वाराणसी के पत्रकार शशि भूषण तिवारी अचानक पिछले दिनों इस दुनियां को छोड़कर चले गये। वाराणसी के वरिष्ठ पत्रकार डॉं. पवन सिंह ने अपने फेसबुक वाल पर लिखते हैं-
खुद के प्रति ग्लानी के भाव से भरा हूं। दस या ग्यारह सितंबर को वाट्रसअप पर जानकारी मिली कि कैंसर के चलते बहुत ही बेबसी में आखिरी सांसें गिन रहे हैं। गांव की जमीन बिक गयी, पत्नी के गहने बिक गये । रोजी-रोटी यानी दैनिक जागरण की नौकरी तो मजिठिया मामले के चलते कई वर्षों पूर्व ही चली गयी थी। मामला न्यायालय में लंबित है। अब रोटी के लाले थे ऐसे में दवा कहां से हो। पत्रकार और पत्रकारिता संस्थानों में मानवता तो सिर्फ अपवाद स्वरूप ही कुछ लोगों में आ जाती है। ऐसे ही अपवाद एके लारी जी और जयराम पांडेय की सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर उनकी मदद की अपील एकाउंट नंबर के साथ देखकर मुझे जानकारी हुई। सोंचा तेरह दिसंबर को हैदराबाद जा रहा हूं, वहां से लौटकर तिवारी जी से मिलूंगा और मदद की कोशिश करुंगा। हैदराबाद से सीधे मऊ चला आया। कल सुबह बनारस पहुंचा। दोपहर बाद तिवारी जी से मिलने के लिए लारी जी को फोन किया, तो तिवारी जी का लोकेशन परमात्मा के पास का मिला। तभी से मन कुंठित है, मैं कितना अमानवीय, असंवेदनशील हो गया हूं कि एक मित्र, पूर्व सहकर्मी जो बेबशी में अपना अंतिम दिन गिन रहा था उससे मिलने के लिए मैं तारीखें सुनिश्चित करता रह गया और वह मित्र छोड़ कर चला गया। शशिभूषण तिवारी जी और मेरा दैनिक जागरण में लगभग चार वर्ष तक नियमित आठ घंटे का साथ रहा। लगाव इतना था कि कार्यालय से निकलने के बाद आयेदिन उनकी साइकिल की गति के बराबर अपनी मोटरसाइकिल की चाल कर बात करते हुए डीएलडब्लू गेट तक जाता था। बनारस की पत्रकारिता में शशिभूषण तिवारी जी इकलौते ऐसे व्यक्ति थे, जिनका कार्य के दौरान बड़े या छोटे किसी सहकर्मी से विवाद तो दूर कभी ऊंची आवाज में बात तक नहीं हुई होगी। भगवान आपकी आत्मा को सद्गति प्रदान करे , यही प्रार्थना है।