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सबसे अधिक सम्मानित यदि कोई पद है तो वह है शिक्षक : रवीन्द्र जायसवाल, मंत्री



 01/Apr/23

आप देश के भाग्य विधाता हैं : डीएम

उत्तर प्रदेश के स्टाम्प एवं न्यायालय पंजीयन शुल्क राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवीन्द्र जायसवाल के साथ जिलाधिकारी एस.राजलिंगम तथा मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल आज कम्पोज़िट विद्यालय शिवपुर में स्कूल चलो अभियान एवं नि: शुल्क पाठ्य पुस्तक वितरण कार्यक्रम में शामिल हुए। यह कार्यक्रम प्रदेश स्तर पर लखनऊ से मुख्यमंत्री द्वारा शुभारंभ किया गया। कम्पोजिट विद्यालय में बच्चों को पाठ्य पुस्तक एवं स्कूल बैग वितरण के पश्चात मंत्री रविंद्र जायसवाल ने कहा कि दुनिया में अगर सबसे सम्मान का कोई पद है तो वो शिक्षक का पद है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में एक लाख साठ हजार शिक्षकों की नियुक्ति बिना किसी भेदभाव के की गयी है। यूपी के पच्चीस करोड़ जनता के विकास की जिम्मेदारी हम सब लोगों के साथ साथ आप शिक्षकों की बनती है। सरकारी स्कूलों से सबसे अधिक प्रतिभाएं निकल कर आती हैं चाहे वह लोकसेवा आयोग हो, सिविल सर्विस हो या अन्य कम्पटीशन हों। आज आप जैसे होनहार अध्यापकों की जरूरत है जो समर्पण भाव से शिक्षण कार्य कर रहे हैं। हर किसी में कोई न कोई हुनर होता है उसे बच्चों में आपको निखारने के आवश्यकता है। आप अपना फर्ज निभाते रहिये आपका यह योगदान प्रदेश की साक्षरता को 100 प्रतिशत पहुंचा पायेगा, तब हमारा भारत देश विश्व गुरु बन ही जायेगा। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और योगी लगातार प्रयास कर रहे हैं। आज भारत अर्थ व्यवस्था में वो इंग्लैंड जो हमारे ऊपर शासन किया था उसको पछाड़ते हुए पांचवें पायदान पर पहुंच गयी।

जिलाधिकारी एस.राजलिंगम ने अपने सम्बोधन में अध्यापकों से कहा कि आप देश के विधाता हैं। हम समाज में किसी भी स्तर पर कोई भी व्यक्ति चाहे मंत्री हो अधिकारी हो या अन्य कोई भी हो सभी का अपने अध्यापक के प्रति उनका लगाव रहता है उनकी लाइफ में एक अहम भूमिका होती है। अध्यापक होने के नाते आपकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है, इस जिम्मेदारी को हमें और भी समझने की आवश्यकता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि आज वाराणसी में बच्चों की उपस्थिति मात्र 56% पाई गई है जबकि वाराणसी के ही सेवापुरी ब्लाक में एक एबीएसए ने अपनी प्रेरणा से स्कूल में बच्चों की उपस्थिति को 80% तक पहुंचाया। हमें ऐसे ही स्वप्रेरित होकर काम करना पड़ेगा। पहले ये भारत में प्रथा थी कि अध्यापक बच्चों को घर घर से पकड़ कर विद्यालय में लाते थे। ये आपको संकल्प लेना है कि सभी बच्चों को स्कूल तक लाना है क्योंकि ये बच्चे जब बाहर की दुनिया देखने निकलेंगे तो उनके साथ कोई न कोई क्षमता होनी चाहिए जिससे कोई कम्पिटेटिव इक्जाम हो या कोई खेल का क्षेत्र हो या आर्ट में टैलेंट हो।

यही मौका है इनकी क्षमता को निखारने का, यदि इस समय हम उनको अटेंड नहीं कर पायेंगे तो वो पीछे रह जायेंगे और अपने टैलेंट को पहचान नहीं पायेंगे। परिणाम इनके सपने पूरे नहीं हो पायेंगे और सामाजिक और आर्थिक दौड़ में ये पीछे छूट जायेंगे। एक अच्छे टीचर के मिलने से छात्र का पूरा जीवन बदल जायेगा। इसलिए उन्होंने शिक्षकों का आह्वान किया कि शत प्रतिशत बच्चों का एनरोलमेंट किया जाय। स्कूलों के कायाकल्प के कार्य को कराने करायें जिला प्रशासन भी इस कार्य मदद करेगा एक टीम भवना से हम सब मिलकर कार्य करें।


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