गीता प्रेस से प्रकाशित विश्व प्रसिद्ध कल्याण पत्रिका के संपादक रहे राधेश्याम खेमका को सोमवार को मरणोपरांत देश का दूसरा सबसे बड़ा पद्म विभूषण सम्मान मिला है। राधेश्याम के बेटे कृष्ण कुमार खेमका ने दिल्ली में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों सम्मान प्राप्त किया। स्व. राधेश्याम खेमका को पद्म सम्मान मिलने पर गीता प्रेस के ट्रस्टी, कर्मचारी और साहित्य से जुड़े लोगों ने खुशी व्यक्त की है। मूलरूप से बिहार के मुंगेर में 1935 में जन्मे राधेश्याम खेमका प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद सपरिवार वाराणसी में आकर बस गए। यहां काशी हिंदू विश्वविद्यालय से उन्होंने एमए किया। लेकिन, अपनी कर्मभूमि गोरखपुर की गीता प्रेस को बनाई।
राधेश्याम खेमका ने सबसे पहले वर्ष 1982 में गीता प्रेस से प्रकाशित होने वाली पत्रिका कल्याण के विशेषांक का संपादन किया था। इसके बाद मार्च 1983 से वह लगातार कल्याण के संपादन का कार्य संभालते रहे। 86 वर्ष की उम्र और तबीयत खराब होने के बावजूद उन्होंने अप्रैल 2021 तक कल्याण के अंकों का पूरे उत्साह के साथ संपादन किया। खेमका की देखरेख में कल्याण के 40 वार्षिक विशेषांक, 460 संपादित अंक प्रकाशित हुए हैं। इस दौरान कल्याण की नौ करोड़ 54 लाख 46 हजार प्रतियां प्रकाशित हुईं। कल्याण में पुराणों एवं लुप्त हो रहे संस्कारों व कर्मकांड की पुस्तकों का प्रामाणिक संस्करण भी राधेश्याम खेमका के संपादन में ही प्रकाशित हुआ। वह 2014 से गीता प्रेस ट्रस्ट बोर्ड के अध्यक्ष भी रहे। ट्रस्ट के अध्यक्ष रहते हुए पिछले वर्ष तीन अप्रैल को 86 वर्ष की उम्र में उनका निधन वाराणसी में हो गया था।
राधेश्याम खेमका ने 40 वर्षों से गीता प्रेस में अपनी भूमिका का निर्वहन करते हुए अनेक धार्मिक पत्रिकाओं का संपादन किया। इनमें कल्याण प्रमुख है। साथ ही वह वाराणसी की प्रसिद्ध संस्थाओं मारवाड़ी सेवा संघ, मुमुक्षु भवन, श्रीराम लक्ष्मी मारवाड़ी अस्पताल गोदौलिया, बिड़ला अस्पताल मछोदरी, काशी गोशाला ट्रस्ट सहित विभिन्न समाजसेवी संस्थाओं से जुड़े थे।
धर्म सम्राट स्वामी करपात्रीजी, शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती, पुरी के शंकराचार्य स्वामी निरंजन देव तीर्थ और वर्तमान पीठाधीश्वर स्वामी निश्चलानंद, कथा व्यास रामचंद्र डोंगरे जैसे संतों से विशेष सानिध्य स्व. राधेश्याम खेमका पर रहा।
श्रीवामन पुराण अंक, चरितनिर्माण अंक, श्रीमत्स्य पुराण अंक (पूर्वार्ध), श्रीमत्स्य पुराण अंक (उत्रार्ध), संकीर्तन अंक, शक्ति उपासना अंक, शिक्षा अंक, पुराणकथा अंक, देवता अंक, योगतत्वांक, संक्षिप्त भविष्य पुराण अंक, श्रीराम भक्ति अंक, गो सेवा अंक, धर्मशास्त्र अंक, कूर्मपुराण अंक, भगलल्लीला अंक, वेद कथा अंक, संक्षिप्त गरुड़ पुराण अंक, आरोग्य अंक, नितिसार अंक, भगवत प्रेम अंक, व्रतपर्वोत्सव अंक, देवीपुराण (शक्तिपीठांक), अवतार कथा अंक, संस्कार अंक, श्रीमद्देवी भागवत अंक (पूर्वार्ध), श्रीमद्देवी भागवत अंक (उत्रार्ध), जीवनचर्या अंक, दानमहिमा अंक, श्रीलिंग महापुराण अंक, भक्तमाल अंक, ज्योतितत्वांक, सेवा अंक, गङ्गा अंक, शिव महापुराण अंक (पूर्वार्ध), शिव महापुराण (उत्रार्ध), श्रीराधा माधव अंक, बोधकथा अंक, श्री गणेश पुराण अंक।
गीता प्रेस के प्रबंधक लालमणि तिवारी ने बताया कि अपने संपूर्ण जीवन में राधेश्याम खेमका ने सिर्फ गंगा जल का ही सेवन किया। अन्न केवल दो बार ग्रहण करते थे। सादा जीवन उच्च विचार उनके आचरण में था। 60 से अधिक वर्षों तक उन्होंने इलाहाबाद के माघ मेला में एक महीने का कल्पवास किया था। उनका जीवन बहुत ही संयमित था। साधु-संतों और गरीबों की सेवा करना उनके स्वभाव में था। अपने कार्यों के दम पर वह पद्म विभूषण के अधिकारी थे। भारत सरकार ने भी एक ऐसे व्यक्ति को पद्म विभूषण सम्मान से नवाजा है, जिनके लिए कभी न प्रयास किया गया और न ही इनके मन में कभी इच्छा रही।