चलाकर सभी को जोड़ा गया है। क्योंकि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की मंशा है कि कोई किसान छूटने न पाये। उन्होंने प्रधानमंत्री के मोटे अनाज को लेकर चलाये जा रहे अभियान के बारे में भी चर्चा की, कि किस प्रकार मिलेट को बढावा दिया जाये। इस पर हम सभी को ध्यान देना होगा। पूरे विश्व में मोटे अनाज को बढ़ावा दिया जा रहा। कृषि विभाग इन मोटे अनाज के लिए फ्री कीट भी उपलब्ध करा रहा है। किसानों की सभी मांगों को सरकार जितना संभव होगा पूरा करेगी। जो आपके लिए बेहतर होगा वो हम करेंगे। मशीनरी सब्सिडी सीधे खाते में देने का काम किया जा रहा। फसल बीमा के माध्यम से किसानों को क्षतिपूर्ति भी की जा रही है।
कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज सिंह ने गोष्ठी में किसानों को संबोधित करते हुए गोष्ठी का आयोजन इसलिए किया जाता हैं, ताकि किसानों की समस्याओं को जाना जा सके। उन्होंने उत्तर प्रदेश में मौजूद खूबियों की तरफ सबका ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि 15 उत्पादों में उत्तर प्रदेश पूरे देश में प्रथम स्थान रखता है, देश के कुल गेहूं का 35 फीसदी अकेले उत्तर प्रदेश पैदा करता है। उन्होंने कहा कि किसान अगर अपना उत्पाद सीधे प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को देगा, तो मंडी रेट से पूरी तरीके से छूट दिया जायेगा। उन्होंने बाई प्रोडक्ट को बढ़ावा देने को कहा क्योंकि बाई प्रोडक्ट से फीड इंडस्ट्री को भी बहुत बढावा दिया जायेगा, जिनका अभी आयात हम आंध्र प्रदेश से करते। पिछले 2 साल में कई प्रोसेसिंग प्लांट उत्तर प्रदेश में लगे हैं, सब्जियों की खेती को प्रोसेसिंग प्लांट लगाने को सरकार प्रयासरत है। शहद उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए लैब सहारनपुर में लगाई जा रही। उन्होंने कहा कि केले की खेती 1 लाख हेक्टेयर में उत्तर प्रदेश में हो रही जो अपने आप में गर्व की बात है। उत्तर प्रदेश जलवायु सम्पन्न राज्य है इसलिए हमें अपनी फसलों की उत्पादकता बढ़ाने को और प्रयासरत होना होगा। हमें अपनी उत्पादकता को दोगुना बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा कि पूरे देश में 90 जिले बासमती की खेती करते हैं। जिसमें 30 जिले उत्तर प्रदेश के हैं, परन्तु निर्यात में हमारा योगदान कम है, जिसे बढ़ाने को सरकार प्रयास कर रही है। भारत के निर्यात में चावल का भी योगदान बहुत बड़ा है इसलिए चावल की अच्छी किस्मों का उपयोग करके हम उसमें अग्रणी बन सकते हैं। उन्होंने प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को बढ़ावा देते हुए कहा कि बाहर से कोई वस्तु मंगाकर उसके प्रोसेस करके उसको एक्सपोर्ट करने पर मंडी रेट नहीं लिया जाएगा तथा कहा कि हमें समय से खेती, भंडारण का प्रयोग, मधुर खेती की तरफ बढ़ना होगा भंडारण की सुविधा हमें बढ़ाना होगा। मशीनीकरण को बढावा देना चाहिए ताकि हम अपनी आमदनी बढ़ा सकें। अंत में उन्होंने इन 11 जिलों के किसानों को मिल रही सुविधाओं पर प्रसन्नता जाहिर की।
