बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी में आज रंगभरी एकादशी की धूम रही। काशी में आज मौका था मां गौरा के गोने का जिसका साक्षी पूरा शहर बना। बाबा, गौरा की विदाई कराकर काशी विश्वनाथ मंदिर में विराजे।
महंत आवास से लेकर मंदिर परिसर तक भव्य शोभायात्रा निकाली गई। गाना बजाकर नाचकर जश्न मनाया गया।3 of 5
पालकी में सवार मां गौरा और बाबा विश्वनाथ की प्रतिमाओं के भक्तों ने दर्शन किए। काशी की गलियों में मथुरा से आए अबीर और गुलाल की होली खेली गई।
रजत पालकी में अपने धाम ले जाएंगे। शिव-शक्ति के मिलन की झांकी दर्शन कर भक्त अबीर-गुलाल उड़ा । इसे बाबा के भाल सजाएंगे। नेग में होली हुड़दंग की अनुमति पाएंगे। सायंकाल गौरा का गौना कराने बाबा के ससुराल (महंत आवास) आगमन पर 121 बटुकों ने सस्वर वैदिक सूक्तों का घनपाठ किया।
महंत डा. कुलपति तिवारी के सानिध्य में विविध अनुष्ठान किए गए। बाबा विश्वनाथ व माता पार्वती की गोद में विराजित प्रथम पूज्य गणेश की प्रतिमाओं को रजत सिंहासन पर विराजमान कराया गया। पूजन-आरती कर भोग लगाया गया। डमरुओं की गर्जना के बीच महिलाओं ने मंगल कामना से परिपूर्ण पारंपरिक गीतों को स्वर दिया। महंत डा. कुलपति तिवारी ने रजत पालकी संग बाबा की राजशाही पगड़ी, महारानी मुकुट व दूल्हा-दुल्हन के परिधान की विशेष पूजा की।