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मंडलस्तरीय कृषि निर्यात कार्यशाला संपन्न



 23/Feb/23

मुख्य अतिथि के रूप में मंडलायुक्त वाराणसी कौशल राज शर्मा तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में जीआई के क्षेत्र में विशेष जानकारी रखने वाले पद्मश्री डा. रजनीकांत मौजूद रहे

मंडलीय सभागार में कृषि निर्यात को बढ़ावा देने हेतु मंडलस्तरीय कृषि निर्यात कार्यशाला आयोजित हुई जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में मंडलायुक्त वाराणसी कौशल राज शर्मा शामिल हुए। यह कार्यशाला विशेष रूप से उत्तर प्रदेश कृषि निर्यात नीति-2019 के अंतर्गत कृषि निर्यात संवर्धन हेतु प्रगतिशील कृषकों / कृषक उत्पादक संघटनों / कृषि निर्यातकों के हित में आयोजित की गयी है ताकि कृषि उत्पादों को निर्यात के रूप में बढावा दिया जा सके।

कार्यक्रम की शुरुआत में दीप प्रज्वलन करने के साथ अतिथियों का स्वागत किया गया। कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार विभाग के डॉ अमित यादव द्वारा मंडलायुक्त को साल व तुलसीदल देकर स्वागत किया गया। तत्पश्चात उन्होंने आयोजित कार्यशाला पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम की शुरूआत में बोलते हुए मुख्य अतिथि मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा ने निर्यात के लिये आयोजित कार्यशाला पर आयोजकों को बधाई दी तथा कहा कि पूर्वांचल से हो रहा कृषि निर्यात पूरे प्रदेश में सबसे आगे है जिसके लिए सभी बधाई के पात्र हैं, इसको हमें और आगे बढ़ाना होगा। प्रधानमंत्री के 5 ट्रिलियन तथा मुख्यमंत्री के 1 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने में कृषि निर्यात महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा क्योंकि देश की 70% जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। भारत को विकसित बनाने में हम सभी को लगना होगा तथा पूर्वांचल उसमें प्रमुख रास्ता दिखा सकता है जो की एफपीओ के माध्यम से सम्भव हो सकता। निर्यात हब बनने पर विदेशी कंपनियां स्वत: लोगों से जुड़ने की कोशिश करेंगी। सड़क व रेल का नेटवर्क भी मजबूत किया गया है ताकि किसानों के निर्यात को बढ़ावा दिया सके जिसका की लाभ लेने को किसानों को स्वतः आना होगा। साउथ ईस्ट एशिया में भी हम अपने उत्पाद को सीधे निर्यात करने की कोशिश कर सकते। सरकार के तरफ से 25% तक निर्यात सब्सिडी दी जा रही। इस कार्यशाला के माध्यम से आप सभी जानकारी लें तथा निर्यात के लिए आगे आएं। भविष्य में खाद्य प्रसंस्कृत उत्पाद भी हम निर्यात करने पर जोर दें। हमें पूरी तरह प्राकृतिक खेती पर ही निर्भर रहना होगा तभी हमारी निर्यात की इमेज अच्छी बनी रहेगी। अमूल का प्लांट शुरू होने के बाद पशुपालन को बड़े स्तर पर बढावा मिलेगा। गंगातिरी के ब्रीड सुधार को केंद्र सरकार प्रयास कर रही। हमें पुनः अपने पूर्वजों की पद्घति पर लौटना होगा तभी हम कैंसर जैसी बीमारियों से बाहर निकल सकते। उन्होंने किसानों से कहा कि बच्चों को पढ़ा-लिखा कर खेती में डालने का काम कीजिए। उन्होंने अंत में सभी से प्राकृतिक खेती बढ़ावा देने की अपील भी की।

विशिष्ट अतिथि द्वारा कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि कोविड के दौरान दुनिया ने भारतीय कृषि उत्पाद की महत्ता समझी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के प्रयासों का नतीज़ा है कि 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में मनाया जा रहा। उन्होंने मिर्जापुर के आदमचीनी चावल का जिक्र किया तथा आंध्र प्रदेश के कोरापुट चावल को मिले जीआई टैग की बात भी रखी। उन्होंने प्राकृतिक खेती के साथ जीआई टैग को जोड़ने की बात रखी।

कार्यशाला में मार्केट लिंकेज को बढ़ावा देने के एक्सपर्ट पदमांक जानी ने उपस्थित विभिन्न कृषि उत्पादक समूहों को जानकारी दी की किस प्रकार उत्पाद की वैल्यू एडिशन, उसकी ब्रांडिंग को सही करके हम उत्पाद के निर्यात को बढ़ावा दे सकते। अजय कुमार श्रीवास्तव विदेश व्यापार अधिकारी ने भी कार्यक्रम में लोगों को कृषि उत्पादों के निर्यात बढावा देने की जानकारी दी। उन्नत खेती को बढ़ावा देने को कृषि मशीनरी आयात की भी जानकारी उन्होंने किसानों को दी। धर्मेन्द्र कुमार सिंह ने आयात-निर्यात से सम्बन्धित जानकारी दी। कार्यक्रम में बताया गया कि इस समय बनारस क्षेत्र से कृषि संबंधित उत्पादों का निर्यात लगभग 80 से 90 मेट्रिक टन तक हो रहा जो अपने आप में गर्व की बात है। सब्जियों का बनारस क्षेत्र से बड़े स्तर पर निर्यात होता है।

कार्यक्रम में विभिन्न उत्पादक समूहों द्वारा स्टॉल के माध्यम से विभिन्न प्रकार के फल एवं सब्जियों के उत्पादक एवं निर्यातक संबन्धी जानकारी दी गयी। कार्यक्रम आयोजक के रूप में कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार विभाग, उत्तर प्रदेश रहा जो कि कृषि निर्यात की नोडल एजेंसी भी है। कार्यक्रम के अंत में आशुतोष मिश्र ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

कार्यक्रम में डॉ सी बी सिंह एपीडा उपमहाप्रबंधक, नाबार्ड के अनुज कुमार सिंह, उत्तर प्रदेश सरकार के प्राकृतिक खेती के प्रमुख सलाहकार चंद्र प्रकाश श्रीवास्तव, रामकुमार राय सहित भारी संख्या में किसान उत्पादक संगठन मौजूद रहे।

 


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