उद्यान विभाग के निदेशक आर के तोमर द्वारा करौनदा, जामुन, लंगड़ा आम, प्रयागराज का अमरूद इन सभी पर विभाग द्वारा दी जा रही सब्सिडी का लाभ लेने को किसानों को प्रेरित किया गया ताकि इनके उत्पादन को बढ़ावा दिया जा सके। उन्होंने कहा कि प्रदेश में चंदौली और कौशांबी में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया जा रहा जिसका सीधा लाभ किसानों को होने जा रहा है। उन्होंने प्याज की खेती को बढ़ावा देने को किसानों को प्रेरित करते हुए बताया कि प्रदेश में वर्तमान में 14 लाख टन प्याज की खपत होती जबकि हम केवल 5 लाख टन तक ही उत्पादन कर पाते हैं। उन्होंने सभी जागरूक किसान तथा एफपीओ को प्रेरित करते हुए कहा कि नीबू, अदरक, हल्दी इनके खेती को बढावा दें तथा सरकार द्वारा इनके लिए दी जा रही सब्सिडी का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में 30 टन के कोल्ड रूम पर 35 फीसदी सब्सिडी दी जा रही उसका आप सभी फायदा लें। स्ट्रॉबेरी तथा ड्रैगन फ्रूट पर 50000 तक सब्सिडी दी रही।
सम्मेलन में अपर आयुक्त कृषि ने बताया कि वाराणसी में 10544 किसानों ने जनपद में फसल बीमा योजना कराया गया था, जिसमें 2302 किसानों द्वारा क्षतिपूर्ति क्लेम किया गया, जिसमें सभी को बीमा कंपनियों द्वारा चेक वितरण सुनिश्चित किया गया। उन्होंने कहा कि 11 जनपद यहां इकट्ठे हैं जिनका क्षेत्रफल प्रदेश का लगभग 13% है। इस प्रकार की गोष्ठी प्रदेश के 27000 गावों में भी आयोजित होगी। वर्तमान में प्रदेश में 1400 एफपीओ सक्रिय रूप में काम कर रहे। एफपीओ को मंडी तथा कृषि रिण में सहूलियत दी जा रही है। एफपीओ सेल उत्तर प्रदेश में गठित हो गया है जिसके सीईओ कृषि मंत्री उत्तर प्रदेश हैं।
गोष्ठी में वाराणसी, प्रयागराज एवं विंध्याचल मंडल के 11 जनपदों आये किसानों को अपनी बातें रखने का मौका मिला। जिसमें भदोही के प्रवीण कुमार द्वारा औराई चीनी मिल को पुनः चालू कराने को कहा गया। एक किसान ने कहा कि मोटे अनाज को एफपीओ के माध्यम से बढावा दिया जा सकता उसके लिए एफपीओ को मोटे अनाज के रकबे को बढ़ाने हेतु 100 फीसदी सब्सिडी दिया जाये। मिर्जापुर के किसानों द्वारा बाण सागर परियोजना के पानी को प्रयागराज देने को प्रमुखता से उठाया गया तथा कहा गया कि 600 फिट बोरिंग कराने पर भी पीने के पानी उपलब्ध नहीं हो पाता। जिसको की कृषि उत्पादन आयुक्त द्वारा शासन में रखने की बात कही गयी। भदोही के किसान द्वारा किसान रैक तथा सिंचाई की उचित व्यवस्था कराने को कहा गया। निजी नलकूप हेतु पुराने तार बदलने को भी कहा गया। एक किसान ने सभी को जैविक खेती के तरफ प्रेरित करते हुए कहा कि सभी लोग 2 गाय जरूर पालें तथा 2 पेड़ अवश्य लगाएं।
गोष्ठी में रबी 2022 में ओलावृष्टि/असामयिक वर्षा के कारण पीएम फसल बीमा योजना अंतर्गत पंजीकृत जिन किसानों को फसल की क्षति हुई। उन्हें प्रतीकात्मक रूप से चेक प्रदान किया गया और धनराशि उनके खाते में भेज दी गई। इनमे दिनेश सिंह, प्रभाकर सिंह, अवधेश कुमार, हौसला प्रसाद एवं कैलाश नाथ यादव आदि किसान रहे।
गोष्ठी में वाराणसी, प्रयागराज एवं विंध्याचल मंडल के कमिश्नर, जनपदों के मुख्य विकास अधिकारियों सहित कृषि, विद्युत, सिचाई, नलकूप, गन्ना, मत्स्य आदि विभागों के अधिकारी एवं प्रगतिशील किसान प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।