वाराणसी। संचारी रोगों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए विशेष संचारी रोग नियंत्रण एवं दस्तक अभियान एक जुलाई से शुरू होगा। जिलाधिकारी एस. राजलिंगम ने एक बैठक कर पूरे माह चलने वाले इस अभियान के तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने निर्देश दिया कि अभियान में किसी भी स्तर पर लापरवाही नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अभियान की सफलता के लिए सम्बन्धित विभागों के बीच आपसी समन्वय बहुत जरूरी है। आयुक्त सभागार में आयोजित इस बैठक के प्रारम्भ में जिलाधिकारी ने विशेष संचारी रोग नियंत्रण एवं दस्तक अभियान के लिए की गयी तैयारियों की जानकारी ली। जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि शहर के साथ ही ग्रामीण इलाकों में यह व्यवस्था सुनिश्चित की जाए कि कहीं भी गंदा पानी एकत्र न हो। यदि कहीं भी ऐसा मिला तो उसके लिए जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने कहा कि अभियान की सफलता के लिए सम्बन्धित विभाग अपना माइक्रो प्लान समय से तैयार कर उसपर अमल करें। उन इलाकों में विशेष ध्यान दिया जाय जहां पिछले वर्ष संक्रामक रोग के मामले अधिक हुए थे। ग्रामीण क्षेत्रों में खण्ड विकास अधिकारी सफाई कर्मियों की मदद से झाड़ियों को कटवाने के साथ ही साफ-सफाई पर ध्यान दें और एण्टी लार्वा का छिड़काव सुनिश्चित करायें। उत्थले हैण्ड पम्पों को चिन्हित कर उसपर लाल निशान लगाया जाय। साथ ही लोगों को बताया जाय कि उक्त हैण्डपम्प का पानी पीने के लिए उपयोग में न लें। अभियान को लेकर ब्लाक स्तरीय व तहसील स्तरीय बैठकें की जाएं जिसमें अधिकारियों की उपस्थित अनिवार्य रूप से हो। उन्होंने निर्देश दिया कि जागरुकता एवं बचाव के कार्यक्रमों के आयोजन के साथ ही ऐसे स्थानों को चिन्हित किया जाए जहां मच्छर जनित रोगों के होने की संभावना है। साथ ही प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर संचारी रोगों से बचाव तथा उपचार के बारे में लोगों को जानकारी दें।
उन्होंने कहा कि विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान में स्वास्थ्य विभाग के साथ ही नगर विकास विभाग, पंचायती राज विभाग/ ग्रामीण विकास विभाग, पशु पालन विभाग, बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग, शिक्षा विभाग, दिव्यांगजन संशक्तिकरण विभाग, कृषि एवं सिंचाई विभाग, उद्यान विभाग समेत शामिल अन्य विभाग सामंजस्य बनाकर अभियान को सफल बनायें। बैठक में कुछ विभागों के अधिकारियों के मौजूद न होने पर जिलाधिकारी ने नाराजगी जतायी और सम्बन्धित के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल ने कहा कि इस अभियान के जरिए संचारी रोगों जैसे डेंगू, मलेरिया आदि से सम्बन्धित शिक्षा एवं व्यवहार परिवर्तन का संदेश प्रत्येक घर परिवार तक पहुंचाना हमारा लक्ष्य है। लिहाजा आमजन को यह बताने का प्रयास करें कि संचारी रोगों के होने पर क्या करें और क्या न करें। इससे बचाव के लिए किस तरह की सावधानियां बरतें और किसी तरह से तत्काल उपचार करायें। उन्होंने कहा कि संचारी रोगों के प्रति बच्चों में जागरुकता आये इसके लिए विद्यालयों में इससे सम्बन्धित क्विज का आयोजन हो। अभिभावक-शिक्षक व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर संचारी रोगों से बचाव, रोकथाम एवं उपचार के लिए संवेदीकृत किया जाय। साथ ही लोगों को साफ पानी पीने की सलाह दी जाए।
बैठक में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि एक जुलाई से शुरू हो रहा अभियान दो चरणों में चलेगा। पहले चरण में मलेरिया विभाग के कार्यकर्ता क्षेत्रवार योजना बनाते हुए पूर्व के वर्षों में मच्छर जनित रोगों के आंकड़ों के आधार पर चिन्हित किए गये हाई रिस्क क्षेत्रों में वेक्टर घनत्व का आंकलन करेंगे। इसके साथ ही अधिक मच्छर घनत्व वाले क्षेत्रों में सम्बन्धित विभागों के सहयोग से इस पर प्रभावी अंकुश के लिए प्रयास करेंगे। दूसरा चरण दस्तक 17 जुलाई से शुरू होगा जिसमें आशा एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता गृह भ्रमण कर लोगों को संचारी रोगों के खतरे तथा उसके बचाव की जानकारी देंगे। बैठक में सीएमओं ने जानकारी दी कि बीते वर्ष जिले में स्क्रफटाइफस के भी कुछ मामले आये थे। उन्होंने कहा कि इस रोग के वाहक चूहा व छछुंदर होते है लिहाजा इस दिशा में गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है। इस पर जिलाधिकारी ने नगर निगम व कृषि विभाग को निर्देशित किया कि इस दिशा में निरोधात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जाये।
बैठक में जिला कार्यक्रम अधिकारी, बेसिक शिक्षा अधिकारी, एसीएमओ (वेक्टर बार्न ) डा. एसएस कनौजिया, जिला मलेरिया अधिकारी शरद चन्द्र पाण्डेय, डीएचईआईओ हरिवंश यादव के अलावा सभी प्रभारी चिकित्सा अधिकारी व अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद थे।