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फिल्‍मी स्‍टाईल में पहचान बदलकर वकील बने शूटर ने जीवा को किया छलनी



 08/Jun/23

उत्‍तर प्रदेश में क्राइम बॉलीवुड स्‍टाईल में धड़ल्‍ले से चल रहा है। कोर्ट से लेकर अस्‍पताल तक पहचान बदलकर शूटआउट का सिलसिला जारी है। पुलिस हिरासत में माफिया अतीक अहमद और अशरफ की हत्या का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि लखनऊ के एससीएसटी कोर्ट रूम में मुख्तार अंसारी के बेहद करीबी कुख्यात अपराधी संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा (50) की हत्या कर दी गई। वकील के लिबास में आए हमलावर ने कोर्ट रूम में ही रिवॉल्वर से ताबड़तोड़ छह राउंड फायरिंग की। मजिस्ट्रेट के सामने कुख्यात संजीव जीवा ढेर हो गया। डॉक्टरों के पैनल से देर रात जीवा का पोस्टमार्टम कराया गया। इस रिपोर्ट के मुताबिक, उसेक शरीर से छह गोलियां आर-पार हो गईं। सभी गोलियां पीठ पर बायी तरफ से मारी गईं।

इस दौरान दो पुलिसकर्मियों, एक डेढ़ साल की बच्ची व उसकी मां को भी गोली लगी। जीवा पर हमलावर ने पीछे से फायरिंग की। वारदात के बाद वकीलों ने दौड़कर हमलावर को दबोच लिया और पीटकर पुलिस को सौंप दिया। घायलों को ट्रामा में भर्ती कराया गया है।

वारदात के बाद आक्रोशित वकीलों ने प्रदर्शन कर पथराव कर दिया। जिसमें एसीपी चौक का सिर फट गया। कई वाहन भी छतिग्रस्त हो गए। आलाधिकारी भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे तब हालात पर काबू पा सके। भाजपा नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड में आजीवन कारवास की सजा पाने वाला मुजफ्फरनगर के शाहपुर आदमपुर निवासी संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा पिछले बीस साल से जेल में बंद था। उस पर दो दर्जन केस दर्ज हैं। वह हत्या व एससीएसटी के एक केस में बुधवार दोपहर पुलिस अभिरक्षा में पेशी पर लाया गया था।

दोपहर बाद करीब 3:50 बजे उसके केस की बारी आई। जैसे ही वह उठकर चला वैसे ही अंदर बैठे हमलावर ने उस पर गोलियां दागनी शुरू दीं। कोर्ट रूम से लेकर पूरे परिसर में भगदड़ मच गया। संजीव वहीं पर लहूलुहान होकर औंधे मुंह गिर गया। हमलावर ने भागने का प्रयास किया, लेकिन वहां मौजूद वकीलों ने उसे पकड़ लिया।

डॉक्टर, किडनैपर और फिर हत्याराये तीन शब्द गैंगस्टर संजीव जीवा की कहानी बताने के लिए काफी हैं। हालांकि, उसकी हत्या क्यों की गई, ये अभी तक सवाल बना हुआ है। अभी यह भी सवाल बना हुआ है कि संजीव की डेड बॉडी कहां जाएगीमुजफ्फरनगर या फिर शामली?

संजीव के नाम का रुतबा ये है कि उसकी मौत की खबर फैलते ही पश्चिमी यूपी के 20 जिलों में हलचल होने लगी। ये वही जिले हैं, जहां पर संजीव के नाम की दहशत थी। यहां बस उसके नाम पर काम हो जाया करता था। पुलिस के अनुसार, संजीव ने जरायम की दुनिया में कदम रखने के बाद 40 लड़कों का अपना एक गैंग खड़ा किया। इसके कई मेंबर अभी जेल में हैं। संजीव ने मुजफ्फरनगर, शामली, मेरठ, गाजियाबाद और दिल्ली में तकरीबन 100 करोड़ की संपत्ति बनाई। इनमें रियल स्टेट, कई जूतों और कपड़ों के शोरूम शामिल हैं।

पूछताछ में हमलावर ने बताया कि वह जौनपुर के केराकत का रहने वाला है। उसका नाम विजय यादव उर्फ आनंद है। शुरुआती जांच में पता चला कि विजय साधारण परिवार से है। पिता किसान हैं। विजय चार भाइयों में दूसरे नंबर का है। 2016 में उस पर आजमगढ़ में लड़की भगाने के आरोप में केस दर्ज हुआ था। जौनपुर में 2020 में उस पर कोविड प्रोटोकॉल उल्लंघन का केस दर्ज किया गया था। पिछले तीन साल से वह मुंबई में रह रहा था। तीन महीने वह जौनपुर वापस लौटा था। हालांकि पिछले एक महीने से उसका संपर्क परिवार से नहीं था। उससे पूछताछ का दौर जारी है। पुलिस यही पता कर रही है कि आखिर जीवा की हत्या किसने और क्यों करवाई। पकड़ा गया आरोपी शूटर है। जल्द पुलिस इसको लेकर खुलासा कर सकती है।

जीवा के गांव वालों से बात करने पर गांव वालों ने बताया कि संजीव के परिवार से किसी से कोई विवाद गांव में कभी नहीं हुआ। उसके परिवार के लोग सब से मिलजुल कर रहते थे। गांव के लोग बताते हैं कि कि वह परिवार बड़ा सज्जन परिवार था, कभी किसी से कोई वाद-विवाद नहीं था। संजीव गांव से शामली आकर प्रतिदिन होम्योपैथिक की डॉक्टरी की शिक्षा ले रहा था।


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