अधिवक्ता कृष्णमूर्ति विश्व हिन्दू परिषद के स्थानीय नेता हैं, वे कर्नाटक में गौरी लंकेश हत्या प्रकरण में मुख्य अधिवक्ता हैं, इसके साथ ही वे हिन्दू जनजागृति समिति, सनातन संस्था, स्थानीय हिन्दुत्वनिष्ठ को नैतिक, धार्मिक एवं कानूनी दृष्टि से समर्थन देते हैं। इसीलिए उन्हें लक्ष्य किया गया है। यह अधिवक्ता कृष्णमूर्ति की हत्या करने का षड्यंत्र है। हिन्दुत्व के लिए लडनेवालों को आज किसी भी प्रकार का संरक्षण नहीं दिया जाता। इसके लिए सभी अधिवक्ताओं को संरक्षण मिले, इसके लिए कानून लागूकरने की मांग हम पिछले 5 वर्षों से कर रहे हैं। कर्नाटक सरकार यथाशीघ्र ‘अधिवक्ता संरक्षण कानून’ लागू करे, ऐसी मांग कर्नाटक उच्च न्यायालय के अधिवक्ता अमृतेश एन.पी. ने की है। हिन्दू जनजागृति समिति ने ‘‘गौरी लंकेश अभियोग में हिन्दुत्ववादियों की ओर से लडनेवाले अधिवक्ताओं पर हुई गोलीबारी के सूत्रधार कौन ?’*’ इस विषय पर आयोजित ऑनलाइन ‘विशेष संवाद’ में वे बोल रहे थे।
इस अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति के कर्नाटक राज्य प्रवक्ता मोहन गौडा ने कहा कि कर्नाटक में इस काल में 35 हिन्दू नेताओं की निर्दयता से हत्या कर दी गई है। राष्ट्रीय अन्वेषण यंत्रणा के अनुसार इसमें अनेक प्रकरणों में ‘पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (पी.एफ.आई.) एवं ‘सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी ऑफ इंडिया’ (एस.डी.पी.आई.), इन उग्र इस्लामी संगठनों का हाथ है। ‘हिन्दुत्व के लिए कार्य करेंगे, तो ऐसा ही परिणाम होगा’ ऐसा आतंक हिन्दुत्वनिष्ठ नेता, हिन्दुत्वनिष्ठ कार्यकर्ता एवं अधिवक्ताओं में निर्माण करने का सुनियोजित षडयंत्र है। कांग्रेस शासन काल में मैसूर जिले में सुनियोजित ढंग से टोली के माध्यम से हिन्दुत्वनिष्ठों की हत्या कर दी गई, तब भी अपराधियों पर आतंकवादी कार्रवाईयों के अंतर्गत अपराध प्रविष्ट नहीं किया गया। इन घटनाओं के पीछे मुख्य सूत्रधार को बारंबार प्रतिभूति (जमानत) मिल गई और सरकारी अधिवक्ताओं ने भी जमानत का विरोध नहीं किया। हिन्दुत्वनिष्ठों की हत्याओं के प्रकरण में ‘फास्ट ट्रैक’ न्यायालय के माध्यम से भी इनकी सुनवाई शीघ्रता से न होने पर अपराधियों को किसीप्रकार का भय नहीं रह गया है। अधिवक्ता कृष्णमूर्ति समान अधिवक्ताओं को सशस्त्र पुलिस संरक्षण दिया जाना चाहिए। अपराधियों में भय निर्माण हो, ऐसे उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समान अच्छे नेतृत्व की आज कर्नाटक को आवश्यकता है। तब ही कर्नाटक में हिन्दुत्वनिष्ठों की हत्या, न्यायधीशों को धमकियां देना, हिन्दू त्योहारों के समय शोभायात्राओं पर पथराव करना, ऐसे प्रकार बंद हो जाएंगे। इसलिए कर्नाटक में 'उत्तरप्रदेश मॉडेल’ लागू किया जाना चाहिए।
इस अवसर पर कर्नाटक उच्च न्यायालय के अधिवक्त्या दिव्या बलेहित्तल ने कहा कि आज हिन्दू अधिवक्ताओं को लक्ष्य बनाया जा रहा है। अधिवक्ता कृष्णमूर्ति पर आक्रमण करनेवाला अनुभवी शूटर था। अधिवक्ता कृष्णमूर्ति के सिर पर गोली चलाई गईं थीं; परंतु सौभाग्य से वे बच गए। कर्नाटक पुलिस का कहना है कि उसने यह प्रकरण गंभीरता से लिया है; परंतु इस प्रकरण में अब तक किसी को बंदी नहीं बनाया गया है, ऐसा खेद अधिवक्ता दिव्या ने व्यक्त किया।