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अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आइसार्क) की बैठक सम्पन्न



 21/Apr/23

अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आइसार्क) की 6वीं समन्वय समिति की बैठक चांदपुर वाराणसी स्थित केंद्र में आयोजित की गई थी। इस कार्यक्रम में समन्वय समिति के अध्यक्ष के रूप में अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के महानिदेशक डॉ. जीन बैले उपस्थित रहे। उनके साथ श्रीमती वाहिदा अख्तर, सचिव, कृषि मंत्रालय, बांग्लादेश सरकार, डॉ. राम कृष्ण श्रेष्ठ, संयुक्त सचिव (कृषि विकास), कृषि और पशुधन विकास मंत्रालय, नेपाल सरकार डॉ. टी आर शर्मा, डीडीजी फसल विज्ञान, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, एम पी यादव, राष्ट्रीय बीज अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र (एनएसआरटीसी), श्रीराम बायोसीड जेनेटिक्स इंडिया के अनुसंधान निदेशक डॉ. परेश वर्मा; और डॉ. सुधांशु सिंह, निदेशक, अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र आदि अन्य गणमान्य शामिल रहे।

समन्वय समिति की बैठक में डॉ. अजय कोहली, उप महानिदेशक-अनुसंधान, अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, डॉ. शाहजहाँ कबीर, महानिदेशक, बांग्लादेश चावल अनुसंधान संस्थान (बीआरआरआई) श्री पी.सी. पीरिस, डीजी (एग्री टेक) श्रीलंका और विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. हमनाथ भंडारी, आईआरआरआई प्रतिनिधि बांग्लादेश मौजूद रहे। साथ-साथ मनोज आहूजा, सचिव, कृषि और किसान कल्याण विभाग, जो आइसार्क समन्वय समिति के सह-अध्यक्ष भी हैं और डॉ. देवेश चतुर्वेदी, अतिरिक्त मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार ऑनलाइन माध्यम से शामिल हुए। बैठक में पिछले एक वर्ष की परियोजना गतिविधियों का जायजा लिया गया और आगामी वर्ष के लिए अगले पांच वर्षों के लिए व्यापक बजट रूपरेखा के साथ चर्चा की गई। अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) के महानिदेशक डॉ. जीन बाली ने भारत सरकार के सहयोग की सराहना की और कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में ISARC की सक्रिय भागीदारी का आश्वासन दिया। डॉ. सुधांशु सिंह, निदेशक, आईएसएआरसी ने भाग लेने वाले सदस्यों को संस्थान के विभिन्न अनुसंधान और प्रशिक्षण गतिविधियों के बारे में अवगत कराया और भविष्य की योजनाओं का विवरण भी प्रस्तुत किया। डॉ. सिंह ने कहा कि हम देश सहित दक्षिण एशिया क्षेत्र के किसानों के उत्थान के लिए पूरी तरह समर्पित हैं। इस मौके पर भारत, बांग्लादेश और नेपाल से आईएसएआरसी समन्वय समिति के अन्य सदस्यों ने भी अपने विचार व्यक्त किए।


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