तीन साल में 19 हजार लोगों का तम्बाकू नशा उन्मूलन केन्द्र कर चुका है काउंसलिंग
इस वर्ष की थीम है 'हमें भोजन की आवश्यकता है तंबाकू की नहीं'
लहरतारा के सुरेन्द्र राय व उनके भाई महेन्द्र राय गुटखा बहुत खाते थे। परिजनों ने कई बार समझाया लेकिन गुटखा नहीं छूटा। इस बीच महेन्द्र के मुंह में ढेर सारे छाले निकल आये। जांच में पता चला कि मुंह का कैंसर है। बीएचयू कैंसर अस्पताल में कई बार की हुई की कीमोथेरिपी व अन्य लम्बे उपचार के बाद महेन्द्र की जान तो बच गयी लेकिन चेहरे का रूप बिगड़ा गया। ठीक होने के बाद महेन्द्र ने तो गुटखा खाना छोड़ा दिया वहीं इसके बाद सुरेन्द्र ने भी नशा छोड़ने की ठान ली। गुटखा अचानक बंद करते ही सुरेन्द्र को बेचैनी, सुस्ती व सिरदर्द जैसी परेशानी होने लगी। तब उसने तम्बाकू नशा उन्मूलन केन्द्र का सहारा लिया। केंद्र में काउंसलिंग व दवा सेवन के बाद सुरेन्द्र अब कोई नशा नहीं करते हैं और उन्हें कोई परेशानी भी नहीं है।
सिर्फ सुरेन्द्र ही नहीं धूम्रपान व तम्बाकू उत्पादों के दुष्प्रभाव का एहसास होते ही उसके जैसे और लोग भी नशे की लत को छुड़ाने के लिए तम्बाकू नशा उन्मूलन केन्द्र का सहारा ले रहे हैं। शिव प्रसाद गुप्त मण्डलीय चिकित्सालय-कबीरचौरा स्थित तम्बाकू नशा उन्मूलन केन्द्र’ के प्रयासों से तम्बाकू, गुटखा, खैनी, सिगरेट छोड़ने वालों की संख्या हजारों में है। नशे से मुक्त होकर ये लोग आज स्वस्थ जीवन गुजार रहे हैं। तम्बाकू के लती हो चुके ऐसे ही अन्य किशोरों, युवाओं व अन्य लोगों को नशे से छुटकारा दिलाने के लिए प्रत्येक वर्ष 31 मई को विश्व तम्बाकू निषेध दिवस’ मनाया जाता है। इसे हर वर्ष एक नई थीम के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम है "हमें भोजन की आवश्यकता है, तम्बाकू की नहीं" ।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संदीप चौधरी ने बताया कि देश में लगभग आठ लाख लोग प्रतिवर्ष तम्बाकू सेवन की वजह से मरते हैं। भारत में कैंसर से मरने वाले सौ रोगियों में 40 तम्बाकू के प्रयोग के चलते मरते हैं। लगभग 95 प्रतिशत मुंह के कैंसर तम्बाकू सेवन करने वाले व्यक्तियों में होते हैं। तम्बाकू के धुएं में लगभग चार हजार रासायनिक तत्व होते हैं, जिनमें दो सौ ज्ञात विष व 60 कैंसर पैदा करने वाले तत्व शामिल हैं। तम्बाकू के सेवन से न केवल कैंसर होता है बल्कि ह्रदयरोग, मधुमेह, टीबी जैसी बीमारियां भी व्यक्ति को तबाह करती हैं। किशोरावस्था से ही तम्बाकू सेवन करने से नपुंसकता भी हो जाती है।
राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के जिला सलाहकार डा. सौरभ प्रताप सिंह* के अनुसार किशोरों, युवाओं को ऐसी ही बुरी लत से बचाने के लिए शिवप्रसाद गुप्त मण्डलीय चिकित्सालय के कक्ष संख्या 50 में तम्बाकू नशा उन्मूलन केन्द्र का संचालन किया जाता है। उन्होंने बताया कि इस केन्द्र में प्रत्येक सोमवार, मंगलवार व गुरुवार ओपीडी होती है जिसमें तम्बाकू के लती लोगों को इस बुरी लत से छुटकारा दिलाने का प्रयास होता है। तम्बाकू नशा उन्मूलन केन्द्र’ के साइकोलाजिस्ट अजय श्रीवास्तव बताते है कि वर्ष 2015 से यह केन्द्र कार्य कर रहा हैं। बीते तीन वर्ष में इस केन्द्र के जरिये 19 हजार से अधिक लोगों की काउंसलिंग की जा चुकी है। जिसके सार्थक परिणाम भी आये है। इनमें ऐसे लोगों की संख्या काफी है जिन्होंने नशा करना अब पूरी तरह छोड़ दिया है। वह बताते है कि इस केन्द्र में आने वालों को शुरू में लगता है कि उनके नशे की आदत कभी नहीं छूट सकती लेकिन जब उनकी काउंसलिंग की जाती है तो उनका हौसला बढ जाता है। उन्हें नशे से होने वाले नुकसान के बारे में समझाया जाता है। फिर यह भी बताया जाता है कि वह नशा किस तरह से छोड़े। यहां से जाने के बाद भी हम मरीज का फालोअप करते रहते है। उससे सम्पर्क कर उसे समय-समय पर सलाह देते रहते हैं।
*इस तरह रोके धूम्रपान-* तम्बाकू नशा उन्मूलन केन्द्र’ के साइकोलाजिस्ट अजय श्रीवास्तव बताते हैं कि धूम्रपान रोकने के लिए अपनी तलब को थोड़ी देर के लिए भुला दें और धीरे-धीरे घूंट लगाकर पानी पियें। गहरी सांस लें। तम्बाकू सेवन की तलब से ध्यान बंटाने के लिए कोई दूसरा कार्य करें। अपने पास सौंफ, मिश्री, लौंग या दालचीनी रखें और तम्बाकू सेवन की तलब लगते ही इनका इस्तेमाल करें।