वाराणसी में पत्रकारों की प्रतिष्ठित संस्था काशी पत्रकार संघ व विवादित प्रेस क्लब के द्विवार्षिक निर्वाचन 2023-24 के लिए 2 अप्रैल रविवार को नामांकन पत्र भरने व नामांकन पत्रों की जांच प्रक्रिया पराडकर स्मृति भवन में सम्पन्न हुई। काशी पत्रकार संघ के विभिन्न पदों के लिए कुल 50 प्रत्याशियों के नामांकन पत्र प्राप्त हुए। जांच के दौरान संघ के 41 नामांकन पत्र वैध पाये गये, जबकि 9 नामांकन पत्र निर्वाचन नियमावली की प्रक्रिया में अन्यान्य कारणों से अवैध करार दिये गये।
इसी प्रकार काशी पत्रकार संघ द्वारा संचालित विवादित प्रेस क्लब के विभिन्न पदों के लिए कुल 23 प्रत्याशियों के नामांकन पत्र प्राप्त हुए। जांच के दौरान क्लब के 19 नामांकन पत्र वैध पाये गये जबकि 4 नामांकन पत्र निर्वाचन नियमावली की प्रक्रिया में विभिन्न कारणों से अवैध घोषित किये गये। नाम वापसी सोमवार 3 अप्रैल 2023 को मध्याह्न 12 बजे से अपराहन 4 बजे तक होगी। आवश्यक होने पर 9 अप्रैल, 2023 को मतदान होगा।
प्राप्त सूची के अनुसार काशी पत्रकार संघ के अध्यक्ष पद पर बीबी यादव, डॉ. अत्रि भारद्वाज, राजनाथ तिवारी, विनय कुमार सिंह, और अमर उजाला हाउस से अजय कुमार राय ने नामांकन किया है।
इनमें अजय राय को छोड़कर कोई भी प्रत्याशी वर्षों से किसी भी मीडिया संस्थान में सेवारत नहीं है तो पत्रकार हितों की लड़ाई क्या लड़ेगा। फोटोग्राफर बीबी यादव ने तो पत्रकार संघ के नाम पर कुछ लाख रुपए में जमीन खरीदा और सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लगभग 80 लाख में बेचकर भारी मुनाफा कमाया था। सरल स्वभाव के फोटोग्राफर श्री यादव को पूर्व में भी पत्रकारों का अध्यक्ष बनने का सौभाग्य प्राप्त हो चुका है, अगर बीबी यादव दोबारा जीत गए तो पत्रकारों की नजर में दोयम दर्जे के फोटोग्राफरों का कद गर्व से ऊंचा तो होकर ही रहेगा।
संघ के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ तिवारी फिर एक बार अध्यक्ष बनने के लिए चुनावी मैदान में हैं, पिछले कई वर्षों से पत्रकारिता का पेशा छोड़कर धर्म-कर्म में जुटे तिवारी जी को लगता है इस बार जीतने के बाद कुछ करके दिखाएंगे जरूर।
वरिष्ठ पत्रकार विनय सिंह और डॉ.अत्रि भारद्वाज की बात करें तो विनय जी की पत्रकारिता के सामने डॉक्टर कहां टिकने वाले हैं।
अध्यक्ष के बाद संघ में सबसे महत्वपूर्ण कुर्सी होती है महामंत्री की है, जिसके लिए डॉ. नागेंद्र पाठक, पुरुषोत्तम चतुर्वेदी, अखिलेश मिश्र, जितेंद्र कुमार श्रीवास्तव, रामात्मा श्रीवास्तव, वीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव सभी ने नामांकन किया है। अगर सही तरीके से लॉविंग हुई तो यहां लड़ाई त्रिकोणात्मक होने वाली है। फिलहाल सर्वाधिक चर्चा लंबे समय तक दैनिक जागरण में नौकरी करने वाले डॉ.नागेंद्र पाठक की है जिन्होंने अब संघ की सदस्यता ले लिया है और चुनावी मैदान में हैं। पुरुषोत्तम चतुर्वेदी, जितेंद्र श्रीवास्तव की लड़ाई कांटे की हो सकती है। रामात्मा को पहले भी लोगों ने देखा है, दोबारा मैदान में हैं।
