भगवान भोले और मां पार्वती की नगरी काशी में लोग मिल जुल कर रहते हैं और सभी धर्मों का आदर करते हैं ऐसे में बात की जाए तो काशी को गंगा जमुनी की तहजीब भी कहते हैं वहीं पर बात की जाए तो बाबा विश्वनाथ रंगभरी एकादशी के दिन माता पार्वती का गवना कराने के लिए जाते हैं और गवना करा कर लाते हैं। वहीं पर उनकी पगड़ी की बात की जाए तो काशी में एक मुस्लिम ऐसा परिवार है कि जो 5 पीढ़ियों से बाबा विश्वनाथ की पगड़ी बनाता चला आ रहा है, उनका नाम है मोहम्मद गयासुद्दीन ने इस बार अकबरी पगड़ी बनाई है जिसे तैयार करने में लगभग 1 सप्ताह का समय लगा है इस पगड़ी को बनाने में जरी रेशम व सिल्क के कपड़े नगीने दफ़्ती जरी जरदोजी मोती वर्क इत्यादि सामान लगे हैं इस बार की अकबरी पगड़ी सुर्ख लाल रंग में बनाई गई है जो बाबा विश्वनाथ को खूब जमेगी यही पगड़ी पहनकर बाबा विश्वनाथ जाएंगे माता गौरा का गवना करा कर लेकर आएंगे।
वहीं पर दुकानदार नंदलाल अरोड़ा ने बताया कि यह पगड़ी हम लोगों की चार पीढ़ियां बाबा की पालकी के लिए दी जाती है और यही बाबा पगड़ी पहनकर माता का गवना कराने जाते हैं यही नहीं इस पगड़ी को बनाने वाले गयासुद्दीन जो अपने पूरे परिवार के साथ इस पगड़ी को बनाते हैं और गंगा जमुना की तहजीब की मजबूत डोर भी बनती है यह राजशाही पगड़ी है।