वाराणसी। दुनियाभर के जी-20 ताकतवर देशों के विकास मंत्रियों का वाराणसी के लालपुर स्थित पं. दीनदयाल उपाध्याय हस्तकला संकुल (टीएफसी) में सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वीडियो संबोधन से शुरू हुआ।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकतंत्र की जननी के सबसे पुराने जीवित शहर काशी में आयोजित हो रहे बैठक में प्रतिभाग कर रहे जी-20 देशों के विकास मंत्रियों को स्वागत करते हुए कहा कि काशी जी-20 विकास मंत्रियों की बैठक के लिए उपयुक्त स्थान है। काशी सदियों से ज्ञान, चर्चा, वाद-विवाद, संस्कृति और अध्यात्म का केंद्र रहा है। इसमें भारत की विविध विरासत का सार है और यह देश के सभी हिस्सों के लोगों के लिए एक अभिसरण बिंदु के रूप में कार्य करता है। उन्होंने कहा कि विकास को बनाए रखना सामूहिक जिम्मेदारी है। भारत अपने अनुभव बांटने को तैयार हैं। पर्यावरण पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। हम नदियों, पेड़ों का सम्मान करते हैं। लैंगिक समानता बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमारे प्रयास व्यापक, समावेशी, निष्पक्ष और टिकाऊ होने चाहिए। भारत में, हमने 100 से अधिक आकांक्षी जिलों में लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के प्रयास किए हैं, जो अविकसित थे। प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि मुझे खुशी है कि जी-20 का विकास एजेंडा काशी तक भी पहुंच गया है। वैश्विक दक्षिण के लिए विकास एक प्रमुख मुद्दा है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम सतत विकास लक्ष्यों को पीछे न जाने दें। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी पीछे न रहे।उन्होंने कहा कि डेटा विभाजन को पाटने में मदद करने के लिए प्रौद्योगिकी का लोकतंत्रीकरण एक महत्वपूर्ण उपकरण है। भारत में, डिजिटलीकरण ने क्रांतिकारी परिवर्तन लाया है। भारत भागीदार देशों के साथ अपने अनुभव साझा करने को तैयार है। प्रधानमंत्री ने जी-20 विकास मंत्रियों से विकास के इस माडल का अध्ययन करने का आग्रह करते हुए कहा कि यह प्रासंगिक हो सकता है, क्योंकि आप एक्सेल रेटिंग एजेंडा 2030 की दिशा में काम करते हैं। आपके सामने महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक बढ़ता हुआ डेटा विभाजन है। सार्थक नीति- निर्माण, कुशल संसाधन आवंटन और प्रभावी सार्वजनिक सेवा वितरण के लिए उच्च-गुणवत्ता वाला डेटा महत्वपूर्ण है।
बैठक का नेतृत्व भारत के विदेश मंत्री डॉ एस. जयशंकर कर रहे है। विकास मंत्रियों के साथ फ़ोटो सेशन भी हुआ।