संजय राय शेरपुरिया के द्वारा किये करोड़ों के फर्जीवाड़ा के संदर्भ में कांग्रेस के प्रान्तीय अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री अजय राय ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि संजय राय शेरपुरिया को लेकर जांच एजेंसियों के माध्यम से सरकार जिस तरह की ख़बरें समाचार माध्यमों में प्लांट करा रही है, वे बातें विश्वास के साथ किसी के गले नहीं उतर सकतीं, अब तक कि जांच के उस अहम पहलू को पर्दे में ढंक कर रखा जा रहा है कि शेरपुरिया ने इतना बड़ा आर्थिक साम्राज्य किन लोगों के संरक्षण में और किनकी शह की वजह से खड़ा किया था ? जांच एजेंसियों को सबसे पहले उनको मिलते रहे संरक्षण के राजनीतिक रिश्तों का खुलासा करना होगा, तभी जांच भरोसेमंद होगी। श्री राय ने एक कहा है कि प्रधानमंत्री के बनारस के संसदीय चुनावों में संजय राय शेरपुरिया बनारस में टिक कर भाजपा के चुनाव प्रचार अभियान में भरपूर धन खर्च कर रहे थे, यह बात सभी जानते हैं। संजय राय से लोन या किसी भी रुप में धन लेने वाले क्या मनोज सिन्हा अकेले भाजपा नेता थे अगर और भी लोग थे तो बार बार एक ही नाम क्यों उछाला जा रहा है ? संजय राय से तमाम बड़े बड़े नेताओं के सम्बन्ध जगजाहिर रहे हैं, तो यह खुलासा क्यों नहीं होना चाहिये कि किसी कथित महाठग से तमाम बड़े नेताओं के ये रिश्ते क्यों और कैसे थे?
आगे उन्होंने कहा कि अपने साथ हुई ठगी की किसी कंपनी, किसी उद्यमी या किसी बेरोजगार युवा अथवा आम नागरिक की किसी शिकायत के बिना जब जांच कर रही एजेंसियां उसकी महाठगी एवं जालसाजी के खुलासे बता रही हैं, तो क्या उनकी जिम्मेदारी नहीं बनती कि वह शेरपुरिया की बड़ी हैसियत खड़ी करने वाले उच्च स्तरीय राजनीतिक रिश्तों एवं उनसे मिले संरक्षण का भी खुलासा करें ? वह ये भी बतायें कि जब आम आदमी को छोटे मोटे लोन लेने में बड़े पापड़ बेलने पड़ते हैं, तो सरकारी बैंक से तीन सौ करोड़ तक के लोन सहज रुप से किन संरक्षणों के कारण संजय राय को मिल जाता था ? लोन की अदायगी इत्यादि में कोई गड़बड़ी यदि रही, तो किसके प्रभाव में बैंक ने कभी कोई नोटिस भी उन्हें इन खुलासों से पहले नहीं दिया?