विश्व अस्थमा दिवस के उपलक्ष्य में ब्रेथ ईजी चेस्ट सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल, अस्सी वाराणसी द्वारा पूरा सप्ताह अस्थमा जागरूकता सप्ताह मनाया गया। जिसमें प्रेस वार्ता, जागरूकता रैली, नि:शुल्क अस्थमा शिविर शामिल हैं। इसी कड़ी में ब्रेथ ईज़ी द्वारा 7 मई (दिन रविवार) को वाराणसी के चिकित्सकों के लिए वाराणसी कैंट स्थित होटल सिटी इन में एक चिकित्सीय संगोष्ठी/कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें वाराणसी के सम्मानित चिकित्सक डॉ. ओ.पी सिंह (नीमा प्रवक्ता, ऊ.प्र), डॉ एस.बी सिंह (नीमा सेक्रेटरी, ऊ.प्र), डॉ. राजेश श्रीवास्तव, डॉ एच.सी सिंह, डॉ. कुलदीप, डॉ. फरहान अहमद, डॉ आर.के तिवारी, डॉ. सिद्धार्थ गौतम, डॉ. प्रह्लाद गुप्ता आदि चिकित्सक सम्मिलित थे। इस चिकित्सीय संगोष्ठी के मुख्य वक्ता के रूप में ब्रेथ ईजी के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. एस.के पाठक थे। उत्तर प्रदेश के नीमा प्रवक्ता डॉ ओ.पी सिंह ने इस चिकित्सकीय संगोष्ठी का संचालन किया। डॉ. एस.के पाठक ब्रेथ ईजी, वाराणसी के जाने-माने वरिष्ठ श्वांस, टी.बी एवं, फेफड़ा रोग विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने अपनी पढाई के.जी.एम्.सी (लखनऊ) से किया हैI
ब्रेथ ईजी द्वारा आयोजित इस चिकित्सकीय संगोष्ठी में अस्थमा के बारे में विस्तृत जानकारी दी गईं, जिसमे अस्थमा के प्रकार और अस्थमा के गंभीर अवस्था में इलाज की नई पद्धति के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई, इसके अलावा इस चिकित्सकीय संगोष्ठी में होम नेबुलाइजेशन के तरीके के बारे में भी विस्तार से समझाया गया। अस्थमा करशाला समापन में चिकित्सकों को ट्रैनिन सर्टिफिकेट भी बांटे गए।
डॉ. पाठक ने श्वांस की बीमारी की चर्चा करते हुए बताया कि साँस फूलने के कई कारण हो सकते हैं, जिसमे अस्थमा, दमा, निमोनिया मुख्य हैं, ईसके अलावा कभी-कभी खून की कमी (Anemia) , हार्ट एवं किडनी की बीमारी की वजह से भी सांस फूल सकती हैं। डॉ. पाठक ने ये भी बताया कि अस्थमा में मरीजो को बार बार खांसी आना, सास फूलना, धुल-धुएं से एलर्जी, प्राय: कई बार छीक आना, बलगम के साथ कफ़ आना इत्यादि मुख्य लक्षण होते हैं। डब्लू.एच.ओ के अनुसार अस्थमा के कारण दुनिया में हर साल लगभग 2.5 लाख से ज्यादा लोगो की मृत्यु होती हैं। डॉ. पाठक ने बताया कि अस्थमा में मुख्यत: श्वांस नलियों में सूजन हो जाता हैं, जिसके कारण बाद में उन नालियों में सिकुडन भी हो जाता हैं, जो साधारण दवाइयों से नही ठीक हो पता हैं। इसके लिए एक विशेष प्रकार की थेरेपी का इस्तमाल किया जाता हैं, जिसे इन्हेलेशन थेरेपी कहतें हैं I अस्थमा की बीमारी फेफड़ो से सम्बंधित हैं, इसलिए इसमें इन्हेलेशन थेरेपी का ही उपयोग होना चाहिए जोकि सीधे फेफड़ो में जाकर अपना काम करती हैं, जिससे अस्थमा के मरीज को 2-3 मिनट में ही आराम मिल जाता हैं।
डॉ. पाठक ने बताया कि एलर्जिक दमा को पता लगाने के लिए पी.एफ.टी द्वारा फेफड़े की कार्य-क्षमता के साथ-साथ एलर्जी की जाँच कराना भी अत्यधिक जरुरी होती हैं, जिससे एक चिकित्सक को अपने मरीज के बारे में यह पता चलता हैं कि कौन से एलर्जी के कारण मरीज की साँस फूल रही हैं, जिसके उपरान्त मरीजों को इम्युनोथेरेपि द्वारा वैकसीनेशन कराने में सहायता मिलती हैं। टी.बी के कारण भी सांस फूल सकती हैं, सही समय पर सही ईलाज से सांस की बीमारी से छुटकारा भी मिल सकता हैं। डॉ. पाठक ने बताया “ब्रेथ इजी टी.बी चेस्ट, एलर्जी केयर अस्पताल पुर्वान्चल का एक अग्रणी अस्पताल हैं, जिसमे आधुनिक श्वास, फेफड़ा, एलर्जी रोग सम्बंधित परामर्श, जाँच व भर्ती की विशेष चिकित्सा प्रदान की जाती हैं।” आगे डॉ. पाठक ने बताया कि खर्राटा भी एक गंभीर साँस की बीमारी है, जिसके कारण हार्ट अटैक व ब्रेन स्ट्रोक की बीमारी हो सकती है खर्राटे के विशेष जाँच व ईलाज की सुविधा ब्रेथ ईजी टी.बी, चेस्ट, एलर्जी केयर अस्पताल अस्सी वाराणसी में उपलब्ध हैं।