संघ में कोषाध्यक्ष के लिए जय प्रकाश श्रीवास्तव, पंकज त्रिपाठी आमने-सामने हैं।
अब हम सीधे बात करते हैं काशी पत्रकार संघ के द्वारा संचालित विवादित प्रेस क्लब में विभिन्न पदों पर नामांकन करने वाले पत्रकार साथियों की।
जिनमें अरुण मिश्र, सुशील कुमार सिंह, विपिन कुमार सिंह ने नामांकन किया है। जिनमें बताने की जरूरत नहीं है अरुण मिश्र को कायदे से काशी पत्रकार संघ में अध्यक्ष के लिए नामांकन करना चाहिए था। प्रेस क्लब ही विवादित है उसके लिए नामांकन करने वालों की चर्चा करना ही पत्रकारों की छवि को खराब करने जैसा होगा।
कुल मिलाकर पत्रकारिता के भीष्म पितामह कहे जाने वाले संपादकाचार्य बाबूराव विष्णु पराड़कर के नाम पर स्थापित काशी पत्रकार संघ में वर्ष 2006 से जिन्हें भी मजबूरी में अध्यक्ष और महामंत्री चुना गया उन्होंने काशी में पत्रकारों के हक और हुकूक की लड़ाई लड़ना तो दूर बल्कि संघ के संघीय ढांचे को भी खोखला कर दिया। काशी पत्रकार संघ के पूर्व अध्यक्षों की बात करें तो वर्ष 1987 में मनोहर खाडिलकर, 1990 में गोपेश पाण्डेय, 1995 से 1999 तक प्रदीप कुमार, 2000 में संजय अस्थाना और 2002 से 2005 तक विकास पाठक के कार्यकाल को भुलाया नहीं जा सकता, जब समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन के साथ मिलकर विभिन्न समाचार पत्रों के प्रबंधन को पत्रकार हितों की लड़ाई में घुटने टेकना पड़ा था।
इसके बाद वर्ष 2006 में विकास पाठक और प्रदीप कुमार की आपसी लड़ाई में योगेश कुमार गुप्ता संघ के अध्यक्ष निर्वाचित होते हैं और तभी से संघ का पतन होता है और असली पत्रकारों ने संघ में चुनाव लड़ना तो दूर वहां जाना भी छोड़ दिया है। समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन के मंत्री अजय मुखर्जी ने क्लाउन टाइम्स से कई बार व्यंगात्मक लहजे में कहा करते हैं कि अगर लाली लिपस्टिक वाले पदाधिकारी चुने जाएंगे तो मीडिया प्रबंधन से लड़ाई कैसे लड़ी जाएगी।
यहां इस बात का उल्लेख करना जरूरी है कि पूर्व अध्यक्ष विकास पाठक की बढ़ती लोकप्रियता को रोकने के लिए योगेश गुप्ता के कार्यकाल में ही संघ में प्रस्ताव लाया गया कि अब दो कार्यकाल के बाद कोई भी पदाधिकारी चुनाव नहीं लड़ सकता, लिहाजा पत्रकार साथियों ने मजबूरी में ऐसे लोगों को पदाधिकारी चुना, जिनका पद मतदान करने वाले पत्रकार साथियों के कद के सामने बौना ही रहा।
बनारस के सबसे बड़े समाचार पत्र दैनिक जागरण, आईनेक्स्ट के सभी पत्रकार साथियों ने तो वर्षों पूर्व सामूहिक रूप से संघ से इस्तीफा दे दिया था।
संघ के चुनाव में इस बात की चर्चा भी जोरों पर है कि संघ को गर्त में पहुंचाने वाले अब पत्नी के नाम पर एलआईसी के एजेंट भी हो चुके हैं और मजबूरी में निर्वाचन से जुड़े भी हैं।
इस बार के चुनाव की पूरी निर्वाचन प्रक्रिया के निर्वाचन अधिकारी कृष्णदेव नारायण राय, विकास पाठक, योगेश गुप्ता, सुभाकर दुबे हैं।