हड़ताल के पहले दिन ही प्रदेश के 686 फीडर हुये ब्रेकडाउन, 50लाख से ज्यादा उभोक्ता हुए परेशान
विधुत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उ0प्र0 के बैनर तले बिजलिकर्मियो के हड़ताल के पहले दिन ही प्रदेश की बिजली व्यवस्था हुई ठप ,प्रदेश में आज आंधी तूफान के चलते दोपहर-2बजे तक 11के0वी0 के फीडर हुए ब्रेकडाउन। बनारस के बिजलिकर्मियो ने प्रदेश भर में चल रहे 72घंटे के सांकेतिक हड़ताल के पहले दिन *समझौता पूर्ण यज्ञ कर 3दिसम्बर2022 के समझौते को लागू कराने हेतु ईश्वर से प्रार्थना किया।
वक्ताओं ने बताया कि बिजलीकर्मी अपने मुखिया से कुछ नया मांग नही कर रहा है अपितु सन 2000 में संघर्ष समिति और तत्कालीन माननीय मुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री के साथ हुए समझौते के क्रियान्वयन की बात कर रहा है जिसमे एक वर्ष के अंदर ऊर्जा विभाग का घाटा जो 70 करोड़ था वो कम नही हुआ तो दुबारा राज्य विधुत परिषद की दुबारा गठन कर दिया जाएगा , बिघटन के बाद ऊर्जा निगमो में कार्यरत बिजलिकर्मियो की सेवा शर्ते में कोई कटौती नही होगा ये बाते लिखित है तो क्या जो वर्तमान ऊर्जा प्रबन्धन द्वारा आज 22साल बाद भी मुख्यमंत्री एवं 3 दिसंबर 2022 को वर्तमान मुख्यमंत्री मुख्य सलाहकार अवनीश अवस्थी साहब एवं ऊर्जा मंत्री के साथ 14 सूत्रीय जायज मांगो को 15 दिन के अंदर पूरा करने का आश्वासन सहित लिखित समझौता हुआ था तो क्या उसको पूरा कराने की बात करना क्या गलत होगा ? हमारी ओबरा में तापीय कालोनी को तोड़कर एन.टी.पी.सी. तापीय परियोजना साथ ही यह भी पता चला है कि लगाना कहा कि सही है जबकि वो पूरा परिसर राज्य विधुत उत्पादन निगम का है कोई कर्मचारी अपना घर तोड़वाकर अपना परियोजना लगाने की बात कर रहा है जिससे आम जनता को सस्ती बिजली और पूरी 800 मेगावाट 2 यानी 1600 मेगावॉट की बिजली राज्य विधुत परिषद उत्पादन निगम के द्वारा मिलने की बात कहां से गलत है, माननीय ऊर्जा मंत्री द्वारा बिजलिकर्मियो को राजनीति से प्रेरित बताया जा रहा तो हम सभी उनसे भी जानना चाहते है कि हमारी कौन सी नई मांग आपको राजनीति से प्रेरित लग रही है जिसका आपने समझौता नही किया था।
वक्ताओं ने बताया कि ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबन्धन के नकारात्मक एवं हठवादी रवैये के चलते बनारस सहित प्रदेश के लाखों बिजलीकर्मियों को हड़ताल पर जाना पड़ा है अन्यथा इतने दिनों से संघर्ष समिति पत्र के माध्यम से अनुरोध कर रही थी यदि अपनी बातों पर ऊर्जा प्रबन्धन अमल कर जाता तो आज बिजली उद्योग में हड़ताल नही होता । इस हड़ताल ने यह साबित कर दिया है कि ऊर्जा प्रबन्धन साजिस के तहत यह हड़ताल करवाना चाहता था ।
बिजलिकर्मियो ने समझौता पूर्ण यज्ञ के बाद वही भिखारीपुर स्थित महाबीर मंदिर के प्रांगण में हड़ताल के प्रथम दिन सभा की।
कल रात 10 बजे से 72 घण्टे की सांकेतिक हड़ताल पर चले जाने से आमजनमानस को बिजली बंद होने से आम उपभोक्ता को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है जिसके लिए संघर्ष समिति वाराणसी ने अपने जनता से इसके लिए खेद प्रकट किया है और आग्रह किया है कि वर्तमान में आप हमारा सहयोग कीजिये जिससे कि इस आंदोलन के सफल होने से बिजली उद्योग के साथ समस्त उपभोक्ता को इसका सीधा फायदा मिलेगा।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने एक बार पुनः दोहराया है कि ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबन्धन की हठवादिता के चलते बिजलीकर्मियों को हड़ताल पर जाना पड़ है। समझौते के कुछ प्रमुख बिन्दुओं में बनी सहमति के अनुसार ऊर्जा निगमों के चेयरमैन एवं प्रबन्ध निदेशक का चयन समिति के द्वारा किया जाना, पूर्व की तरह मिल रहे तीन पदोन्नति पदों के समयबद्ध वेतनमान के आदेश किया जाना, बिजली कर्मियों के लिए पावर सेक्टर इम्प्लॉईज प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाना, पारेषण के विद्युत उपकेन्द्रों के परिचालन एवं अनुरक्षण की आउटसोर्सिंग को बन्द करना, नये विद्युत उपकेन्द्रों का निर्माण पारेषण निगम से कराया जाना, निविदा/संविदा कर्मियों को अलग-अलग निगमों में मिल रहे मानदेय की विसंगति दूर कर समान मानदेय दिया जाना, भत्तों के पुनरीक्षण एवं वेतन विसंगतियों का निराकरण किया जाना प्रमुख है। इसके अतिरिक्त बिजलीकर्मियों की मांग है कि प्रदेश के सबसे सस्ती बिजली उपलब्ध कराने वाले विद्युत उत्पादन निगम को ओबरा एवं अनपरा में 800-800 मेगा वाट की 2-2 इकाईयां प्रदान किया जाना मुख्य मांग है।
सभा को सर्वश्री ई.अविनाश पटेल,ई.चंद्रशेखर चौरसिया, ई.राजेश यादव,,ई.अवधेश विजय सिंह, जिउतलाल मिश्रा, ई.रत्नेश सेठ, ई.राहुल मौर्य, ई.अमित त्रिपाठी, ई.संजय भारती, बीरेंद्र सिंह, रामकुमार झा, ई.प्रमोद कुमार, अंकुर पाण्डेय आदि ने संबोधित किया।