संजय राय शेरपुरिया को यूपी एसटीएफ ने लखनऊ से गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोप लगाया है कि संजय शेरपुरिया करोड़ों रुपए का कर्ज ले रखा है। यूपी एसटीएफ के हत्थे चढ़ा संजय राय ‘शेरपुरिया’ को लेकर एक और अहम जानकारी सामने आई है। संजय राय द्वारा संचालित यूथ रूरल एंटरप्रेन्योर फाउंडेशन (YREF) के सलाहकार बोर्ड में रिटायर्ड आईएएस, आईपीएस और सशस्त्र बोलों के पूर्व अधिकारी शामिल हैं। जिस जालसाज संजय राय 'शेरपुरिया' को यूपी एसटीएफ ने पकड़ा, वह बड़ा शातिर है। प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच का झांसा देकर उसने कई को ठगा है। अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, संजय प्रकाश राय 'शेरपुरिया' ने जम्मू और कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा को 25 लाख रुपये का लोन दिया था। यह कर्ज 2019 लोकसभा चुनाव से पहले दिया गया। सिन्हा उस वक्त गाजीपुर लोकसभा सीट से सांसद थे। उन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में इसे 'अनसिक्योर्ड लोन' के रूप में दिखाया। 2019 के चुनाव में वह बहुजन समाज पार्टी (BSP) के अफजाल अंसारी से हार गए। अगले साल सिन्हा को J&K का एलजी नियुक्त किया गया। अखबार के अनुसार, सिन्हा ने उसके सवालों का जवाब नहीं दिया। हालांकि, सिन्हा के एक करीबी ने दावा किया कि 2015-16 के बाद से राय के साथ सिन्हा का कोई संपर्क नहीं हुआ। अखबार ने सिन्हा के करीबी के हवाले से लिखा कि एलजी ने कई बार कर्ज चुकाने की कोशिश की लेकिन राय से संपर्क नहीं हो पाया।
सिन्हा को अगस्त 2020 में जम्मू और कश्मीर भेजा गया। उनके 2019 के चुनावी हलफनामे में पांच 'अनसिक्योर्ड' लोन का जिक्र है जिनका टोटल 57 लाख रुपये है। शेरपुरिया का कर्ज सबसे ज्यादा है। उसके अलावा चार अन्य लोगों से 3 लाख, 6 लाख, 8 लाख और 15 लाख रुपये का कर्ज दिखाया गया। सिन्हा 2019 का चुनाव हारने के बावजूद इलाके में काफी सक्रिय रहे। वह गाजीपुर से 1996 और 1999 में भी सांसद चुने गए थे। हालांकि, जब उन्हें J&K का एलजी बनाया गया तो पार्टी गतिविधियों से उन्हें दूरी बनानी पड़ी। इसके साथ ही बीजेपी के कई नेताओं संग संजय शेरपुरिया की तस्वीरें वायरल हो रही हैं।
गाजीपुर भाजपा जिलाध्यक्ष भानुप्रताप सिंह से मीडिया ने बात कि तो उन्होंने संजय राय 'शेरपुरिया' से पल्ला झाड़ लिया। उन्होंने कहा कि राय न तो बीजेपी के सदस्य हैं, न ही पदाधिकारी। वह गाजीपुर आते थे और हमसे मिलते थे मगर पार्टी से कोई वास्ता नहीं रखते। सूत्रों के अनुसार वाराणसी के भाजपा नेताओं से ताल्लुकात काफी करीबी थी।
यूपी एसटीएफ के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, ऐसी शिकायतें सामने आई थीं कि पीएम समेत केंद्रीय और राज्य सरकार के मंत्रियों और बीजेपी के सीनियर नेताओं से नजदीकी दिखाकर बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की जा रही है। जिसके बाद यूपी एसटीएफ को इस फर्जीवाड़े की जांच में लगाया गया है। आरोपी संजय शेरपुरिया ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कई कंपनियां बना रखी थीं। जिनके लिए कई बैकों से लोन भी ले रखा था और बाद में डिफॉल्टर हो गया। संजय शेरपुरिया की गिरफ्तारी होने के बाद अब इस संबंध में एसबीआई ने इसका पब्लिक नोटिस भी जारी किया है। उसने यूथ रूरल एंट्रेप्रिन्योर फाउंडेशन नाम से भी एक संगठन बना रखा है। इस संगठन में उसने डमी डायरेक्टर बनाए हुए हैं और खुद किसी पद पर नहीं है। हालांकि सोशल मीडिया पर वह खुद को इस संगठन का खुद को कर्ताधर्ता दिखाता है। इस संगठन के खाते में इसी साल जनवरी महीने में दो बार में छह करोड़ रुपये जमा करवाए गए हैं। इसके अलावा भी इस खाते में अलग अलग माध्यमों से रुपये जमा हुए हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, संजय राय शेरपुरिया को लेकर पुलिस ने अपनी प्राथमिकी में उसे एक महाठग होने का दावा किया है। सहालकार बोर्ड में शामिल एक रिटायर्ड आईएएस अधिकारी का किरण पटेल के साथ भी कनेक्शन बताया जा रहा है। किरण पटेल वही शख्स है जिसे मार्च में श्रीनगर से गिरफ्तार किया गया था।
कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के रिकॉर्ड बताते हैं कि YREF को 30 अक्टूबर, 2019 में शामिल किया गया था। हालांकि, रजिस्टर्ड कार्यालय वाराणसी में है जबकि इसका संचालन गाजीपुर से होता है। इस कंपनी में किसके कितने शेयर हैं YREF ने इसका खुलासा नहीं किया। हैरानी की बात तो यह है कि संजय राय ने YREF में किसी भी पद पर नहीं है। YREF के सलाहकार बोर्ड में कुल छह व्यक्ति हैं और छह के छह एडिशनल डॉयरेक्टर हैं। वाईआरईएफ दावा करता रहा है कि वह ग्रामीण युवाओं को कृषि के आधुनिकीकरण के माध्यम से युवाओं को रोजगार सृजित करने की दिशा में काम करता है। हालांकि, बोर्ड में शामिल कुछ पूर्व अधिकारियों ने कहा कि वो संजय राय को तो जानते हैं लेकिन, एनजीओ के बोर्ड में उन्हें कैसे शामिल किया गया उन्हें नहीं पता है ना ही वो कभी बोर्ड की बैठक में हिस्सा लिए हैं।
यूपी पुलिस ने अपनी प्राथमिकी में दावा किया है YREF का संचालन संजय राय की ओर से किया जाता है। प्राथमिकी में संजय राय की सत्ता में बैठे लोगों से करीबी होने का भी दावा किया गया है। सोशल मीडिया पर संजय राय की कई केंद्रीय मंत्रियों के साथ तस्वीरें भी हैं। इन्हीं तस्वीरों के जरिए शेरपुरिया ने कई लोगों को धोखा दिया और उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है।